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टुकड़े-टुकड़े गैंग ने हाईजैक कर लिया किसानों का आंदोलन! सोते रह गये सरकारी जासूस

किसानों का आंदोलन (Kisano ka Andolan) हाई जैक हो गया है। दिल्ली के गैरकानूनी घेराव को किसान क्रांति बताने वालों को अब तो मालूम हो ही गया होगा कि किसानों की आड़ में आंदोलन नहीं बल्कि अलगाव की आग भड़काने का काम हो रहा है। टिकरी बॉर्डर से सीधा तस्वीरें देखने के बाद कुछ लोगों के मुंह में दही जम गया है। दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने और सीएए के बहाने देश में एक सम्प्रदाय को भड़काने वालों को रिहा करने के नारे लग रहे थे। क्या भारत का किसान सिमि जैसे आंतकी संगठन से ताल्लुक रखने वाले उमर खालिद के लिए आंदोलन कर रहा है? नहीं किसानों का आंदोलन (Kisano ka Andolan) गलत हाथों में चला गया है!

<img class="alignnone wp-image-21130 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/kisano-ka-Andolan.jpg" alt="kisano ka Andolan" width="1280" height="850" />
<h3>किसानों के मंच पर देश द्रोहियों के समर्थक</h3>
आईएसआई के टट्टुओं के इशारों पर नाचने वाला शरजील इमाम और उमर खालिद  किसान कब से हो गया। ये तो नफरत की फसल उगाने वाले हैं। गेहूं-गन्ना उगाने वाले किसानों से इनका क्या रिश्ता है? शहरी नक्सलवाद के सहारे देश में हिंसा और अराजकता  फैलाने वाले किसान कब से हो गए? किसान क्रांति का डंका पीटने वाले अब मौन क्यों हैं?
<h3>टुकड़े-टुकड़े गैंग का क्या रिश्ता</h3>
किसान क्राति के बहाने देश द्रोही तत्वों का समर्थन वाले ये कौन हैं? इनका एमएसपी और मंडी समितियों से क्या लेना-देना है? शरद पवार-राहुल गांधी को इन देशद्रोही तत्वों से तो न पहले कोई दिक्कत थी और न शायद अब होगी लेकिन क्या शिरोमणि अकाली दल भी किसान आंदोलन को शैतानों के हाथ में जाता देख का चुप रहेगा? क्या भारतीय किसान यूनियन के नेताओं की आंखें नहीं खुलीं हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं जहन में जमीर आंखों में पानी बचा है या या गिरवी रख दिया है।

यह पीड़ा किसी एक आदमी की नहीं है बल्कि किसानों के साथ सहानुभूति रखने वाले सभी लोगों की है जो किसान आंदोलन से हमदर्दी रखते हैं। किसान आंदोलन के मंच से आतंकी सरीखे लोगों का समर्थन करने वाले अन्नदाता नहीं हो सकते। अन्नदाता अपनी धरती-अपनी मिट्टी को धोखा कभी नहीं दे सकता। अन्नदाता आतंकी सरीखे लोगों की हिमायत नहीं कर सकता। टिकरी बॉर्डर पर 12 दिसंबर की दोपहर जो हुआ उससे हर वो शख्स शर्मिंदा हुआ है जो किसान आंदोलन से सहानुभूति रखता था।

किसानों के आंदोलन (Kisano ka Andolan) में जिस दिन घोर वामपंथी और नक्सल समर्थक <a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/hannan-mollah-a-bengali-left-leader-hijacked-punjab-kisan-andolan-20918.html"><strong><span style="color: #000080;">हन्ना मुल्ला </span></strong></a>की एंट्री हुई थी, उसी दिन किसानों का आंदोलन (Kisano ka Andolan) हाईजैक हो चुका था। <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Tukde_Tukde_Gang"><span style="color: #000080;"><strong>टुकड़े-टुकड़े गैंग</strong> </span></a>को सजा सजाया मंच और दर्शक मिल गए। इसलिए टुकड़े-टुकड़े गैंग ने मौका मिलते ही चौक्का जमा दिया। पाकिस्तान और पाकिस्तानी मीडिया बेहद खुश है। भारत के मीरजाफरों ने देश के अपमानित होने और दुश्मन को हंसने का मौका दे दिया है। किसानों के नाम से शुरू हुए आंदोलन पर शैतानों ने कब्जा कर लिया है।.

सतीश के. सिंह

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