Ambubachi Mela क्यों इतना खास? प्रसाद में देते हैं खून से लिपटा कपड़ा ऐसे ही कई रोचक तथ्यों से जुड़ी है कामाख्या मंदिर की कहानी

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श्री कामाख्या देवी का अम्बूवाची मेला 22जून से शुरू हुआ था और उसी दिन से मंदिर के कपाट बंद थे। मंदिर के कपाट बंद करने से पहले यहां महामुद्रा यंत्र पर वस्त्र चढ़ाए गए थे, जो मंदिर खुलने के बाद प्रसाद रूप में भक्तों के बीच बांट दिए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि 51शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी मंदिर जो नील पर्वत पर गुवाहाटी में स्थित है।  कामाख्या देवी के मंदिर को तांत्रिक सिद्धियों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है। इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु, साधु संत और तांत्रिक आते हैं। अंबुबाची मेला कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाला एक वार्षिक मेला है। यह मेला मानसून के दौरान लगता है, जून के मध्य में जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है, और ब्रह्मपुत्र नदी उफान पर होती है, तभी यह मेला लगता है।</p>
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<strong>किस लिए मनाया जाता है अंबुबाची मेला</strong></p>
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तीन दिवसीय इस मेले की शुरुआत कामाख्या मंदिर के कपाट बंद करने से होती है और मेले के आखिरी दिन मां को स्नान आदि कराने के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं।  हर वर्ष जून के महीने में कामाख्या देवी का रजस्वला स्वरूप सामने आता है जिसमें उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।</p>
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बताया जाता है इस दौरान मां कामाख्या देवी मासिक धर्म के चलते आराम करती है और इन दिनों भक्तों के मंदिर में प्रवेश करने पर निषेध होता है। इसके अलावा खाना बनाना, पूजा करना या पवित्र पुस्तकें पढ़ना, खेती करना प्रतिबंधित है। दरअसल, इस मंदिर में योनि माता कामाख्या साक्षात निवास करती हैं। कामाख्या मंदिर में माता सती का योनि भाग गिरा था इसलिए यहां देवी के योनि के रूप में विराजमान हैं। मान्यता यह भी हैचौथे दिन जो भी भक्त मां कामाख्या के दर्शन करता है कि पापों से मुक्ति मिलती है। बता दें, कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है। मान्यता है कि देवी के रजस्वला होने से पूर्व वहां सफेद वस्त्र बिछा दिए जाते हैं, तीन दिन बाद जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तब यह वस्त्र लाल हो जाते हैं।</p>
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<strong>कैसे पहुंचें कामाख्या मंदिर?</strong></p>
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कामाख्या देवी मंदिर से सबसे नजदीक में गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से कामाख्या मंदिर की दूरी करीब 20किमी. है। कामाख्या देवी मंदिर के नजदीक में स्थित रेलवे स्टेशन कामाख्या ही है, जो कामाख्या मंदिर परिसर से मात्र 6किमी. की दूरी पर स्थित है। गुवाहाटी के लिए डायरेक्ट बस नहीं मिलती है, तो आप सबसे पहले पश्चिम बंगाल जा सकते हैं। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध शहर कोलकाता, मालदा, नई जलपाईगुड़ी और हावड़ा आदि से गुवाहाटी के लिए आसानी से बस मिल जाएगी।</p>
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आईएन ब्यूरो

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