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COASC की नियुक्ति आसान मगर, CDS का सिलेक्शन मोदी सरकार के सामने गंभीर चुनौती!

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मोदी सरकार ने यूं तो सीओएएस (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) के पद पर जनरल नरवणे की नियुक्ति कर दी है लेकिन इससे नए सीडीएस की नियुक्ति की पेचीदगियां कम नहीं हुई हैं। चीन और पाकिस्तान की हरकतों को ध्यान में रखते हुए नए सीडीएस की नियुक्ति और थियेटर कमाण्डस को सक्रिेए करना मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में ैहै। शायद इसीलिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जल्द ही नए सीडीएस की नियुक्ति की ओर इशारा किया है। ैऐसा भी कहा जा रहा है कि कुछ दिनों के लिए कार्यवाहक सीडीएस की नियुक्ति भी हो सकती है।</p>
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तमिलनाडु में गत बुधवार को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत की अकस्मात मौत ने  नरेंद्र मोदी सरकार के लिए कई चुनौतियां पेश कर दी हैं। विशेष रूप से भारत सरकार के रक्षा  मंत्रालय को अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) चुनने का तत्काल कार्य करना है। सीडीएस की दोहरी-भूमिका दो मुख्य भूमिकाओं को संदर्भित करती है। पहली एक सैन्य भूमिका है जबकि दूसरी सरकार में एक भूमिका है।</p>
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सीडीएस ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष होते हैं। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सदस्यों के रूप में तीनो सेना प्रमुख होते हैं और ये तीनो सेनाओ के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण निर्णय लेती है।</p>
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सीडीएस की दूसरी  भूमिका – रक्षा मंत्रालय में नव निर्मित ‘सैन्य मामलों का रक्षा विभाग’ (डीएमए) के ‘मुखिया’ का भार निर्वाहन।</p>
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यह डीएमए के प्रमुख के रूप में सीडीएस को मंत्रालय के भीतर  सैन्य मामलों सम्बंधित प्रमुख जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की आवश्यकता होती है। कारगिल युद्ध के बाद सीडीएस की आवश्यकता अत्यंत आवश्यक समझी गयी थी फलस्वरूप एक नया ढांचा बनाया गया।</p>
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सैनिक प्रशासन के ढांचे में हुए इस महत्वपूर्ण बदलाव से सेना की कार्यप्रणाली एवं सोच पर प्रभाव पड़ा। किसी भी रसद खरीद एवं उपस्कर-सहयोग के लिए तीनों सेनाएं अलग-अलग प्रयास करती थी, उन्हें साथ लाने का प्रयास हुआ। गत सैनिक युद्धों में भारत द्वारा सीमा पर चुनौतियों का सामना करते हुए कई बार तालमेल बिठाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते थे। सीडीएस की नियुक्ति के बाद जनरल बिपिन रावत ने तन्मयता से चुनौतीपूर्ण कार्य- तीनों सेनाओं में सुधार एवं आपसी संबंधों में आवश्यक समन्वय लाने का प्रयास किया।</p>
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सीडीएस की नियुक्ति के लिए जो मूलभूत आवश्यकता है- अधिकारी भारतीय थलसेना, वायुसेना अथवा नौसेना सेनाध्यक्ष का अनुभव। मेरिट-कम- वरिष्ठता  के आधार के अतिरिक्त सीडीएस की उम्र 65 वर्ष अधिक नहीं हो सकती।</p>
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सीडीएस के लिए तीनों सेनाओं के बारे में संपूर्ण जानकारी के साथ उनकी कार्यप्रणाली की सीमाएं और आवश्यकताओं को समझने की काबिलियत होनी चाहिए अन्यथा आवश्यक तालमेल की कमी की भरपाई ना हो पाएगी।</p>
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वर्तमान थल सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे  ने जनरल बिपिन रावत से 31दिसंबर 2019  सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला था। जबकि  एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने वायु सेनाध्यक्ष का पदभार 30 सितंबर को पदभार ग्रहण किया। वहीं 30 नवंबर को एडमिरल आर हरिकुमार भारतीय नौसेना के अध्यक्ष नियुक्त हुए। अतः जनरल नरवणे दोनों अध्यक्षों निर्वाचन चौधरी और नौसेना अध्यक्ष एडमिशन और हरी कुमार से वरिष्ठ हैं।</p>
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सीडीएस के पद पर एक अनुभवी एवं कुशल सेना अध्यक्ष की अत्यंत आवश्यकता है। सेनाध्यक्ष के रहते हैं जो बारीकियां और कठिन है एवं परिस्थितियों केसा के सौदा सामना सांप करने के साथ नीति निर्धारण का अनुभव सीडीएस के लिए आधार के रूप में कार्य निर्वहन में सहायक होता है। वर्तमान में तीनों सेना अध्यक्ष का अनुभव सेना अध्यक्ष के पद पर डेढ़ वर्ष का ही है। ऐसी स्थिति में निवर्तमान सेना अध्यक्ष को भी अवसर दिया जा सकता है।</p>
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अगले सीडीएस की समय पर नियुक्ति महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में देश दो देशों से एक साथ खतरों का सामना कर रहा है। जबकि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद जहां पूर्णतः सामान्य नहीं हो पाई है, वहीं पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ 19 महीने से चल रहा सैन्य टकराव सम्पूर्ण रूप से खतम नहीं हुआ है। भारत सीमा पर अपने नियमन को कभी कम नहीं करेगा तकी सेना का मनोबल बना रहे। थलसेना, नौसेना और भारती वायुसेना के एकीकरण प्रकृति को थलसेना कमांड में प्रभावित करने देना चाहता है।</p>
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सीडीएस की नियुक्ति सरकार के लिए निश्चित रूप से एक चुनौती पूर्ण निर्णय हो सकता है। प्रथम सीडीएस के अकस्मात देहावसान से नए नीति निर्धारण नीति की आवश्यकता पड़ सकती है। ये निर्णय भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा</p>
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<strong>(लेखक- डीके पाण्डेय, (रि. ग्रुप कैप्टन इंडियन एयरफोर्स)</strong></p>
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आईएन ब्यूरो

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