Hindi News

indianarrative

नियाजी को को पता ही नहीं चला! जनरल बाजवा ने कतर दिए पर, PM Imran Khan को Ex Prime Minister बना दिया

इमरान घर के न घाट के, बाजवा ने कतर दिए पर

इमरान खान ने अविश्वास को खारिज करने और पाकिस्तान का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने की साजिश तो बहुत आला दर्जे की रची थी, लेकिन आर्मी चीफ जनरल बाजवा और प्रेसीडेंट आरिफ अलवी ने इमरान खान की साजिश को पलीता लगा दिया। जनरल बाजवा ने ‘कप्तान’के ऐसे पर कतरे हैं कि वो आसमान से सीधे जमीन पर आ गिरे हैं।

इमरान खान एक ही झटके में वजीर-ए-आजम पाकिस्तान से साबिक वजीर-ए-आजम पाकिस्तान बना दिया।  जनरल  बाजवा ने यह कार्रवाई इतनी सफाई से की है कि इमरान खान और चमचों तक को हवा नहीं। इमरान खान और उनके चमचे इसी खुशी में भांगड़ा डालते रहे कि उन्होंने पीएमएलएन, पीटीआई और जमीयत उलेमा (एफ) को सियासी अखाड़े में धूल चटा दी। यानी नेशनल असैंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा ही नहीं होने दी। उसे चर्चा से पहले से खारिज करवा दिया। शहबाज शरीफ, बिलावल, मरियम और मौलाना फजल उर रहमान परेशान थे कि इमरान ने पाकिस्तान के संविधान के साथ न केवल खिलवाड़ किया बल्कि उनके साथ धोखा किया। ये नेता सुप्रीम कोर्ट के सूमोटो एक्शन से खुश थे। ये लोग इसी काम में व्यस्त रहे कि किसी तरह सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी स्पीकर की कार्यवाही पर स्टे ले लें।

रविवार को निर्धारित समय से डेढ़ घण्टा देरी से शुरू हुई सदन की कार्यवाही में पाकिस्तान के कानूनमंत्री फवाद चौधरी ने 30 सेकेंड की तकरीर दी और संविधान के आर्टिकल 5 का हवाला देते हुए अविश्वास को खारिज करने की मांग रख दी। इसके तुरंत बाद डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अपने आसंदी के अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए पहले से लिखे हुए और बाहर से लिखकर भेजे गई चिट्ठियों को एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से पढ़ा और विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को बिना चर्चा और बिना वोटिंग के ही खारिज कर दिया। जिस समय कासिम सूरी पाकिस्तान के संविधान को हलाल कर रहे थे उस समय इमरान खान भी सदन में नहीं थे। उनकी पार्टी के मात्र 50 सांसद ही सदन के भीतर थे। जबकि विपक्ष के खेमे में 199 सदस्य थे।

पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष के नेताओं को स्पीकर असद कैसर के ऊपर संदेह हो गया था इसलिए सुबह होते ही उनके खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जा चुका था। इसीलिए उनकी जगह पर डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने कार्यवाही जिम्मेदारी संभाली थी, लेकिन पर्चियां तो पहले से लिख कर रखी गई थीं। कासिम सूरी को तो सिर्फ उन्हें पढ़ना भर था। हां अगर विपक्ष ने स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया होता तो शायद इमरान खान की साजिश धरी की धरी रह जाती।

बहरहाल, इमरान खान को क्या मालूम था कि उनके उनकी साजिश के खिलाफ भी साजिश की जा रही है। यह स्मार्ट मूव आर्मी चीफ जनरल बाजवा का था। डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के ऐलान के कुछ मिनटों के बाद इमरान खान पहले से सजे मंच पर आए और नेशनल टीवी पर मुल्क को संबोधित किया। मुल्क को मुबारकबाद दी और असैंबली के साथ कैबिनेट को भी बर्खास्त करने का ऐलान कर दिया। ऐसा बताया जाता है कि इमरान के इस मूव पर जनरल बाजवा के निर्देश पर डीजी आईएसपीआर ने बयान दिया कि नैशनल असेंबली की कार्यवाही से उनका कोई लेना देना नहीं है। इसी के साथ जनरल बाजवा ने राष्ट्रपति जनरल बाजवा के पास एक दूत भेजा कि इमरान खान को कार्यवाहक पीएम की चिट्ठी जारी न करें।

पाकिस्तान के भीतरी सूत्र बताते हैं जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने नेशलन असेंबली की कार्यवाही पर सूमोटो एक्शन का ऐलान किया वैसे ही जनरल बाजवा और आरिफ अलवी की खुफिया बैठक हुई और इमरान खान के पर कतरने वाली चिट्ठी जारी तत्काल प्रभाव से जारी करवा दी। यानी इमरान खान की प्रधानमंत्री की हैसियत से सारे अधिकार छीन लिए गए। इसी चिट्ठी के साथ ही पाकिस्तान सरकार विहीन हो गया और जनरल बाजवा पाकिस्तान के बेताज बादशाह बन गए क्यों कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अगले आदेश तक मुल्क के लॉ एण्ड ऑर्डर संभालने की जिम्मेदारी फौज के कंधों पर डाल दी।

 

 

सोचा था कि डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के मुंह से स्पीकर असद कैसर की चिट्ठी सदन में पढ़वाकर न केवल अवि