देश में धर्म एक बार फिर राजनीति के निशाने पर है। गोकि बिहार में विधानसभा चुनाव हैं लेकिन धार्मिक संवेदनाओं और भावनाओं को जगाने वाले बयान दूसरे राज्यों से ज्यादा आ रहे हैं। कांग्रेस के नेता उदित राज ने शुरूआत की। उदित राज ने ट्वीट किया (जिसे बाद में हटा लिया गया) कि कुंभ में सरकारी पैसा क्यों बरबाद किया जा रहा है। उदित राज पहले भी यह चुके हैं कि सरकार चलाना संन्यासियों का काम नहीं है। इधर असम के मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने लव जिहाद और मदरसों को सरकारी मदद बंद करने के ऐलानया कर ही चुके थे। हेमंत के ऐलान पर उदितराज के बयान आया तो यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने कांग्रेस को 'जहांगीर वाले डीएनए' की याद दिला दी।
दक्षिण भारत के बाद लव जिहाद के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए। असम भी लव जिहाद से बुरी तरह त्रस्त है। लव जिहाद के बारे में बीजेपी के नेताओं ने पिछले चुनाव में वादा किया था कि सरकार बनने पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। लव जिहाद के खिलाफ असम सरकार कानून बनाएगी। हिंदू लड़कियों के साथ धोखे से शादी करने के वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उसी बयान को हेमतं बिस्वा सरमा ने एकबार फिर उसी बयान को दोहराया है। हेमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा असम में अब मदरसों को सरकारी पैसा नहीं दिया जाएगा। हेमंत बिस्वा सरमा ने भले ही बयान असम में दिया है और असम की बयार बिहार के मैदानों तक बह कर आती ही है।
हेमंत बिस्वा सरमा के बयान पर कांग्रेस की ओर से बिना तैयारी का बयान उदितराज की ओर से आया। उदितराज (जिनका पूर्व नाम रामराज है) के बयान पर यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने और तीखा पलटवार कर दिया। मोहसिन रजा ने कहा कि कांग्रेस का डीनए 'जहांगीर' वाला है (दरअसल, राहुल गांधी के दादा का नाम फिरोज जहांगीर घैंडी था। जिसे इंदिरा गांधी से शादी के बाद फिरोज गांधी कर दिया गया। फिरोज गांधी की कब्र उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में अब भी मौजूद है)। मोहसिन रजा ने इशारों ही इशारों में कहा कि चूंकि कांग्रेस का डीएनए जहांगीर वाला है इसलिए उसके नेता हिंदु धर्म और हिंदु संस्कृति के खिलाफ बयान देते हैं। एक समुदाय विशेष का तुष्टिकरण करते हैं।
भले ही ये बयान बिहार के चुनावी मैदान से दूर दिए जा रहे हैं लेकिन इनका असर बिहार के चुनावों पर पड़ना निश्चित है। इसके अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी उपचुनाव हैं। मध्य प्रदेश चुनाव के उपचुनाव तो कांग्रेस की प्रतिष्ठा ही नहीं बल्कि राज्य की इकाई के अस्तित्व का प्रश्न हैं। ऐसे में देश के किसी भी राज्य या शहर में दिए बयान से अगर मुसलमानों के वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की ओर होता है तो कांग्रेस धर्म और संप्रदायिक बयानों का शातिराना ढंग से जरूर इस्तेमाल करना चाहेगी। जब कांग्रेस ऐसा कर रही है तो बीजेपी उसका लाभ लेने से भला पीछे कैसे रह सकती है!
बहरहाल, धर्म-जाति और संप्रदाय से सम्बंधित बयान किसी भी शहर, किसी भी स्थान से, किसी भी दल के नेता की जुबान से निकले उसका असर वोटर्स पर पड़ता ही है। बयान दिल्ली में बैठकर दिया जाए, बयान ट्वीटर पर शेयर किया जाए या फिर बयान असम के किसी शहर से दिया जाए। इन सभी का असर  बिहार के विधानसभा चुनाव के साथ ही मध्यप्रदेश (28 सीट) और उत्तर प्रदेश (आठ सीटों) के उपचनावों पर पड़ना निश्चित है।.
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