मंगल विजय के बाद शुक्र की ओर बढ़े NASA के कदम, ग्रह के कई अद्भुत रहस्‍यों से उठेगा पर्दा

<p>
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अभी मिशन मंगल सफल हुआ है और अब वहां के वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के मिशन की तैयारी भी शुरु कर दी है। शुक्र ग्रह के रहस्यों को जानने के लिए दो नए मिशन पर नासा के वैज्ञानिक काम करेंगे। इन मिशन के बारे में नासा के डिस्कवरी शो ने ऐलान किया। दो मिशनों के लिए पचास-पचास करोड़ डॉलर का बजट तय किया गया है, जो 2028 और 2030 के बीच होगा। आपको बता दें कि शुक्र को लेकर आखिरी मिशन अमेरिका में साल 1978 में चलाया गया था।</p>
<p>
शुक्र ग्रह को लेकर तैयार किए गए दो मिशन के बारे में नासा ने बताया कि इन दो मिशनों का उद्देश्य ये समझना है कि शुक्र कैसे एक भट्टी जैसी दुनिया बन गया, जिसकी सतह शीशा को पिघलाने में सक्षम है। मिशन पूरे विज्ञान समुदाय को एक ऐसे ग्रह की जांच करने का मौका देंगे। जिसपर हम 30 से ज्यादा सालों से नहीं गए है। हालांकि मिशन का नेतृत्व नासा कर रहा है, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) इन्फ्रारेड मैपर की आपूर्ति करेगा। इटली की स्पेस एजेंसी और फ्रेंच सेंटर नेशनल डी'ट्यूड्स स्पैटियल्स मिशन के लिए रडार और अन्य उपकरण मुहैया कराएंगे।</p>
<p>
<strong>चलिए आपको इन दो मिशन के बारे में बताते है।</strong></p>
<p>
<strong>पहला मिशन 'डाविंसी प्लस'-</strong> नासा के ये अभियान साल 2028 से 2030 के बीच प्रक्षेपित होंगे। नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम के तहत इसमें 50 करोड़ डॉलर खर्च होंगे। पहला अभियान डीप एट्मोस्फियर वीनस इनेवेस्टीगेशन ऑफ नोबल गैसेस, कैमिस्ट्री एंड इमेजिंग है जिसे डाविंसी प्लस के नाम से जाएगा। इसका काम शुक्र ग्रह की संचरना का अध्ययन करना होगा जिसमें खास तौर पर कार्बन डाइऑक्साइड का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाएगा कि वो वहां कैसे बनी।</p>
<p>
साथ ही इस मिशन में इस बात की भी पड़ताल की जाएगी कि क्या शुक्र ग्रह पर कभी महासागर हुआ करते थे या नहीं। इसके घने स्ल्फ्यूरिक एसिड वाले वायुमंडल में मौजूद उन गैसों और अन्य तत्वों के मात्रा की जांच करने का प्रयास किया जाएगा जिनके कारण वहां ग्रीनहाउस प्रभाव काम कर रहा है। डाविंसी प्लस शुक्र की अंदर की उच्च विभेदन तस्वीरों को भी लेगा जिससे पृथ्वी की महाद्वीपों से तुलना कर पता जाएगा कि शुक्र पर टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद हैं या नहीं।</p>
<p>
<strong>दूसरे मिशन 'वेरिटास'- </strong> वेरिटास, जो वीनस एमिसिविटी, रेडियो साइंस, इंसार, टोपोग्राफी एंड स्पैक्ट्रोस्कोपी का छोटा रूप है। इसका मुख्य उद्देश्य शुक्र कक्षा से ही उसकी सतह का नक्शा बनाना होगा और ग्रह के भूगर्भीय इतिहास की पड़ताल करना होगा। वेरिटास एक खास तरह के राडार का उपोयग कर सतह का त्रिआयामी चित्र बनाएगा और यह पता लगाएगा कि क्या शुक्र ग्रह पर अब भी भूकंप और ज्वालामुखी आते है। यह इसके साथ ही यह इंफ्रारेड स्कैनिंग कर यहां की चट्टानों के प्रकार की जानकारी भी हासिल करेगा जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसका काम यह पता लगाना भी होगा कि क्या सक्रिय ज्वालामुखी वायुमंडगल में भाप छोड़ रहे हैं या नहीं।</p>

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago