Categories: विचार

CJI जस्टिस बोबड़े का क्रांतिकारी बयान, समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले गोवा आएं, आखें खुल जाएंगी!

<p>
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने जब अयोध्या विवाद का फैसला सुनाया तो वो उनके कार्यकाल के अंतिम दिन थे। इसी तरह अब मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबड़े के कार्यकाल के अंतिम दिन चल रहे हैं। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा भी कर चुके हैं। इसी बीच चीफ जस्टिस का ऐसा बयान आया है जिस पर कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है। लेकिन यह चीफ जस्टिस के दिल की आवाज है। उनके बयान से ऐसा आभास होता है कि वो देश में सकारात्कम बदलाव के लिए डाली गई याचिकाओं में अधिकांश फैसले भीतरी राजनीतिक परिस्थितियों के कारण टलता रहता है।</p>
<p>
दरअसल, देश में समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, लेकिन उन पर फैसला नहीं हो पाया है। जस्टिस बोबड़े ने गोवा में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) के कार्यान्वयन की सराहना की। उन्होंने कहा कि शैक्षिक हलकों में इस मुद्दे पर टिप्पणी करने वाले 'बुद्धिजीवियों' को गोवा का दौरा करना चाहिए और इस संहिता के तहत न्याय का प्रशासन देखना चाहिए।</p>
<p>
चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, "गोवा में समान नागरिक संहिता है जिसकी परिकल्पना भारत के संविधान निमार्ताओं ने की थी..और मुझे उस संहिता के तहत न्याय प्रदान करने का विशेष सम्मान प्राप्त है। यह संहिता गोवा में सभी धर्मो के मानने वाले लोगों की शादी और उत्तराधिकार मामले में लागू होता है।"</p>
<p>
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बोबड़े ने कहा, "मैंने समान नागरिक संहिता के बारे में बहुत सारी अकादमिक बातें सुनी हैं। मैं उन सभी बुद्धिजीवियों से अनुरोध करूंगा कि वे यहां आएं और यहां का न्याय प्रशासन देखें।" चीफ जस्टिस बोबडे के इस बयान से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो सकता है। हालांकि, जस्टिस बोबड़े से पहले 14 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट की ही जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा था कि कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से जुड़े भाग चार में संविधान के अनुच्छेद 44 में निर्माताओं ने उम्मीद की थी कि सरकार पूरे भारत में समान नागरिक संहिता के लिए प्रयास करेगी, लेकिन आज तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस पीठ ने यह भी कहा था कि गोवा एक ‘बेहतरीन उदाहरण’ है जहां समान नागरिक संहिता है और किसी धर्म विशेष की परवाह किए बिना सब पर लागू है। ‘</p>
<p>
गोवा में प्रचलित इस संहिता के तहत राज्य में पंजीकृत विवाह करने वाला एक मुस्लिम व्यक्ति बहुविवाह नहीं कर सकता है, एक विवाहित जोड़ा समान रूप से संपत्ति साझा करता है, विवाह पूर्व समझौते जरूरी होते हैं और तलाक के बाद पुरुष और महिला के बीच संपत्ति समान रूप से विभाजित होती है।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago