Categories: विचार

Hannan Mollah: एक बंगाली वामपंथी नेता ने हाईजैक कर लिया पंजाब का किसान आंदोलन!

पंजाब के किसानों के आंदोलन में  पश्चिम बंगाल के <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Hannan_Mollah"><strong><span style="color: #000080;">हन्नान मुल्ला</span></strong></a> (Hannan Mollah) कैसे आ गए और एमएसपी-एपीएमसी को लेकर शुरू हुआ आंदोलन इस मुकाम तक कैसे पहुंचा ? यह एक यक्ष प्रश्न है। दिल्ली को घेरकर बैठे किसानों की सरकार के साथ पांचवे दौर की वार्ता होनी थी। उस दिन यह लगभग तय हो गया था कि सरकार किसानों की कुल पांच मांगों से तीन मुख्य मांगों पर लिखित आश्वासन दे देगी। उसके बाद एक सौहाद्रपूर्ण वातावरण में <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/farmers-protest-governments-attitude-soft-farmers-not-ready-bow-down-20238.html"><strong><span style="color: #000080;">आंदोलन</span> </strong></a>का अंत हो जाएगा। पांचवे दौर की वार्ता में किसानों की ओर से 41 संगठनों के नेता पहुंचे थे। ध्यान रहे इससे पहले की वार्ता में क्रमशः इक्कीस, छब्बीस और 28 किसान संगठन ही बातचीत के लिए सरकार के पास पहुंचे थे। चौथे दौर की वार्ता के बाद 32 किसान संगठन आगे आ चुके थे। जैसे-जैसे नेताओं की संख्या बढ़ रही थी वैसे-वैसे समस्या का हल दूर होता और सरकार की कोशिशें जारी थीं।

पाचवें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता बाहर आए तो प्रेस वार्ता 'हाईजैक' हो चुकी थी। पंजाब के सिख किसान नेताओं की जगह घोर बामपंथी राजनेता हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah) मीडिया के सामने थे। मुल्ला (Hannan Mollah) कह रहे थे कि सरकार को झुका कर रहेंगे। मुल्ला (Hannan Mollah) का जोर किसानों की समस्या के हल  पर नहीं बल्कि सरकार को झुकाने पर ज्यादा था। 8 दिसंबर  मंगलवार की देर रात तक भी हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah) सरकार को झुकाने पर अड़े थे। किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए नहीं।

मूल प्रश्न पर आते हैं कि सरकार को झुकाने पर अड़े हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah) की एंट्री किसान आंदोलन में कैसे हुई? ऐसा बताया जाता है कि एनडीए से अलग हो चुके शिरोमणि अकाली दल ने किसान आंदोलन का सेहरा अपने सिर बांधने के लिए पश्चिम बंगाल का रुख किया। बीजेपी के साथी रहे शिरोमणि अकाली दल को बाम पंथियों से कोई मदद नहीं मिल रही थी। बड़े बादल साहब ने ममता दीदी को फोन किया और मदद की गुहार लगाई। ममता दीदी के माथे पर किसान विरोधी सिंगूर काण्ड दाग लगा हुआ है। इसलिए ममता दीदी न तो खुद खुल कर सामने आ सकती थी और न अपने नेता को भेज सकती थी। इसलिए ममता दीदी ने  बैक डोर चैनल्स के जरिए घोर बामपंथी हन्नान मुल्ला से संपर्क किया। हन्नान मुल्ला पोलित ब्यूरो के मेम्बर और ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हैं। पश्चिम बंगाल में ऑल इंडिया किसान सभा से दीदी को कोई खतरा नहीं है। पश्चिम बंगाल के बाहर भी इस संगठन की उपस्थिति न के बराबर है। हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah) दिल्ली आने को तैयार तो हो गए लेकिन आंदोलन का आगे से नेतृत्व करने की शर्त के अलावा कई सारी ऐसी शर्तें भी रखीं जिनका किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था।

अकाली दल और कांग्रेस के अलावा बाकी लोग मीडिया में आंदोलन का राष्ट्रीय स्वरूप दिखाना चाहते थे इसलिए हन्नान मुल्ला की शर्तों को मान लिया गया। हन्नान मुल्ला ने दिल्ली आते ही मीडिया के आगे ऐसा धमाका किया कि सरकार हिल गई। पांचवे दौर की जिस वार्ता के साथ आंदोलन खत्म होता दिख रहा था वो अंतहीन दिखने लगा है। किसान आंदोलन के सिख नेताओं की हालत हन्नान मुल्ला के पिछलग्गू कार्यकर्ताओं जैसी थी।

छठे दौर की वार्ता से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों के सात बड़े नेताओं को 8 दिसंबर की शाम बातचीत के लिए बुलाया था।यह सरकार का बड़ा और अप्रत्याशित कदम था। अमित शाह से बातचीत करने वालों की संख्या  फिर वही 40 से ऊपर पहुंच गई। पहले वन टू वन वार्ता होनी थी। समय शाम 7 बजे का था। वन टू वन वार्ता ग्रुप वार्ता में बदल गई। और देर रात शुरू होकर बेनतीजा खत्म हो गई।

दरअसल, वामपंथियों का मकसद किसान आंदोलन को कथित जन आंदोलन की शक्ल देना है। किसान आंदोलन के जरिए वामपंथी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में बंद नेताओं की रिहाई का दबाव भी बनाने लगे हैं। क्योंकि आंदोलन की कमान किसान नेताओं से निकल कर वामपंथी नेताओं के हाथों पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर सरकार तीनों किसान कानूनों को वापस लेने की बात मान भी ले तो भी आंदोलन खत्म नहीं होगा। क्यों कि वामपंथियों ने किसान नेताओं को ऐसे चक्रव्यूह (षडयंत्र) में फंसा लिया है जिससे निकलना फिल्हाल उनके वश की बात नहीं है। सरकार वामपंथियों के जाल से कैसे निकलेगी यह भी गंभीर मुद्दा है।

किसानों के नाम पर चल रहा दिल्ली को घेरने का आंदोलन कभी इस मुकाम तक नहीं पहुंचता अगर सरकार की 'एजेंसियां' इतनी निकम्मी न होतीं।.

सतीश के. सिंह

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago