Mithun Sankranti 2021: मिथुन संक्रांति आज, सूर्य देव के इस राशि में करेंगे गोचर, सिलबट्टे की पूजा से मिलेगा विशेष फल

<p>
आज मिथुन संक्रांति है। आज के दिन सूर्य का वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर होगा। ज्येष्ठ माह में सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करते है जिस कारण इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य ही एक ऐसा ग्रह है जो कभी वक्री नहीं होता है। ये सदैव मार्गी रहता है। सूर्य महीने एक राशि से दूसरी राशि में प्रेवश करता है। सूर्य के राशि परिवर्तन की तिथि को संक्रांति कहा जाता है। इस तरह से एक साल में 12 संक्रांति तिथियां आती है।</p>
<p>
जिस तरह से सूर्य के मकर में प्रवेश करने की तिथि के मकर संक्रांति मनाई जाती है, उसी तरह से सूर्य के मिथुन में प्रवेश करने की तिथि को मिथुन संक्रांति कहा जाता है। मिथुन संक्रांति पर दान-पुण्य करने कै विशेष महत्व है। चलिए जानते है सूर्य कब मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार जिस दिन सूर्य मिथुन में प्रवेश करेंगें उस दिन ज्येष्ठ मास की पंचमी तिथि है। सूर्य सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे।</p>
<p>
<strong>मिथुन संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त</strong></p>
<p>
मिथुन संक्रान्ति पुण्य काल- 06:17 ए एम से 01:43 पी एम</p>
<p>
अवधि- 07 घण्टे 27 मिनट्स</p>
<p>
मिथुन संक्रान्ति महा पुण्य काल- 06:17 ए एम से 08:36 ए एम</p>
<p>
अवधि- 02 घण्टे 20 मिनट्स</p>
<p>
हिंदू धर्म में मिथुन संक्रांति तिथि का खास महत्व माना जाता है। मिथुन संक्रांति को रज पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दान-स्नान और सूर्य पूजा का बहुत महत्व माना जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदी, जलकुंड में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। कई जगहों पर लोग सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन व्रत भी करते हैं। मान्यता अनुसार सूर्य देव की कृपा से मान-प्रतिष्ठा और उच्चपद की प्राप्ति होती है।</p>
<p>
मिथुन संक्रांति पर सिलबट्टे की पूजा का विधान है। लोग सिलबट्टे को भू-देवी मानकर पूजन करते हैं। इस दिन सिलबट्टे को दूध और पानी से स्नान कराया जाता है। इसके बाद सिलबट्टे को सिंदूर, चंदन लगाकर उस पर पुष्प और हल्दी अर्पित की जाती है और सूर्य देव की पूजा की जाती है। पूजा करने के नियम होते है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें और जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दे।</p>

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago