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आतंकवादी हमलों को स्वीकार नहीं करेगा नया भारत: विदेश राज्य मंत्री

IIMCOrientation2020: ''भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मित्रता का भाव रखता है, लेकिन भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत अपनी सरजमीं पर आतंकवादी हमलों को स्वीकार नहीं करेगा।'' यह विचार विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने गुरुवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह-2020 के चौथे दिन व्यक्त किये।

'भारतीय विदेश नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन' विषय पर बोलते हुए मुरलीधरन ने कहा कि आज 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले की बरसी है। हमारे एक पड़ोसी देश ने संवाद के तौर पर स्वेच्छा से आतंकवाद को अपनाया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर भारत की समान प्रक्रिया ने उन देशों के बारे में हमारी नीति को बेहतर तरीके से उजागर किया है, जो आतंकवाद को अपनी विदेश नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। हमने स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत आतंकवादी हमलों को चुपचाप नहीं झेलता रहेगा।

विदेश नीति में मीडिया की भूमिका पर जोर देते हुए मुरलीधरन ने कहा कि विदेश में भारत की सही तस्वीर प्रस्तुत करना मीडिया की जिम्मेदारी है। पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई बार खबरों में भारत की गलत तस्वीर पेश की जाती है। इसलिए मीडिया के साथी रिपोर्टिंग करते वक्त तथ्यों और आंकड़ों का ध्यान अवश्य रखें।

विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा स्थायी सदस्यता प्राप्त करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। <strong>'एक्ट ईस्ट पॉलिसी'</strong> का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्‍कृतिक संबंध एवं रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना है। मुरलीधरन ने कहा कि कोविड-19 ने हमें आपसी जुड़ाव और एक दूसरे पर निर्भरता का आभास कराया है। हम इस शत्रु से अकेले नहीं लड़ सकते। यह बीमारी सीमाएं नहीं देखती, इसलिए इसके खिलाफ हमारी लड़ाई समन्वित होनी चाहिए।

इससे पहले कार्यक्रम के प्रथम सत्र में <strong>'डिजिटल और सोशल मीडिया : लोकतंत्र का उभरता हुआ पांचवा स्तंभ'</strong> विषय पर बोलते हुए माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के डायरेक्टर, लोकेलाइजेशन बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि कुछ लोग डिजिटल मीडिया को लोकंतत्र के चौथे स्तंभ का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ लोग इसे लोकंतत्र का पांचवा स्तंभ कहते हैं। लेकिन मेरे हिसाब से 'मीडिया' नहीं, बल्कि 'सूचना' लोकतंत्र का चौथ स्तंभ है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने आज एक नई क्रांति की है। सूचना एवं तकनीक के युग में आज प्रत्येक व्यक्ति एक मीडिया संस्थान है।

पटकथा लेखक एवं स्तंभकार <strong>अद्धैता काला</strong> ने कहा कि आज पूरा विश्व न्यू मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट पर सब कुछ एक क्लिक पर उपलब्ध है, आज आपको खबरों के लिए अखबार या पत्रिकाओं का इंतजार नहीं करना पड़ता। यही डिजिटल मीडिया की ताकत है।

वरिष्ठ पत्रकार <strong>अभिजीत मजूमदार</strong> ने कहा कि डिजिटल मीडिया आज लोकतंत्र के चारों स्तंभों में सबसे ताकतवर है। आज लोगों को ये पता है कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या देखना है। इसलिए आज अपनी पसंद के अनुसार ही पाठक कंटेट चुनता है और उसके लिए पैसे देता है। अखबार में पाठक के पास ये सुविधा नहीं होती है। यही प्रिंट और डिजिटल मीडिया का सबसे बड़ा अंतर है। वरिष्ठ पत्रकार <strong>शलभ उपाध्याय</strong> ने कहा कि वर्तमान समय में डिजिटल मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखनी होगी।

समारोह के दूसरे सत्र में<strong> 'विज्ञापन और जनसंपर्क उद्योग: COVID-19 युग में रचनात्मकता' </strong>विषय पर बोलते हुए गुडऐज़ के प्रमोटर <strong>माधवेंद्र पुरी दास</strong> ने कहा कि पत्रकारिता और विज्ञापन एवं जनसंपर्क एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पत्रकारिता का काम लोगों को सूचना देना एवं उन्हें किसी विषय पर राय बनाने में मदद करना है। यही काम विज्ञापन एवं जनसंपर्क का भी है। रिलायंस के कम्युनिकेशन चीफ <strong>रोहित बंसल</strong> ने कहा कि कंपनियों को पाठकों और दर्शकों के अनुसार विज्ञापन एवं जनसंपर्क की रणनीति बनानी चाहिए। तभी कंपनियां अपने उद्देश्यों में सफल हो पाएंगी।

समारोह के पांचवे और अंतिम दिन शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दूरदर्शन के महानिदेशक मयंक अग्रवाल, एसोसिएटेड प्रेस टीवी की साउथ एशिया हेड विनीता दीपक एवं नेटवर्क 18 के मैनेजिंग एडिटर ब्रजेश सिंह विद्यार्थियों से रूबरू होंगे।.

पंकज श्रीवास्तव

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