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किसान आंदोलनः 'चीन-पाक की तरह मोदी सरकार को झुकाने का मंसूबा ठीक नहीं'

नए कृषि कानून (Farm Law) में एमएसपी और मण्डी समितियों को खत्म करने की कथित आशंका को लेकर शुरू हुए आंदोलन से निपटने में सरकार लापरवाह रही है। यह आरोप उन किसानों और किसान नेताओं का है जो नए कृषि कानून (Farm Law) संशोधनों  पर सरकार के साथ हैं। इन किसानों और किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने खुद आंदोलन के नाम पर उत्पात मचाने वालों को महत्व दिया है। जो किसान सरकार को मदद कर रहे हैं, उनसे न तो बात की जा रही है और न कोई महत्व दिया जा रहा है। यही कारण है कि नए कृषि कानून (Farm Law) में संशोधन के नाम पर चले आंदोलन में देश द्रोही तत्व भी शामिल होते जा रहे हैं। ये लोग सरकार के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा पाकिस्तान और चीन करते हैं। पाकिस्तान और चीन भी भारत को झुकाने के ख्वाब देखते रहते हैं और ये लोग भी ऐसे ही मंसूबे पाले हुए हैं।

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इस  बारे में किसान नेता वीएम सिंह का मानना है कि कुछ लोग अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे है, और सरकार भी ऐसे ही किसानों को वार्ता के लिये बुलाती है। इस सम्बंध में मेरा मानना तो यह है कि भारत के किसानों की आबादी से 0.01% से भी कम लोग जो तीन अक्षर 'किसान' पर अपनी राजनीति कर रहे हैं। ये लोग किसान हित में बिल में संशोधन पर सहमत क्यो नहीं है। मात्र बिल वापसी की जिद पर अड़े रहना किसान हित की बात करना नहीं हो सकता। ये लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और सरकार को झुकाना चाहते हैं। इनकी मंशा सरकार ही नहीं देश को कमजोर करना है। यह न तो किसानों के हित में है और न देश हित में है।

<img class="alignnone wp-image-21177 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/Shekhar-Dixit.jpg" alt="Shekhar Dixit" width="1280" height="720" />

इस बारे में राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित का कहना है कि देश में बहुत से विद्वान किसान हैं। जिन्हें खेती-किसानी के साथ कानून का भी ज्ञान है। ये किसान न तो राजनीति में हैं और न ही उनकी कोई महत्वाकांक्षा है। सरकार को ऐसे किसानों को वार्ता के लिए बुलाना चाहिए जो पढ़े-लिखे भी हैं और खेतों में खुद काम भी करते हैं। अगर उन लोगों को सरकार महत्व देती तो आज यह नौबत नहीं आती। शेखर दीक्षित जैसे किसानों का यह भी कहना है कि सरकार केंद्र की हो या राज्य की उसे उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। गन्ना किसानों को फसल बिक्री के बाद पैसों को दर दर भटकना पड़ता है। इसलिए गन्ना फैक्ट्रियों पर ऐसे कानून लागू किए जाएं जिससे अधिकतम मात्र पन्द्रह दिन के अन्दर गन्ने का भुगतान गन्ना किसानों को मिल जाए। दाल-दलहन हो या गेहूं-धान-गन्ना सभी के लिए किसान हित में कानून होने चाहिए।.

सतीश के. सिंह

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