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अमेरिका में सत्ता बदलने के साथ ही दुनिया के राजनीतिक हालातों में भी बदलाव होने लगा है। अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ तल्ख रवैया अख्तियार किया है तो ईरान के साथ कुछ नरम हुआ है। पाकिस्तान (Pakistan) के साथ सऊदी अरब के संबंध पहले से ही खराब चल रहे हैं। इन परिस्थितियों में सऊदी अरब को एक भरोसेमंद सुरक्षा-सैन्य साझीदार के तौर पर भारत को चुन लिया है। इसी नीति के तहत सऊदी अरब (Saudi Arab) ने भारतीय सेना (Indian Army) को संयुक्त युद्धाभ्यास (Joint Military Exercise) के लिए आमंत्रित किया है। ऐसा भी माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया यहीं तक सीमित नहीं है। धीरे-धीरे भारतीय सुरक्षा बल सऊदी अरब की आतंरिक सुरक्षा में शामिल होंगे और सऊदी सैन्य बलों को प्रशिक्षित करेंगे। भारत के स्पेशल फोर्सेस की टुकड़ी सऊदी सैन्यबलों की सहायता के लिए हमेशा रियाद में तैनात रहेंगी।</p>
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सऊदी अरब और भारत के बढ़ते सैन्य और सुरक्षा सहयोग से पाकिस्तान की हालत खस्ता होने लगी है। पाकिस्तान की सरकार ने सऊदी अरब को समझाने के बजाए तुर्की की गोद में बैठने का फैसला किया। हालांकि खुद तुर्की ने हाल ही में सऊदी अरब के सामने घुटने टेक दिए हैं। बहरहाल सऊदी अरब और भारत का यह युद्धाभ्यास अब तक के इतिहास में इन दोनों देशों के बीच पहला युद्धाभ्यास होगा। आज से पहले सऊदी अरब अपनी सेना को युद्ध की बारीकियां सिखाने के लिए पाकिस्तान और अमेरिका के भरोसे रहता था। लेकिन, मोदी सरकार की विदेश नीति और हाल में ही भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की रियाद यात्रा के बाद सऊदी अरब की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।</p>
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&nbsp;इस युद्धाभ्यास से न केवल सऊदी अरब की सेना की ताकत में इजाफा होगा, बल्कि खाड़ी के देशों में रणनीतिक हालात में भी बड़ा बदलाव होगा। पिछले साल के अंतिम महीने में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी अरब के ऐतिहासिक दौरे पर पहुंचे थे। यह भारत के किसी भी सेना प्रमुख का सऊदी अरब और यूएई का पहला दौरा था। इस दौरान उन्होंने न केवल दोनों देशों के सेना प्रमुखों से मुलाकात की, बल्कि यहां के बड़े स्तर के कई नेताओं के साथ भी बैठकें भी की थी। यही कारण है कि सऊदी अरब ने भारत के साथ युद्धाभ्यास करने का निर्णय लिया है।</p>
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सऊदी अरब का भारत के साथ सैन्य संबंध बढ़ाना सीधे तौर पर पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका है। अबतक पाकिस्तान अपनी सेना का लालच देकर ही सऊदी अरब से खैरात पाता था। लेकिन, पिछले साल कश्मीर को लेकर प्रिंस सलमान की आलोचना करने के कारण पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। सऊदी को मनाने पहुंचे पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भी बिना प्रिंस से मिले खाली हाथ वापस लौटना पड़ा था।</p>
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