Categories: विचार

China को इंडिया के PM Modi से लगने लगा है डर! शी जिनपिंग का Tibet दौरा तो यही बताता है, देखें Exclusive Report

<p>
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पहले तिब्बत दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं। किसी भी चीनी राष्ट्रपति का यह पहला तिब्बत दौरा था। तिब्बत में ऐसा क्या बदल गया है कि चीन के राष्ट्रपति को बीजिंग छोड़ तिब्बत आना पड़ा। थोड़ा पीछे और झांकिए भारत में मोदी सरकार की दो-दो बार ताजपोशी के बाद चीन ने तिब्बत को क्या-क्या दिया है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने सारा ध्यान तिब्बत की ओर लगा दिया है।</p>
<p>
तिब्बत की जनता का भरोसा जीतने के लिए शी जिनपिंग ने विकास, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर को आंधी-तूफान की गति से बढाया है। हाल ही में 600 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ने वाली रेल भी तिब्बत को दी है। दरअसल, पाकिस्तान में एक नहीं दो-दो बार सर्जिकल स्ट्राइक से चीन के होश उड़ चुके हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पीएम मोदी की एग्रेसिव पॉलिसी से चकित हैं।</p>
<p>
शी जिनपिंग को डर है कि अगर पीएम मोदी अक्साई चिन को वापस लेने की ठान ली है तो वो ऐसा कर भी सकते हैं। अक्साई चिन हाथ से जाते ही तिब्बत में बगावत हो सकती है। तिब्बत की 99 फीसदी लोग आज भी परम पावन दलाई लामा के अनुयाई ही नहीं बल्कि उनके एक इशारे पर खुद को खत्म करने की हद तक कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे लोगों की संख्या 100-50 नहीं बल्कि लाखों में है।  जंग के हालात में तिब्बती जनता इंडियन आर्मी की मदद कर सकती है। इसलिए  शी जिनपिंग ने ल्हासा में मिलिटरी लीडर्स से कहा जंग के लिए तैयार रहो। मतलब  युद्ध के मैदान मे बहुत जल्द इंडियन आर्मी से मुकाबला होने वाला है। </p>
<p>
पाकिस्तान में दो-दो सर्जिकल स्ट्राइक और एलएसी पर भारत के एग्रेसिव रुख और गलवान झड़प ने सीमा पार दलाई लामा के अनुयाई तिब्बतियों में स्वराष्ट्रवाद की भावना ने फिर जोर पकड लिया है। कहा जा रहा है शी जिनपिंग को तिब्बतियों की भावना को दबाने और मनोवैज्ञानिक बनाने के लिए खुद मैदान में उतरना पड़ा है। शी जिनपिंग के तिब्बत दौरे के पीछे एक और कारण है। वो परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकारी का ऐलान।</p>
<p>
शी जिनपिंग तिब्बत में अपने स्वागत समारोह के वीडियो और फोटो दुनिया में भेजकर ये साबित करना चाहते हैं कि तिब्बत में परम पावन दलाई लामा को नहीं बल्कि तिब्बती अब उन्हें (शी जिनपिंग) को अपना राजनीतिक नेतृत्व मानने लगे हैं। इसलिए परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकारी का अधिकार उन्हें मिल गया है। जबकि वास्तविकता इसके उलट है। शी जिनपिंग की तिब्बत से बौध धर्म और दलाई लामा के अनुयाईयों को चुन-चुन कर खत्म कर रही है। शी जिनपिंग ने तिब्बत दौरे पर कहा भी कि सरकार साम्यवादी समाजवाद के रास्ते पर चलती रहेगी। इसी के चलते पिछले 70 सालों में तिब्बत और चीन ने अतुलनीय प्रगति की है। शी जिनपिंग ने साफ-साफ कहा कि कम्युनिस्ट शासन न होता तो तिब्बत की प्रगति नहीं होती।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago