जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजातीय लोगों को समर्पित ‘जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय’ विकसित कर रहा है। ऐसा 15 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय स्थापित करने की घोषणा के अनुपालन में किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि सरकार की उन राज्यों में स्थायी संग्रहालय स्थापित करने की इच्छा है यहां जनजातीय लोग रहते थे और जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और उनके सामने झुकने से मना कर दिया था। सरकार विभिन्न राज्यों में इस तरह के संग्रहालयों के निर्माण का काम करेगी ताकि आने वाली पीढि़यों को यह पता चल सके कि बलिदान देने में हमारे आदिवासी कितने आगे थे।
प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार सभी संग्रहालयों में वर्चुअल रियल्टी (वीआर), ऑगमेंटेड रियल्टी (एआर), 3 डी / 7 डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शनों जैसी प्रौद्योगिकियों का भरपूर उपयोग होगा। गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम और मणिपुर राज्य में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय मंजूर किए गए हैं।
ये संग्रहालय इतिहास की उन पगडंडियों का पता लगाएंगे जिन पर चलकर जनजातीय लोगों ने पहाड़ियों और वनों में अपने जीने और इच्छा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी। इसलिए इनमें पुनरुद्धार पहलों तथा सभी प्रकार के संरक्षण का समावेश प्रदर्शित किया जाएगा। इनमें प्रयोजनों के साथ-साथ विचारों का संग्रह भी होगा।
इन संग्रहालयों में आदिवासी लोगों की जैविक और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण संबंधी चिंताओं की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष के तरीकों को प्रदर्शित किया जाएगा, क्योंकि उनसे राष्ट्र निर्माण में मदद मिली है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस बारे में राज्यों के साथ कई दौर की बातचीत की। जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की समिति (एनएलसी) का गठन किया गया था ताकि प्रगति की निगरानी समेत प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा सके और मंजूरी दी जा सके।
प्रस्तावित संग्रहालयों की अवधारणा और डिजाइन के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए राज्य सरकारों के साथ अनेक अवसरों पर बैठकों का आयोजन किया गया। राज्य सरकार के अधिकारियों को ‘विरासत-ए-खालसा’ संग्रहालय, पंजाब और ‘मानव संग्रहालय’ भोपाल का दौरा करने का अवसर प्रदान किया गया ताकि उन्हें कथानक के अनुरूप संग्रहालय के डिजाइन और प्रौद्योगिकी के उपयोग से परिचित कराया जा सके।
विस्तृत विश्लेषण के बाद गुजरात में राष्ट्रीय महत्व के एक अति आधुनिक जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय का निर्माण करने का निर्णय लिया गया था। मंत्रालय ने अभी तक 9 अन्य राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालयों को स्थापित करने की मंजूरी दी है।
स्वीकृति दिए गए 9 स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालयों में से 2 संग्रहालयों का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है और शेष बचे 7 संग्रहालय कार्य प्रगति के विभिन्न चरणों में है। अनुमान है कि 2022 के अंत तक सभी संग्रहालय अस्तित्व में आ जाएंगे। इसके अलावा राज्यों के सहयोग से आने वाले दिनों में और नए संग्रहालयों को भी मंजूरी दी जाएगी।
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