Categories: विचार

Azadi ka Amrit Mahotsav: वो था हाजी पक्का नमाजी-कम्युनिस्ट और कृष्ण भक्त जिसने नारा दिया इंकलाब जिंदाबाद

<p>
<strong>इंकलाब जिंदाबाद के नारे से क्रांति की अलख जगा दी</strong></p>
<p>
दिल्ली के बीचों-बीच मौजूदा संसद भवन से चंद कदमों की दूरी पर है मस्जिद वेस्टर्न कोर्ट। वेस्टर्न कोर्ट को रॉबर्ट टसल ने बनवाया था। अंग्रेज और अंग्रेजों के काले मेहमान इस वेस्टर्न कोर्ट में ठहरते थे। वेस्टर्न कोर्ट का लेखा-जोखा फिर कभी! अभी तो जिक्र एक मस्जिद का ही करेंगे, जिसके फर्श पर पड़ी चटाई पर एक महान शख्सियत का मुकाम होता था। यह वही शख्सियत है जिसने ‘इंकलाब जिंदाबाद’का नारा दिया। इसी नारे को बुलंद करते हुए क्रांतिवीर भगत सिंह, अशफाख उल्ला और बटुकेश्वर दत्त फांसी के फंदे पर झूल गए थे। ये वही नारा था जिसे सुनकर अंग्रेज हुकूमत कांप उठती थी। ये वही नारा था जिसने सोये हुए हिंदुस्तानियों में आजादी के लिए क्रांति की अलख जगा दी थी।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Masjid_Western_Court-1.webp" /></p>
<p>
<strong>मस्जिद बनी मुकाम</strong></p>
<p>
वेस्टर्न कोर्ट और इदिरा गांधी इंटरनेशनल कल्चरल सेंटर के बीच बनी इस मस्जिद के फर्श पर बैठकर आजाद अखण्ड भारत का ताना-बाना बुनने वाले शख्स ने ही सबसे पहले अहमदाबाद में कांग्रेस के 1921 के राष्ट्रीय अधिवेशन में नारा दिया था, हमें चाहिए संपूर्ण आजादी। उस वक्त उनके साथ स्वामी कुमारानंद भी मौजूद थे। 1921 में कांग्रेस के अध्यक्ष चितरंजन दास थे, लेकिन वो जेल में थे। उनकी जगह अधिवेशन की अध्यक्षता हकीम अजमल खां कर रहे थे। संपूर्ण आजादी का संकल्प और नारा अधिवेशन में पारित हो गया लेकिन गांधी जी और उनके समर्थकों ने नकार दिया। उन्हीं गांधी जी ने 1930 में इसी संकल्प को स्वीकार किया।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-1.webp" style="width: 730px; height: 481px;" /></p>
<p>
<strong>बाबा साहेब अम्बेडकर के बहुत घनिष्ठ थे</strong></p>
<p>
इस अजीमुश्शान शख्सियत का नाम बताने से पहले इतना और बताते चलें कि 1946 में संविधान सभा का सदस्य नियुक्त किए जाने के बावजूद यह शख्स कोई भी सरकारी सुख-सुविधा का उपभोग या उपयोग नहीं करता था। यह शख्स बाल गंगाधार तिलक के बहुत नजदीक था। बाबा साहेब अम्बेडकर और यह शख्स एक जैसी विचारधारा के थे। यह शख्स उन्नाव (यूपी) के मोहान से दिल्ली तक ट्रेन के थर्ड क्लास में आता और इसी मस्जिद के फर्श पर डेरा डाल देता। संविधान बनने तक तमाम बैठकें हुईं तमाम बहस-मुहाविसे हुए लेकिन इस शख्स ने संविधान ड्राफ्ट पर दस्तखत नहीं किए। वजह यह थी कि ये शख्स भारत के बंटबारे के खिलाफ था। जिन्ना की मुस्लिम लीग के टिकट पर जीता था लेकिन जिन्ना के पाकिस्तानी प्रस्ताव के खिलाफ था। इस शख्स का नाम था मौलाना हसरत मोहानी।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-2.webp" style="width: 730px; height: 481px;" /></p>
<p>
मौलाना हसरत मोहानी मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनाए जाने के खिलाफ थे।</p>
<p>
