Narsingh Jayanti: भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की इस तरह करें पूजा तो दुश्मन खत्म होंगे और कर्ज उतर जाएगा

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आज नरसिंह जयंती है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर साल नरसिं​ह जयंती मनाई जाती है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की ​विधिपूर्वक पूजा करते है। भगवान नरसिंक की पूजा करने से व्यक्ति को निर्भयता और सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने दैत्य हिरण्यकश्यप के अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह अवतार लिया था। भगवान का ये अवतार आधे नर और आधे सिंह का है, जिस वजह से इसे नरसिंह अवतार कहा जाता है।</p>
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<strong>नरसिंह जयंती पूजा मुहूर्त- </strong></p>
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आज शाम 04 बजकर 32 मिनट से शाम 07 बजकर 38 मिनट तक भगवान नरसिंह की पूजा करें। शाम की पूजा का समय इसलिए है क्योंकि भगवान विष्णु ने असुर राज हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए दिन के ढलने और शाम के प्रारंभ के मध्य का समय चुना था। इस समय काल में ही उन्होंने नरसिंह अवतार लिया था।</p>
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<strong>कैसे करें पूजा-</strong></p>
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।</p>
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स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।</p>
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भगवान नरसिंह को पुष्प अर्पित करें।</p>
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भगवान नरसिंह का ज्यादा से ज्याद ध्यान करें।</p>
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इस पावन दिन भगवान नरसिंह को भोग भी लगाएं।</p>
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भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाए।</p>
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भगवान नरसिंह की आरती भी करें।</p>
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<strong>नरसिंह जयंती की कथा- </strong>असुर राज हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था और अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए प्रताड़ित करता था। उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। उसने कई यातनाएं झेलने के बाद भी भगवान विष्णु की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे न तो मनुष्य और न ही पशु मार सकता है, न ही घर के अंदर और न ही घर के बाहर उसका मारा जा सकता है। न ही दिन में और न ही रात में उसका वध हो सकता है। न ही अस्त्र से मरेगा और न ही शस्त्र से। न ही आकाश में और न ही धरती पर उसको मारा जा सकता है।</p>
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भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने दिन और रात के मध्य के समय में आधे मनुष्य और आधे सिंह का शरीर धारण कर नरसिंह अवतार लिया। वे खंभा फाड़कर नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को घसीटकर मुख्य दरवाजे के बीच अपने पैर पर लिटा​ दिया। अपने शेर जैसे तेज नाखुनों से उसका पेट फाड़कर वध कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। उस दिन से हर वर्ष इस तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है।</p>

आईएन ब्यूरो

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