संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया भर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों की बढ़ती संख्या की निंदा की है। यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने यह बात कही।
"हाल ही में मेक्सिको के स्टेट ऑफ वेराक्रूज के एक अखबार में पत्रकार जूलियो वाल्डिविया रोड्रिग्ज की हत्या, उन खतरनाक और कठिन परिस्थितियों का एक और उदाहरण है, जिसमें पत्रकार काम करते हैं।"
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Secretary-General <a href="https://twitter.com/antonioguterres?ref_src=twsrc%5Etfw">@antonioguterres</a> is appalled at the continued & increased numbers of attacks against journalists & media workers. He reiterates his call that a free press is essential for peace, justice, sustainable development & human rights. <a href="https://t.co/gC4548WWjH">https://t.co/gC4548WWjH</a></p>— UN Spokesperson (@UN_Spokesperson) <a href="https://twitter.com/UN_Spokesperson/status/1304553073365471234?ref_src=twsrc%5Etfw">September 11, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
खबरों के अनुसार, 44 वर्षीय वाल्डिविया का गर्दन कटा शव एक दूरदराज की नगर पालिका में पाया गया था। वह कथित तौर पर इस साल मरने वाले चौथे मेक्सिकन पत्रकार हैं।
मीडिया की स्थिति की बात करें तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का ज़िक्र न हो ऐसा कैसे हो सकता है। आए दिन पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने के लिए गिरफ्तार करना और प्रताड़ित करना इस देश में आम है।
6 सितंबर को पाकिस्तान टेलीविज़न में काम करने वाली शाहीना शाहीन की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई। वे बलोचिस्तान की रहने वालीं थीं और पाकिस्तान की सेना जिस तरह से बलोच समाज की आवाज़ दबाती आई है, उससे दुनिया वाकिफ है।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">A journalist, an anchorperson, an art lover brutally murdered in Balochistan today. 2nd woman journalist killed in Pakistan in last 10 months. Strongly condemned this cold blooded murder of Shaheena in a place where we already have dearth of women journalists. <a href="https://twitter.com/hashtag/JusticeForShahina?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#JusticeForShahina</a> <a href="https://t.co/SNJ2YBP3TW">pic.twitter.com/SNJ2YBP3TW</a></p>— Nighat Dad (@nighatdad) <a href="https://twitter.com/nighatdad/status/1302346754101137409?ref_src=twsrc%5Etfw">September 5, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
पेशे से वकील निगहत अब्बास ने लिखा कि पाकिस्तान में पत्रकार होना कितना खतरनाक है और उस पर अगर आप महिला हैं तो आपको अपने परिवार, समाज और सरकार सभी से खतरा है।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">It's never been a more dangerous time to be a journalist & activist. Female journalists face greater threats, ranging from their own families to other diverse actors. From online abuse to the abduction and killing. Like we had one today, cold blooded murder <a href="https://twitter.com/hashtag/JusticeForShaheena?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#JusticeForShaheena</a></p>— Nighat Dad (@nighatdad) <a href="https://twitter.com/nighatdad/status/1302349024846987265?ref_src=twsrc%5Etfw">September 5, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
पाकिस्तान में आए दिन पत्रकार उठा लिए जाते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे वे डरें और वही लिखें जो सत्ता और ISI चाहती है। पाकिस्तान के पत्रकार तहा सिद्दीकी आजकल पाकिस्तान से दूर पेरिस में रह रहे हैं। तहा पर 10 जनवरी 2018 को इस्लामाबाद में जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे.<a href="https://www.washingtonpost.com/opinions/2019/01/08/im-journalist-who-fled-pakistan-i-no-longer-feel-safe-exile/" rel="noopener noreferrer" target="_blank"> उन्होंने लिखा </a>कि उनके अनुसार यह हमला उन पर पाकिस्तानी सेना ने करवाया था।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Exactly a yr ago at this hr, I survived abduction&possible assassination attempt by <a href="https://twitter.com/hashtag/PakistanArmy?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#PakistanArmy</a>. 1 yr after threats have followed me abroad too& have forced me to think whether its all worth it. I explain why it is in my latest & 1st for <a href="https://twitter.com/washingtonpost?ref_src=twsrc%5Etfw">@washingtonpost</a>: <a href="https://t.co/CYiO6foFZ9">https://t.co/CYiO6foFZ9</a></p>— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) <a href="https://twitter.com/TahaSSiddiqui/status/1083204282126483457?ref_src=twsrc%5Etfw">January 10, 2019</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
2012 में पाकिस्तान से जान बचाकर भागे पत्रकार साजिद हुसैन ने स्वीडन में जाकर शरण ली, लेकिन इस साल मई में उनकी हत्या कर दी गई। हुसैन भी बलोचिस्तान के रहने वाले थे और बलोचिस्तान टाइम्स के मुख्य संपादक थे।
हुसैन की पत्नी ने बताया था कि उनके पति ने कई बार आशंका जताई थी कि उनका पीछा किया जा रहा है।
एक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान के 88 प्रतिशत पत्रकार डर की वजह से खुद ही वैसी खबरें लिखते हैं जो सरकार चाहती है। <a href="http://www.journalismpakistan.com/88-percent-pakistani-journalists-self-censor-in-professional-and-79-percent-in-personal-settings-study" rel="noopener noreferrer" target="_blank">'सरेंडरिंग टू साइलेंस'</a> नाम की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं।
हाल ही में प्राइवेट टीवी चैनल 'रिपब्लिक भारत' में काम करने वाले पत्रकार को जेल में डाल दिया गया और उसे अभी तक ज़मानत नहीं मिल पाई है। पत्रकारों पर हमले और आवाज़ दबाने की कोशिशें भारत में भी होती रही हैं। .
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