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Afghanistan ‘काबुल तालिबान’ से जंग की तैयारी में ‘दोहा तालिबान’! अमेरिका से मुल्ला बिरादर ने क्या मांगा- देखें रिपोर्ट

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दोहा पीस एकॉर्ड पर तालिबान की ओर से दस्तखत करने वाले मुल्ला बिरादर के बारे में हर रोज नए कयास और दावे किए जा रहे हैं। मुल्ला बिरादर के बारे में ताजा खबर ये है कि वो कंधार में है। उसने अफगानिस्तान के स्टेट टीवी को एक इंटरव्यू भी दिया है। ये दावा भी तालिबान के एक गुट ने किया है। इस गुट ने काली पगड़ी और काले कुर्ता पहने मुल्ला बिरादर का एर विजुवल भी जारी किया है।  इस कथित इंटरव्यू के बारे में बस इतनी सी जानकारी है कि अरब न्यूज के लिए फ्री लांस कंट्रीब्यूट करने वाले एक जर्नलिस्ट अरशद यूसुफ जई ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में कहा गया है ' नो कैप्शन नो कमेंट्स.स्टे ट्यूंड टू रेडियो टेलिवीजन अफगानिस्तान फॉर फुल इंटरव्यू।' मुल्ला बिरादर को टैग करने के साथ ही इसमें मुल्ला बिरादर की फोटो भी है। </p>
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कहा जा रहा है कि ये इंटरव्यू जल्दी ही प्रसारित किया जाएगा, मगर कब जारी किया जाएगा, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसीलिए शंका हो रही है कि अभी तक किए गए दावों की तरह भी यह दावा भी हवा-हवाई हो सकता है। इस दावे के अलावा एक और बड़ा दावा किया जा रहा है कि मुल्ला बिरादार ने अज्ञातवास के दौरान ही अमेरिकी दूत जालमई खलीलजाद से संपर्क किया है। मुल्ला ने खलीलजाद से कहा है कि तालिबान ने दोहा पीस एकॉर्ड को तोड़ दिया है।</p>
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आश्चर्यजनक बात तो यह बताई जा रही है कि मुल्ला बिरादर ने अमेरिका से तालिबान के खिलाफ कार्रावाई का आह्वान किया है। इस दाव में भी कितनी सच्चाई है इसका कोई पता नहीं है। क्योंकि स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं हो सकी है। इससे पहेल कहा जा रहा था कि अफगानिस्तान तालिबान की अंतरिम सरकार में दोयम दर्जा दिए जाने से मुल्ला बिरादर नाराज हो गया था। सराकरके ऐलान के बीच ही मुल्ला बिरादर और हक्कानी गुट के बीच खूनी झड़प हुई थी। इस झड़प के बाद मुल्ला बिरादर ने काबुल छोड़ दिया था। आशंका जताई गई थी कि इस झड़प में मुल्ला बिरादर गंभीर तौर पर घायल हो गया है या फिर मारा गया है।</p>
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इसके बाद तुरंत ये खबर आई कि मुल्ला बिरादर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की हिरासत में है। बगाबत का खुलासा हो जाने की आशंका से आईएसआई चीफ फैज हामिद ने मुल्ला को सीन से हटा दिया है। मुल्ला बिरादर की तरह ही शेर अब्बास स्तानिकजई अंतरिम सरकार के गठन से गायब हैं। हालांकि उनके बारे में कहा जा रहा है कि वो भी नाराज हैं। शेर अब्बास के बारे में माना जा रहा था कि उन्हें विदेश मंत्री बनाया जाएगा लेकिन उप विदेश मंत्री का ओहदा मिलने के बाद शेर अब्बास दोहा में ही रुक गए हैं।</p>
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दोहा में तालिबान का पॉलिटिकल ऑफिस है। कहा तो यह भी जारहा है कि तालिबान में स्पष्ट रूप से दो गुट बन गए हैं। एक गुट दोहा तालिबान है और दूसरा काबुल तालिबान है। काबुल तालिबान पर हक्कानी गुट का कब्जा है। यही गुट अंतरिम सरकार पर भी काबिज है। हक्कानी गुट पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मोहरा है। इसलिए माना जा रहा है कि अफगानिस्तान तालिबान की अंतरिम सरकार आईएसआई की कठपुतली भर है। तालिबान की अंतरिम सरकार में हुई बगाबत से अफगानिस्तान के भविष्य पर फिर से काले बादल मंडराने लगे हैं।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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