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IGCAR के वैज्ञानिकों का हैरत अंगेज खुलासा- भारत जैसे चाहेगा वैसी चलेगी दुनिया, न चीन की हेकड़ी चलेगी न अमेरिका की दादागीरी

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<span style="color:#b22222;"><strong><em>'दुनिया में अगर ऊर्जा के भण्डार सबसे अधिक किसी के पास होंगे तो वो भारत के पास होंगे। भारत जैसे चाहेगा, दुनिया वैसे ही चलेगी। अब न चीन की हेकड़ी चलेगी न अमेरिका की दादागिरी। आखिर ऐसा होगा कैसे! समझते हैं इस रिपोर्ट में'</em></strong></span></h3>
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<strong>भारत से अब दोस्ती क्यों!</strong></p>
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अब समझ में आ रहा है कि दुनिया भारत के पीएम मोदी के आगे नतमस्तक क्यों होती जा रही है? यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि तैल, गैस और लीथियम जैसे भण्डार जिन देशों के पास हैं उनकी तूती दुनिया में बोलती है। इसके बाद यूरेनियम जिसके पास सबसे ज्यादा है उनकी तूती बोलती है। इसके इतर देखने में आ रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जो भी हैं सब भारत के साथ दोस्ती को, भारत के साथ अच्छे संबंधों को तरजीह क्यों  दे रहे हैं!</p>
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<strong>य़ूक्रेन-रूस संघर्ष में भारत को क्यों नहीं झुका पाया अमेरिका!</strong></p>
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अरब देश तैल और गैस सप्लाई की बदौलत दुनिया की किसी चीज को खरीदने की क्षमता रखते हैं। रूस तैल, गैस और कोयला भण्डार की वजह से यूरोप, अमेरिका और नाटो से लोहा ले रहा है। दो महीने से ज्यादा समय बीत गया है और उसे कोई डिगा नहीं पाया है। अमेरिका, यूरोप और नाटो का अंदाजा था कि यूक्रैन जंग को खींच कर रूस को आर्थिक तौर तोड़ दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यूरोप ही नहीं खुद अमेरिका रूस से तैल-गैस खरीद रहा है। पश्चिमी देशों के लाख दबावों को दरकिनार कर भारत रूस से तैल-गैस खऱीद रहा है।</p>
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<strong>जिसके पास एनर्जी वो सुपर पॉवर!</strong></p>
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तैल-गैस-कोयला मतलब एनर्जी-पॉवर, मतलब एनर्जी-पॉवर रूस के पास ज्यादा है। रूस के पास यूरेनियम भी है। पूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों को मिला लिया जाए तो दुनिया का सबसे ज्याद यूरेनियम यहीं है। मौजूदा हालात में दुनिया का 70 फीसदी यूरेनियम मात्र तीन देशों के पास है ये देश हैं कजाखिस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया। कजाखिस्तान आज भी रूस के डिफेंस अम्बरेला में है। कहने का मतलब यह कि रूस ने एनर्जी-पॉवर सप्लाई रोक दी तो रूस के खिलाफ यूक्रैन को मदद करने वाले घुटनों पर आ जाएंगे। बल्कि घुटनों पर आना शुरू हो चुके हैं। रूस से सीधे संघर्ष में उलझने की हिम्मत अमेरिका और ब्रिटेन भी नहीं कर पा रहे हैं। भारत के पास ऐसा क्या है जो अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप यहां तक कि अरब देश भारत की मोदी सरकार को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं। यूक्रेन-रूस संघर्ष में भारत की राय अमेरिका-ब्रिटेन और यूरोप से एकदम अलग है।</p>
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<strong>यूं ही नहीं बदला भारत के प्रति दुनिया का नजरिया</strong></p>
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भारत में एनडीए की शक्ल में जब से पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, तभी से दुनिया की बड़ी ताकतों का नजरिया बदलने लगा है। भारत को सम्मान की नजर से देखा जाने लगा है। आखिर इसका क्या कारण है? इस कारण का रहस्योद्घाटन किया है इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च (आईजीसीएआर) कलपक्कम के अभियांत्रिक विज्ञानी ने। एक सोर्स के मुताबिक एनडीए यानी नरेंद्र मोदी सरकार ने एटॉमिक साइंटिस्ट को पूरी स्वतंत्रता और साधन-संसाधन देकर कहा एक खास प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द सफल बनाने के निर्देश दिए हैं। साइंटिस्ट सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं और दुनिया का नजरिया भारत के प्रति बदलता जा रहा है।</p>
