भारतीय स्कॉलर और सोशल एक्टिविस्ट याना मीर ने इजराइल-फिलिस्तीन में चल रहे खूनी संघर्ष के पांचवे दिन एक वीडियो यू ट्यूब पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो के शेयर होते ही याना मीर के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है। याना मीर ने फिलिस्तीन के इतिहास रोशन डाली है। उन्होंने कहा है कि अलविदा जुमे को फिलिस्तीनी अल अक्सा मस्जिद में अपने साथ पत्थर ले गये थे। नमाज के दौरान ही उन्होंने अल अक्सा मस्जिद की हिफाजत में लगे इजराइली सैनिकों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी।
इस पत्थरबाजी के बाद इजराइली फोर्सेस ने अल अक्सा मस्जिद को खाली करवा लिया। बाद में एक बार फिलिस्तीनियों की ओर से इजराइल रॉकेट दागे गये। समय के साथ पिछेल पांच दिन से इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष गहराता जा रहा है। बीती रात को सीरिया ने भी इजराइल पर रॉकेट दागे हैं। सीरिया के कूद पड़ने से युद्ध भयंकर होने की आशंका बलबती हो गई है।
याना मीर ने बताया है कि पढ़े-लिखे मुसलमानों को येरुशलम का इतिहास जानने की जरूरत है। येरूशलम ईसा मसीह और माता-पिता का जन्म स्थान है। यह यहूदियों की ही जमीन है। इस पर मुसलमानों से कब्जा किया। मस्जिद बनवाई। इस जमीन को यहूदियों ने फिर से फतह किया और मुसलमानों को रहने की इजाजत दी।
याना मीर ने सवाल उठाया है जो सरकार आपको नमाज पढ़ने की इजाजत देती है, आपको आपके मजहब को फॉलो करने की इजाजत देती है वो आपके खिलाफ कैसे कार्रवाई कर सकती है। याना ने कहा है कि फिलिस्तीन के एक आतंकी गुट का नाम है हमास। इसका मकसद यहूदियों को बदनाम करना और उनके खिलाफ अभियान चलाकर इस्लाम के बहाने दुनिया से मदद हासिल करना है। इस्लाम की किसी भी किताब में कहीं भी नहीं लिखा है कि यहूदियों को दुनिया से खत्म कर दो। लेकिन ये लोग कहते हैं। याना मीर का मानना है भारतीय मुसलमान इस्लाम की पैरवी कर सकता है, लेकिन इस्लाम के नाम पर आतंकवाद फैलाने की पैरवी नहीं कर सकता।