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#Longmarch इमरान खान का एक और U Turn, नियाजी ने किया पश्तूनों के भरोसे का कत्ल किया, इस्लामाबाद धरना खत्म

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कई बेगुनाहों को बेमौत मरवाने और दर्जनों लोगों को घायल करवाने के बाद इमरान खान आखिर 24 घण्टे पूरे होने से पहले ही धरना खत्म करके वापस कैसे चले गए। इमरान खान ने अपने कार्यकर्ताओं और टाइगर फोर्स के जज्बे को तमाशा क्यों बना दिया। इस्लामाबाद को मजाक का मरकज क्यों बना दिया? कुछ लोग कह रहे हैं कि बैक डोर डिप्लोमैसी चल रही है। शहाबाज शरीफ और इमरान खान के बीच बातचीत चल रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि सेना पर्दे के पीछे रह कर दोनों पक्षों को बातचीत के टेबुल पर आने के लिए दबाव डाल रही है तो कुछ लोगों का कहना है कि जनरल बाजवा ने सीधे इमरान खान को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर हद पार की गई तो फौजियों के ट्रिगर दब जाएंगे। उसके बाद जो नतीजे होंगे उसके लिए आप यानी इमरान खान और उनकी किचन कैबिनेट के लोग होंगे। जिम्मेदारी का मतलब गिरफ्तारी होगी। टार्चर होगा। मुकदमे चलेंगे। यह मुकदमा मुल्क से गद्दारी का भी हो सकता है। मुल्क से गद्दारी की सजा, सजा-ए-मौत है।</p>
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ज्यादातर लोगों का मानना है कि आखिरी बात में ज्यादा सच्चाई है। इमरान खान ने अगर धरना खत्म करने का ऐलान न किया होता तो खुद इमरान खान बनिगाला नहीं जेल की किसी टॉर्चर सेल में होते। उनके कारकूनों का क्या हाल होता-यह तो वो ही जान पाते। पाकिस्तान के सदर डॉक्टर आरिफ अल्वी कह दिया गया था कि इशारा मिलते ही पख्तूनख्वाह सरकार को बर्खास्त कर वहां किसी फौजी हुक्काम को ही गवर्नर तैनात किया जाए। एक प्लान यह भी था कि अगर आरिफ अल्वी आखिरी समय पर मुकर जाएं तो उन्हें भी गिरफ्तार कर साजिद संजरानी को काम मुकामी सदर से हलफ लिया जाए और फिर सारी कार्रवाई को सर अंजाम दिया जाए। इस्लामाबाद के बाद सिंध, पंजाब को भी फौज के हवाले कर दिया जाए। फौज की तैनाती उस वक्त रहे जब तक सारा मामला ठण्डा न हो जाए।</p>
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बताते हैं कि आखिरी समय पर इमरान खान के पास बुशरा बीबी (पिंकी पीरनी) का मैसेज आया कि धरना खत्म कर बनिगाला लौट जाओ। भलाई इसी में है। पिंकी पीरनी का मैसेज इमरान खान के लिए खुदा से बड़ा पैगाम था। अली असगर, शेख राशिद, शाह महमूद कुरैशी और तमाम वो लोग जो इमरान खान के शाने-व-शाने खड़े थे वो इमरान खान के इस अचानक ऐलान से हक्का-बक्का थे। मगर क्या करते। इलेक्शन की डेट्स लेकर ही धरना खत्म करने की कसम खाने वाले इमरान खान ने उन लोगों से एक बार भी नहीं पूछा कि भाई अब क्या करना है?बस,घबराना है और घबराना है, वरना आगे सियासत खत्म है।   </p>
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जिन्ना एवेन्यू पर अपने वर्कर्स को खिताब करने आए इमरान खान ने सरकार को छह दिनों का अल्टीमेट देकर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि छह दिनों के अंदर केंद्रीय असेंबली को भंग किया जाए और नए सिरे से देश में चुनावों के तारीखों की घोषणा की जाए। अगर छह दिनों में चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं होता तो वह पाकिस्तान के अलग-अलग कोने से 30 लाख लोगों के साथ राजधानी इस्लामाबाद में मार्च करेंगे और इस बार वह वापस नहीं जाएंगे। जब इमरान खान सत्ता में थे तो यू टर्न लेते ही थे, अब तो विरोध में हैं, विरोध में रहकर उनका यह पहला ही बहुत बड़ा यू टर्न था। हारे-थके और गोली-लाठी डंडे खाकर इस्लामाबाद पहुंचे लोग, लौटने को तैयार ही नहीं थे। उसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स और आर्मी ने लाठियां-टियर गैस छोड़-छोड़ कर लोगों को इस्लामाबाद खाली करने को मजबूर कर दिया।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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