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Nepal Political Crisis: नेपाल में सियासी संकट फिर गहराया, अगला पीएम कौन, फिर ओली या महंता ठाकुर!

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नेपाल में एक बार फिर सियासी संकट गहराता नजर आ रहा है। यह संकट गुरुवार को अचानक राष्ट्रपति बिद्या देवी भण्डारी की नई अधिसूचना से पैदा हो गया है। राष्ट्रपति बिद्या देबी भण्डारी ने गुरुवार को शाम लगभग पांच बजे एक अधिसूचना जारी की कि संविधान के अनुच्छेद 76 (5) तहत नई सरकार के गठन लिए राजनीतिक दल विकल्प प्रस्तुत करें। इस अधिसूचना में नई सरकार का विकल्प देने की समय शुक्रवार शाम 7 बजे तक निर्धारित की गई। राष्ट्रपति की ओर से अचानक की गई इस कार्यवाही को लेकर नेपाल के संविधन विशेषज्ञों में कौतुहल है। कुछ कह रहे हैं कि यह नेपाल की संवैधानिक व्यवस्था के साथ छल है तो कुछ कह रहे हैं कि सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल न होने की जानकारी जिस समय राष्ट्रपति के पास आए वो उसी समय अनुच्छेद 76(5) को लागू कर सकते हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि जब तक ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नही दिया है तब तक अनुच्छेद 76(5) प्रभावी नहीं हो सकता।</p>
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बहरहाल, गुरुवार को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही सात मंत्रियों की नियुक्ति को असंबैधानिक ठहराया वैसे ही नेपाल में सियासी संकटका नया दौर शुरु हो गया। इसी के बाद ओली ने पार्टी की स्थाई समिति की बैठक बुलाई और फिर उसके समाजवादी पार्टी के महन्ता ठाकुर के साथ बैठक की। और इसी के बाद राष्ट्रपति भवन सक्रिय हो गया।</p>
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दरअसल, इधर एक दो दिन में नेपाल में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं। इनका आपस में कोई संबंध है या नहीं यह कहना मुश्किल है लेकिन जिस क्रम में घटनाएं हुई हैं उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि चीन, नेपाल को लगातार अस्थिर करने में लगा है। पहले खबर आती है कि चीनी सेना ने नेपालकी की जमीन पर कब्जा फिर शुरु कर दिया है। नेपाल की सरकार ने चीन के विदेशमंत्रालय के सामने इस मद्दे पर सख्ती से विरोध जताया। उसके बाद खबर आई कि ओली सरकार ने शपथ लेते समय ईश्वर शब्द को हटा दिया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट याचिका डाली गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से खबर आई कि सात मंत्रियों की नियुक्ति असंबैधानिक है।</p>
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कुछ देर बाद खबर आती है कि राष्ट्रपति ने अधिसूचना जारी की है कि मौजूदा सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है और राष्ट्र को भ्रम में नहीं रखा जा सकता। इससे पहले चीन का अखबार साउथ चाईना मॉर्निंग पोस्ट लिखता है कि ओली सरकार भारत के प्रभाव में है। इसके बाद नेपाली मीडिया में खबर आती है कि जनता समाजवादी पार्टी नई सरकार का विकल्प दे सकते हैं।</p>
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नेपाली मीडिया ने लिखा है कि गुरुवार को खुद पीएम ओली ने राष्ट्रपति से नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति की सिफारिश की थी। नेपाल के संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि ओली के पास विश्वास मत हासिल करने के लिए अभी 14 जून तक का समय है, और उन्होंने इस्तीफा भी नहीं दिया है। ऐसे में नए पीएम की नियुक्ति की सिफारिश कैसे कर सकते हैं।</p>
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नेपाल में पीएम ओली क्या चाहते हैं या कर रहे हैं या राष्ट्रपति का कदम संवैधानिक है या नहीं भारत इस बारे में कोई हस्तक्षेप न कर रहा है और न करना ही चाहता है, लेकिन नेपाल में सियासी अस्थिरता न नेपालियों के हित में है और न भारत के हित में है। इसलिए भारत का चिंतित होना स्वभाविक है।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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