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<strong>जर्नलिस्ट्स की वर्कशॉप से पहले हो गया इतना बड़ा रहस्योद्घाटन</strong></p>
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आईजीसीएआर परिसर में डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी और एनयूजेआई (नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया) के सहयोग से एक वर्कशॉप चल रही है। इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य तो एटॉमिक एनर्जी के प्रति जागरूकता लाना है। इस वर्कशाप के एक अनौपचारिक परिचय सम्मेलन में सेंटर के वैज्ञानिकों ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सामने एक बड़ा रहस्योद्घाटन कर दिया। एक वैज्ञानिक ने परिचय के दौरान पीएमपीआर और फिसाइल मैटेरियल की जानकारी देनी शुरू की। उन्होंने समझाया कि यूरेनियम जलाने से प्लूटोनियम बनता है। प्लूटोनियम यूरेनियम से ज्यादा एक्टिव एनर्जी देता है।</p>
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<strong>दुनिया के 50 फीसदी थोरियम भण्डार भारत के पास</strong></p>
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भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में सबसे सस्ती एटॉमिक एनर्जी डेवलप करने जा रहे है। इसी बीच  उन्होंने एक धातु का नाम बताया। यह बहुत महत्वपूर्ण धातु है थोरियम। यूरेनियम के मुकाबले थोरियम से कई गुना ज्यादा एनर्जी डेवलप की जा सकती है। ये यूरेनियम से विकसित होने वाली एनर्जी से काफी सस्ती भी हो सकती है। भारत के बाद कोई दूसरा देश जो थोरियम से एनर्जी-पॉवर विकसित करने का काम कर रहा है वो चीन है, लेकिन चीन के पास थोरियम के भण्डार भारत के मुकाबले बहुत कम है।  पूरी दुनिया का 50 प्रतिशत थोरियम भण्डार भारत के पास है। सेटेलाइट अर्थ एक्सप्लोरेशन के जरिए दुनिया के कुछ देशों को पता चल चुका है कि भारत थोरियम से एनर्जी-पॉवर विकसित करने के नजदीक पहुंच चुका है। इसलिए वो जान गए है कि नियर फ्यूचर में भारत सुपर वर्ल्ड का सुपर पॉवर है। इसलिए उन्होंने भारत के प्रति रवैया अभी से बदल लिया है।</p>
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<strong>अमेरिका हो या चीन सब झुकेंगे भारत के चरणों में </strong></p>
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अभियांत्रिक विज्ञानी  बताते हैं कि थोरियम से एनर्जी विकसित करने का क्रम शुरू होते ही अमेरिका-चीन और दुनिया की दूसरी ताकतें भारत के पास आएंगी। भारत को किसी के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वसंत कुमार के शब्दों का आश्य यह है कि आने वाले कल का एनर्जी किंग भारत है। इसलिए जिन देशों की समझ में आ गया है वो अभी से भारत सुपर पॉवर जैसा दर्जा देने लगे हैं।</p>
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<strong>भारत को सीमाओं पर उलझा कर रखना चाहता है चीन </strong></p>
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अभियांत्रिक विज्ञानी के शब्दों को चीन के नजरिए से देखें तो चीन भारत को भीतर और बाहर उलझा कर रखना चाहता है। ताकि सरकार का ध्यान सीमा पर और सीमा के भीतर संघर्षों में बंटा रहे और थोरियम से एनर्जी-पॉवर विकसित करने की प्रक्रिया पर धीमी हो जाए। इसीलिए चीन, पाकिस्तान को भारत के खिलाफ खड़ा करने में लगा है। चीन इसीलिए पीओके-गिलगिट बालटिस्तान पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। इसीलिए चीन ने ‘गलवान’मेंभारतीय सेना को संघर्ष के लिए उकसाया था। चीन की चिंता कमजोर पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत का थोरियम एनर्जी प्रोजेक्ट है।</p>
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<strong>पीओके-गिलगिट तो वापस आएगा ही चीन को अक्साई चिन भी लौटना पड़ेगा</strong></p>
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सारांश यानी मोरल ऑफ स्टोरी यह है कि थोरियम एनर्जी प्रोजेक्ट की सफलता के साथ ही भारत के सामने दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें फर्शी सलाम ठोंकती नजर आएंगी। उस समय भारत न केवल पीओके-गिलगिट बाल्टिस्तान वापस ले लेगा बल्कि चीन को भी अक्साई चिन वापस करना होगा।  </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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