Mahavir Jayanti 2021: जीवन में उतार लो महावीर जयंती के ये पांच अनमोल वचन, बदल जाएगी आपकी किस्मत

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आज महावीर जयंती है। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। हर साल महावीर जयंती के दिन जैन लोग शोभा यात्राएं निकालते है और मंदिर में पूजा-पाठ करते है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर जाना और शोभायात्रा निकालना पर प्रतिबंध लगा हुआ है। लोग घर में रहकर ही महावीर जयंती मना रहे है। भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक नेता थे। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, महावीर जयंती मार्च या अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। भगवान महावीर का जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व बिहार में हुआ था।</p>
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उनका जन्म रानी त्रिशला और राजा सिद्धार्थ से हुआ था। इन्होंने चैत्र मास के 13वें दिन जन्म लिया था। इस दिन आधा चंद्रमा निकला था। भगवान महावीर को ध्यान में और जैन धर्म में बहुत रुचि थी। 30की आयु में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया और जैन धर्म का अभ्यास करने के लिए अपना सिंहासन छोड़ दिया था। एक बार पुष्कलावती नामक देश के एक घने वन में भीलों की एक बस्ती थी। उनके सरदार का नाम पुरूरवा था। उसकी पत्नी का नाम कालिका था। दोनों वन में घात लगाकर बैठ जाते और आते-जाते यात्रियों को लूटकर उन्हें मार डालते।</p>
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एक बार सागरसेन नामक एक जैनाचार्य उस वन से गुजरे तो पुरूरवा ने उन्हें मारने के लिए धनुष तान लिया। ज्यों ही वो तीर छोड़ने को हुआ, कालिका ने उसे रोक लिया और कहा- 'स्वामी! इनका तेज देखकर लगता है, ये कोई देवपुरुष है। ये तो बिना मारे ही हमारा घर अन्न-धन से भर सकते है।' पुरूरवा को पत्नी की बात समझ आई। दोनों मुनि के पास पहुंचे तो उनका दुष्टवत व्यवहार स्वमेव शांत हो गया और वे उनके चरणों में नतमस्तक हो गए। मुनि ने भांप लिया कि वो भील ही 24वें तीर्थंकर के रूप में जन्म लेने वाला है अत: उसके कल्याण हेतु उन्होंने उसे अहिंसा का उपदेश दिया और अपने पापों का प्रायश्चित करने को कहा। भील ने उनकी बात को गांठ में बांध ली और अपना बाकी जीवन परोपकार में बिता दिया।</p>
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महावीर जयंती के अनमोल-</p>
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भगवान महावीर ने कहा कि हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो। घृणा से विनाश होता है।</li>
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हर व्यक्ति अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।</li>
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खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।</li>
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स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।</li>
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आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।</li>
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आईएन ब्यूरो

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