 <img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-2.webp" style="width: 730px; height: 481px;" /></p>
<p>
<strong>पाकिस्तान मांगने पर लगाई थी जिन्ना को लताड़</strong></p>
<p>
मौलाना हसरत ने मोहानी मुस्लिम लीगी होने के बावजूद इसने जिन्ना को लताड़ा, पूर्व कांग्रेसी होने के नाते जवाहर लाल नेहरू और बाकी लोगों की भी लानत-मलानत की और पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया। क्यों कि इस शख्स का कहना था हजारों-लाखों हिंदुस्तानियों ने कुर्बानी मुल्क के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि मुल्क की इकजहती के लिए दी है। अंग्रेजों से आजादी के लिए दी है, मुल्क के बंटवारे और हिंदू-मुसलमानों में नफरत भरने के लिए नहीं दी है।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-3.webp" /></p>
<p>
<strong>चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है…</strong></p>
<p>
जंग-ए-आजादी के अफसानों में गुमनाम तमाम लोगों में से एक इस शख्स का नाम है सैयद फजल उल हसन। जी, हां सैयद फजल उल हसन को ही मौलाना हसरत मोहानी का पूरा और असली नाम था। आज के जमाने  लोगों को ‘चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है’गजल के बोल याद हैं, गाने् वालों के नाम भी याद हैं। गुलाम अली से लेकर जगजीत और न जाने कितने नामचीन गायकों ने इस गजल को अपनी आवाज दी है, इस मशहूर गजल को लिखने वाले भी सैयद फजल उल हसन उर्फ मौलाना हसरत मोहानी ही थे।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-4.webp" /></p>
<p>
<strong>16 बार का हाजी, पक्का नमाजी, कम्युनिस्ट और कृष्ण का कट्टर भक्त</strong></p>
<p>
इंकलाब जिंदाबाद और संपूर्ण आजादी का नारा देने वाले मौलाना हसरत मोहानी के जीवन में कई चमकीले-भड़कीले चरित्र थे। शायद उनकी यही पहचान उनकी यही पहचान बाकी लोगों से उन्हें अलग भी करती है। मौलाना हसरत मोहानी ने कई बार हज किया। हज के लिए मौलाना ने सरकारी पैसे या किसी की इमदाद नहीं ली, नहीं बल्कि अपनी गजलों-नगमों, किताबों और रिसाले से होने वाली सख्त कमाई के पैसों को हज यात्रा में इस्तेमाल किया। मौलाना पांच वक्त के पक्के नमाजी थे। कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने 76 साल की कुल जिंदगी में 16 बार हज किया।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-5.webp" /></p>
<p>
<strong>मक्का-मथुरा और मास्को जिसके दिल में बसते थे</strong></p>
<p>
हाजी-पक्के नमाजी मौलाना हसरत मोहानी सर्वहारा यानी कम्युनिस्ट भी थे। वो सोवियत रूस के शासन की तरह भारत में गणराज्ययी व्यवस्था चाहते थे। सर्वहारा कम्युनिस्ट, हाजी-नमाजी मौलाना हसरत मोहानी भगवान श्रीकृष्ण के श्रेष्ठ भक्तों में से एक थे। यही है उनके चमकीले-भड़कीले जीवन चरित्र का एक उदाहरण। मौलाना हसरत मोहानी खुद कहा करते थे उनके दिल में तीन ‘एम’ एक साथ बसते हैं। इन तीनों ‘एम’ से उन्हें कोई जुदा नहीं कर सकता। तीन ‘एम’ यानी मक्का-मास्को और मथुरा। मौलाना इस धरती से पर्दा कर गए लेकिन मक्का-मास्को-मथुरा और मौलाना के बीच कोई पर्दा न डालने की कोशिश भी न कर सका।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-6.webp" /></p>
