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Bijapur-Sukma Naxal Encounter: कैसे लिया जाएगा जवानों की शहादत का बदला? नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक है भेदिया टोली

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा बॉर्डर पर हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को अपूर्णीय क्षति हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने व्यस्त चुनावी कार्यक्रमों को छोड़कर पहले दिल्ली पहुंचे। आला अधिकारियों से मुलाकात की हालात का जायजा लिया और सोमवार सुबह होते ही छत्तीसगढ़ पहुंच गए। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जैसे ही अमित शाह वापस दिल्ली के लिए रवाना हुए वैसे ही नक्सलियों की ओर से पर्चा जारी कर दिया गया। पर्चे में अमित शाह को चेतावनी भी दी गई कि बदला किस-किस से लेंगे।</p>
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<strong>सुरक्षाबलों के मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों को कैसे मिल रही थी</strong></p>
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इस पूरे प्रकरण पर नजदीक से निगाह रखने वाले सूत्रों ने बताया है कि भेदी घर में ही है। यह भेदी वही है जो गृहमंत्री अमित शाह के दिल्ली रवाना होते ही पर्चा बंटवाता है और हिडमा की तलाश में भेजे गये जवानों को नक्सलियों के जाल में फंसवा देता है। छत्तीसगढ़ के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि सुरक्षाबलों की कौन सी टोली किस दिशा से जंगल में घुसी है। एक टोली से दूसरी टोली की दूरी कितनी है। बैकअप कितनी देर में पहुंचेगा। सुरक्षा बलों की टोली में जवानों के पास कौन से हथियार हैं। ये सारी जानकारी नक्सलियों के पास पहुंच रही थी। कहने का मतलब यह है कि सुरक्षाबलों का दस्ता उस गांव की ओर बढ़ रही थी जहां हिडमा के छुपे होने की सूचना मिली थी। लेकिन सुरक्षाबलों के पहुंचने से पहले ही गांव खाली हो चुका था।</p>
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<strong>नक्सलियों की तैयारी सुरक्षाबलों की टोली से ज्यादा थी</strong></p>
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सुरक्षा बलों को अंदेशा हो गया था कि उनके साथ धोखा हो चुका है। जहां नक्सलियों ने एंबुश लगाया था वहां गोली खाने या गोली मारने के अलावा कोई दूसरा चारा रास्ता नहीं था। सुरक्षाबलों की संख्या के मुकाबले नक्सलियों की संख्या 4 गुनी थी। उनके पास लगभग वैसे ही हथियार थे जैसे सुरक्षाबलों के पास थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि नक्सलियों के पास सुरक्षाबलों से ज्यादा घातक हथियार थे। नक्सली ऐसी जगहों से गोलियां चला रहे थे जहां से वो सुरक्षाबलों को आसानी से देख सकते थे। जबकि सुरक्षाबल उस दिशा में निशाना लगा रहे थे जहां से गोलियों की बारिश हो रही थी। नक्सलियों ने जवानों की एक एलएमजी, पांच इंसास और दो एकके 47 भी लूट लिए।</p>
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<strong>मुठभेड़ के बाद की भी जानकारियां नक्सलियों के पास कैसे पहुंच रही थीं</strong></p>
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‘घर के भेदिये’ पर शक होने का एक कारण यह भी है जंगल से भाग चुके नक्सलियों के पास यह भी जानकारी थी कि रेस्कयू ऑप्रेशन में सेना नहीं सेना का हेलिकॉप्टर ही आ रहा है। इसलिए उन्होंने रेस्कयू टीम पर भी हमला करने की कोशिश की। जिसमें एक जवान घायल हुआ। हालांकि रेस्कयू टीम के साथ घातक दस्ते के जवान भी थे। जैसे रही रिटेलिएशन हआ नक्सली हथियार छोड़ कर जंगलों में वापस भाग खड़े हुए हैं।</p>
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<strong>मारे गये नक्सलियों का अंतिम संस्कार कैसे हुआ, जख्मी नक्सलियों का इलाज कौन कर रहा है</strong></p>
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बीजापुर-सुकमा की ताजा वारदात में निश्चित तौर सुरक्षाबलों को जान-मान का भारी नुकसान हुआ है लेकिन नक्सलियों को कम नुकसान नहीं हुआ है। सूत्र बतातें हैं नक्सलियों की ओर से भी हताहतों की संख्या 50 से ज्यादा हो सकती है। जो नक्सली मारे गए उन्हें तो दफ्ना दिया गया होगा। जलाने से उनके ठिकानों का पता चल सकता है। लेकिन जो घायल हुए हैं उनका इलाज कहां और कैसे हो रहा है कौन उनकी गोलियां निकालने गया है? यह वो भेदिया जानता है।</p>
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<strong>नक्सलियों का कम्युनिकेशन सिस्टम का तोड़ सुरक्षाबलों के पास नहीं?</strong></p>
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ऐसा भी कहा जा रहा है कि भेदियों की भी टोली हो सकती है। शायद इस टोली में वो भेदिया भी हो सकता है जो सुरक्षाबलों पर दबाव डाल रहा था कि हिडमा के गांव की ओर बढने की बजाए समझौता कर लेना चाहिए। एक दो नक्सलियों की रिहाई की रास्ता निकाल लिया जाए और सुरक्षाबल चैन से काम करें। जब ये बात नहीं मानी गई तो सुरक्षाबलों की सारी जानकारी हिडमा और उसके गुर्गो तक पहुंचा दी गई। इंटेलिजेंस सूत्रों का कहना है कि नक्सलियों के पास बेहतर कम्युनिकेशन सिस्टम है जिसको पकड़ना या हैक करना मुश्किल है।</p>
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<strong>शहादत का बदला कैसे, नक्सलियों से पहले भेदियों का काम तमाम, क्या है अमित शाह का फरमान</strong></p>
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सवाल उठता यह है कि नक्सलियों के साथ-साथ भेदियों से कैसे निपटा जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह की चेतावनी का कुछ प्रभाव होगा भी या केंद्र और राज्य सरकारों की आपसी खींचातानी का लाभ भदियों की टोली और नक्सलियों की टोली यूं ही उठाती रहेगी।</p>
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Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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