Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी आज, मोक्ष प्राप्ति के लिए इस तरह करें पूजा, इस कथा के बिना अधूरा है व्रत

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आज मोक्षदा एकादशी है। मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष पाने के लिए व्रत किया जाता है। मान्यता है कि जो जातक इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करते हैं उनके कई जन्मों के पाप कट जाते हैं। मोक्षदा एकादशी व्रत के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी बताया गया है। जो जातक इस व्रत को रख रहें हैं वे ध्यान रखें कि दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन कर लें। उसके बाद उन्हें कुछ भी नहीं खाना है।</p>
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<strong>शुभ मुहूर्त</strong></p>
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मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ आज रात 09 बजकर 32 मिनट से हो रहा है। एकादशी तिथि अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक है। व्रत के लिए उदयातिथि ही मान्य होती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा।</p>
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<strong>पूजा सामग्री लिस्ट</strong></p>
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श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान</p>
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<strong>एकादशी पूजा-विधि-</strong></p>
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सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।</p>
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<strong>मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा</strong></p>
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पौराणिक कथा के अनुसार गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे। एक रात उन्होंने सपने में देखा कि उनके पिता मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। सपने में पिता की ऐसी हालत देखकर उन्हें बड़ा दुख हुआ। सवेरे ही उन्होंने राज पुरोहित को बुलाया और पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। मुक्ति का मार्ग पूछने पर राज पुरोहित ने बताया कि इस समस्या का निवारण पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते हैं, क्योंकि वो त्रिकालदर्शी हैं। पुरोहित की बात सुनते ही राजा पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे और पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा।</p>
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महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिस कारण वो नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं। राजा ने महात्मा पर्वत से इस पाप से मुक्ति के बारें में पूछा, तो महात्मा बोले, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करें। इस एकादशी का व्रत रखने से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी। महात्मा के वचनों के अनुसार राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया। इस व्रत और पूजन के पुण्य प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिली। उनकी मुक्त आत्मा ने राजा को आशीर्वाद दिया।</p>

आईएन ब्यूरो

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