<p>
<strong>मुल्ला-मौलवियों की परवाह किए बगैर खेलते थे ब्रज की होली</strong></p>
<p>
मौलाना हसरत मोहानी होली ब्रज की ही मनाते थे। रंग-गुलाल के सैलाब में खुद बह जाते थे। उनकी ये पंक्तियां इसकी बानगी हैं- ‘मोहे छेड़ करत नंद लाल, लिए ठाड़े अबीर गुलाल. ढीठ भई जिन की बरजोरी, औरां पर रंग डाल-डाल।’ मौलाना हसरत मौहानी अमीर खुसरो की तरह मुसलमान भी थे और कृष्णभक्त भी थे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की शोभा-सम्मान में एक नज्म लिखी- ‘मथुरा कि नगर है आशिक़ी का, दम भरती है आरज़ू इसी का, पैग़ाम-ए-हयात-ए-जावेदाँ था, हर नग़्मा-ए-कृष्ण बाँसुरी का, वो नूर-ए-सियाह या कि हसरत, सर-चश्मा फ़रोग़-ए-आगही का।</p>
<p>
मस्जिद के फर्श को मुकाम बनाने वाला, हाजी-पक्का नमाजी-कृष्ण भक्त, कम्युनिस्ट मौलाना हसरत मौहानी जैसा कोई हिंदुस्तानी आज होता तो पता नहीं कितनी बार कुफ्र का फतवा झेलता। मौलाना हसरत मोहानी के नाम पर हिंदुस्तान में ही नहीं पाकिस्तान के कराची और लाहौर लाइब्रेरी, सड़कें और और कई इमारतें हैं।</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Hasrat_Mohani-8.webp" /></p>
<p>
इस कहानी को पढ़कर सवाल उठ सकता है कि जंग-ए-आजादी के दीवाने तो असंख्य हैं, फिर मौलाना हसरत मोहानी का ही जिक्र क्यों?</p>
<p>
<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/Azadi_ka_Amrit_Mahotsava_Rajeev_Sharma-Shafi_Ayub-1.webp" /></p>
<p>
<img alt="" src="Azadi ka Amrit Mahotsava Rajeev Sharma-Shafi Ayub-1" />दरअसल, इसी 6 अगस्त को हम (मैं इंडिया नैरेटिव का हिंदी संपादक और उर्दू के संपादक डॉक्टर शफी अय्यूब) अम्बेडकर इंटरनेशनल सभागार के समरसता कक्ष में आरएसएस के शीर्ष प्रचारक इंद्रेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लौट रहे थे। हम दोनों पैदल-पैदल जनपथ मेट्रो की ओर जा रहे थे। रास्ते में लाल रंग की मस्जिद दिखाई थी, डॉक्टर शफी ने कहा, जानते हो इस मस्जिद की क्या खासियत है?</p>
<p>
मैंने (इस उत्सुकता से किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दी गई होगी) पूछा- क्या?</p>
<p>
डॉक्टर शफी बोले- यह मस्जिद दिल्ली में उस शख्स का मुकाम रही है जिसने अंग्रेजों के खिलाफ पहली बार 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा क्रांतिकारियों को समर्पित किया था। जिसने सबसे पहले संपूर्ण आजादी का संकल्प लिया था।</p>
<p>
हम *आजादी* की 75वीं साल गिरह मना रहे हैं तो इसी बहाने सही मौलाना हसरत मोहानी को भी खिराज-ए-अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश करना तो बनता है न!</p>
<p>
<a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Dominion_of_India"><strong>देखेंः *The Dominion of India,[4] officially the Union of India,[5][6][7] was an independent dominion in the British Commonwealth of Nations existing between 15 August 1947 and 26 January 1950.*</strong></a></p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago