जब से हामिद मीर ने पाकिस्तानी फौज में ‘जनरल रानियों’ का जिक्र किया है तब से एंटी एस्टेब्लिशमेंट ऑपिनियन रखने वाले पाकिस्तानी पत्रकारों पर हमले शुरू हो गए हैं। ये हमले ठीक उसी तरह से हो रहे हैं जैसे यू ट्यूबर असद तूर पर हुआ था। इसके अलावा पाकिस्तान की सरकार के पास ऐसे-ऐसे कानून हैं जिनका हवाला देकर पाकिस्तान की पुलिस या फौज किसी भी वक्त किसी भी पत्रकार को उठा कर जेल की काली कोठरी में डाल सकती हैं। अधिकांश को तो यह भी पता नहीं होता कि उन्हें किस जेल में डाला गया और किस दफा में उन्हें बदं किया गया है।
पाकिस्तान में सिविल गवर्मेंट और आईएसआई पाकिस्तानी फौज के दो बड़े टूल्स हैं। पाकिस्तानी फौज अपनी सुविधाओं के अनुसार इन दोनों टूल्स का इस्तेमाल करती रहती है। हामिद मीर के बाद असमां शिराजी को कानून का हण्टर दिखाया गया है। तो वहीं, जुगनू मोहसिन पर सरे आम हमला किया गया। हमलावरों की पिस्टल मिस न होती तो आज पाकिस्तान के हालात कुछ और ही होते।
پیپلزپارٹی خیبرپختون خوااسمبلی کی رکن نگہت اورکزئی نے آزادی رائے اظہار پر پابندی کے خلاف اور صحافیوں سے اظہار یکجہتی کےلئیے آواز اٹھائی۔
پلے کارڈ پرلکھا ہے کہ
Journalism is not a crime ,
Take back Pakistan Media Development Authority (PMDA) Ordinance 2021#JournalismIsNotACrime pic.twitter.com/DKgjvMKfRA— Rasool Dawar (@RasoolDawar) June 7, 2021
पाकिस्तान के एक और बड़े जर्नलिस्ट हैं जिनका नाम है नजम सेठी। नजम सेठी पीसीबी के चेयरमैन और पंजाब के इंटेरिम चीफ मिनिस्टर भी रहे हैं। पाकिस्तान का बहुत बड़ा नाम हैं नजम सेठी। जुगनू मोहिसन उन्हीं नजम सेठी की पत्नी हैं। जुगनू खुद भी पत्रकार और ह्युमन राइट एक्टिविस्ट भी हैं। पाकिस्तान में ह्युमन राइट वॉयलेशन के खिलाफ आवाज उठाती रहती हैं।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स हैं कि जुगनू मोहसिन को कई दिनों से धमकियां मिल रही थीं। जुगनू, पाकिस्तानी पंजाब की स्टेट असेंबली की मेंबर भी हैं। पाकिस्तान में ओकाराबाद के पास अख्तराबाद में एक ह्युमन राइट रैली से लौटते वक्त जुगनू पर हमला किया गया। पहले उनकी कार पर पत्थर फेंके गए फिर सीधे उन पर पिस्टल तान दी गई। जुगनू भाग्य की धनी थीं कि पिस्टल मिस हो गई और हमलावर घबराकर भाग गए।
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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतना सारा ड्रामा होता रहा और पाकिस्तान की तेज-तर्रार पुलिस-रेंजर सब के सब तमाशा देखते रहे। शायद वो इंतजार में थे ‘कुछ हो’और वो ‘एक्शन’में आएं, लेकिन उनके एक्शन लेने का नम्बर ही नहीं आया।
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पाकिस्तानी मीडिया के एक वर्ग में अफवाहें हैं कि हामिद मीर और उनके जैसे कुछ और जर्नलिस्ट इंडिया में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। ये पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट का वो टूल है जो किसी को भी रॉ का एजेंट बताकर उन्हें बदनाम करता है और भारत पर आरोप लगाता है कि पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में इंडिया हस्तक्षेप कर रहा है। बहरहाल, हामिद मीर, असमां शिराजी, जुगनू मोहसिन जैसे चंद नाम हैं जिन पर हमलों की बातें सामने आ जाती हैं। पाकिस्तान में न जाने कितने ऐसे जर्नलिस्ट हैं जिनकी गर्दनों को बूटों से कुचल दिया जाता है और किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होती।
पाकिस्तान में हामिद मीर, असमां शिराजी और जुगनू मोहसिन जैसे लोग खुद में एक ऑर्गेनाइजेशन हैं। जब उनको ही नहीं बख्शा जाता तो बाकियों की क्या औकात। वैसे आप लोगों की याददाश्त के लिए बताते चलें कि सालों साल जिओ टीवी के चर्चित टॉक शो कैपिटल टॉक को होस्ट करने वाले हामिद मीर पर कई बार बैन लग चुका है। कई बार हमले हुए हैं। एक हमला तो कराची में हुआ जहां उनको छह गोलियां लगीं। उस समय के पीएम नवाज शरीफ ने हाई लेवल ज्यूडीशियल जांच कमेटी बनाई लेकिन उस जांच कमेटी की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है।