Shani Amavasya: आज है शनि अमावस्या, शनि दोष से मुक्ति पाने का ये दुर्लभ समय, इस तरह पूजा करने से उतरेगा कर्ज और बढ़ेगी परिवार में खुशियां

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आज शनि अमावस्या है। शनिवार के दिन अमावस्या तिथि होने के कारण इसे 'शनिश्चरी अमावस्या' में कहते है। मान्यता है कि इस दिन दान और स्नान करने से सभी पाप धुल जाते है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही नहाना चाहिए। दान में जरूरतमंदों को तेल, जूते-चप्पे कपड़े, लकड़ी का पलंग, काला छाता, काले कपड़े आदि देना चाहिए। दान करने से कुंडली का शनि दोष समाप्त हो जाता है। जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है उन्हें सरसों के तेल में अपनी परछाईं देखकर दान करना चाहिए।</p>
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दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगाएं और कुत्ते को रोटी खिलाएं और शाम को पश्चिम की ओर तेल का दीपक जलाएं 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' मंत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करें। यही नहीं, इस दिन पितृ पूजा करने से परिवार वालों की उम्र और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। आज के दिन शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कालसर्प योग, ढैय्या और साढ़ेसाती समेत शनि संबंधी कई बाधाओं से मुक्ति पाने का ये दुर्लभ समय होता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को नवग्रहों में न्याय करने वाला देवता माना गया है। इसके साथ ही शनि को मेहनत यानि परिश्रक का कारक भी माना गया है।</p>
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कहा जाता है कि शनि एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते है, शनि की चाल बहुत ही धीमी बताई जाती है। यही वजह है कि शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर लगभग ढाई साल का समय लेते है। शनि व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते है, इसलिए जिन लोगों पर साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि की महादशा, अंर्तदशा चल रही है उन्हें गलत कार्य और आदतों से दूर रहना चाहिए। वर्तमान समय में मिथुन राशि, तुला राशि, धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की विशेष दृष्टि बनी हुई है। मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु,मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है।</p>
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<strong>ऐसे करें शनि अमावस्या पर पूजा</strong></p>
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स्नान कर शनि देव के दर्शन करें। शनिदेव पर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत आदि अर्पण करें। शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' या 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द, काले तिल, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तेल अभिषेक करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा,  हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनिदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए।</p>

आईएन ब्यूरो

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