Kalashtami 2022: कालाष्टमी आज, इस तरह पूजा करने से अमोघ फल की होगी प्राप्ति, छट जाएंगे संकट के बादल

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आज कालाष्टमी है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालाष्टमी मनाई जाती है। काल भैरव को पूजे जाने के कारण इसे काल भैरव अष्टमी अथवा भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव भगवान शिव का ही एक रूप हैं। काल भैरव में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित रहती है। इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है। भैरव शब्द का अर्थ है भय को हराने वाला अर्थात जो उपासक काल भैरव की उपासना करता है, उसके सभी प्रकार के भय हर उठते हैं। मान्यता है कि कालाष्टमी का व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।</p>
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<strong>शुभ मुहूर्त</strong></p>
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अष्टमी तिथि आज रात 10 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। आज देर रात 1 बजकर 47 मिनट तक वरीयान योग रहेगा।</p>
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आज शाम 4 बजकर 7 मिनट तक मूल नक्षत्र रहेगा। आज श्री शीतला अष्टमी का व्रत किया जाएगा साथ ही आज कालाष्टमी भी है।</p>
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<strong>कालाष्टमी पूजा विधि </strong></p>
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तंत्र-मंत्र के देवता कहे जाने वाले काल भैरव की पूजा करने के लिए भक्त सुबह सवेरे स्नान करके पूजा की तैयारी करते हैं। काल भैरव की पूजा में भगवान शिव के मंदिर जाना शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार काल भैरव की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है। कहते हैं इस दिन काल भैरव की धूप, सरसो, उड़द आदि से आरती करनी चाहिए। काल भैरव की पूजा के बाद कुत्ते को रोटी खिलाना शुभ माना जाता है। यह रोटी मीठी होती है. इस दिन कुत्ते को डांट-डपटकर भगाना अच्छा नहीं माना जाता।</p>
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वैसे तो काल भैरव की पूजा रात के समय होती है लेकिन यह भी कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन भक्तों को दिन के समय नहीं सोना चाहिए। खाने में इस दिन सात्विक भोजन की सलाह दी जाती है और नमक के सेवन से परहेज किया जाता है। भगवान शिव के उपासक खासतौर से काल भैरव की पूजा करते हैं।</p>
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<strong>फलदायी होता है कालाष्टमी व्रत</strong></p>
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कालाष्टमी व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। पूरी श्रद्धा से भगवान भैरव की आराधना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। हर कार्य में सफलता और सुख, शांति की प्राप्ति होती है। भगवान भैरव की उपासना से भय से मुक्ति मिलती है। शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना अवश्य करें।</p>
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आईएन ब्यूरो

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