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Sawan Pradosh Vrat: सावन का पहला प्रदोष व्रत आज, शुभ मुहुर्त में इस पूजा विधि से करें भगवान शिव की अराधना, साथ ही सुने ये कथा

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आज प्रदोष व्रत है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस समय सावन का महीना चल रहा है और सावन मास भोलेनाथ का प्रिय महीना है। ऐसे में सावन मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व ज्यादा होता है। इस बार सावन माह का पहला प्रदोष व्रत आज है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। चलिए आपको बताते है कि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत समय

प्रारम्भ- 05:09 पी एम, अगस्त 05

समाप्त- 06:28 पी एम, अगस्त 06

 

बन रहा शुभ योग

आज के दिन हर्षण योग बन रहा है। हर्षण योग 06 अगस्त की सुबह 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को ज्यादातर शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग शुभ मुहूर्त में गिना जाता है।

 

प्रदोष व्रत पूजन सामग्री लिस्ट

भगवान शिव को पूजा के दौरान अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल आदि अर्पित करना शुभ होता है।

 

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें। भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान शिव को भोग लगाएं। भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं। भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

प्रदोष व्रत कथा-

एक नगर में तीन मित्र रहते थे राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र… राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- 'नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।' धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता।

लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया। ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे. कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया।

उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई, यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।