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पैगंबर के कार्टून का विरोध तो ठीक, नीस के चर्च में आतंकी हमले पर चुप्पी क्यों?

पैगंबर मुहम्मद के कार्टून पर मचे बवाल के बीच फ्रांस के वजूद को मिटाने की हसरत पालने वाले और फ्रांस के राष्ट्रपति मैंक्रो के फोटो को पद दलित करने वाले आखिर किसके साथ हैं? क्या वो पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं को भूल गए हैं? क्या विरोध करने वाले मुसलमान इस तरह से कथित जिहादियों का समर्थन तो नहीं कर रहे? क्या विरोध करने वाले मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के बजाए महातिर मुहम्मद की सीख पर तो नहीं चल पड़े हैं?

<img class="alignnone wp-image-16320 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/Nice-Attack-turkey-Protest.jpg.jpg" alt="Nice Attack turkey Protest" width="1280" height="850" />

किसी भी धर्म या पैगंबर को अवांछित तरीके से निरूपित करना गलत हो सकता है। इसका विरोध जरूरी है, लेकिन विरोध करने का तरीका गलत नहीं होना चाहिए। विरोध के लिए जाने-अनजाने में आतंकवाद को सहारा या आतंकवाद को किसी भी तरह से समर्थन करना, निर्दोषों की हत्या करने के बाद अल्लाह-हु-अकबर का नारा लगाना, कौन सी किताब में लिखा है?  पैगंबर मुहम्मद साहब ने तो गुनाह और गलती करने वालों को माफी और उन्हें दीन की राह पर लाने के लिए दुआएं करने की सीख दी है। घृणा फेलाने वाले लोग कूड़ा फेंकने वाली बुढ़िया और पैगम्बर मुहम्मद साहब की कहानी को भूल गए हैं क्या?

भारत के मुसलमानों अधिकांशतः उदारवादी कहा जाता है। भारत के मुसलमान जज्बाती हैं लेकिन रेडिकल इस्लामिस्ट बहुत कम हैं। भारत के मुसलमान तो आतंकवाद ही नहीं, किसी भी तरह की हिंसा के विरोधी रहे हैं। बच्चों को कार्टून दिखाने के लिए सेम्युल पैटी का विरोध जायज था, लेकिन उसका कत्ल करने और अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाने की इजाजत कौन से धर्म या दरवेश ने दी? फिर आज तक कातिल की मजम्मत इस्लाम के कथित ठेकेदारों (तुर्की-पाक-महातिर) ने क्यों नहीं की? नोट्र डम चर्च में, खुदा की वारगाह में खड़े बेकसूर लोगों का तो सेम्युल पैटी से कोई संबंध नहीं था। तो फिर उनका कत्ल करने वाले के खिलाफ आवाज क्यों नहीं?

<img class="wp-image-16330 size-full alignnone" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/Umer-Ilyasi-2.jpg" alt="Nice Attack Prophet Muhammad Cartoon France" width="1200" height="650" />

नीस के नोट्र डम चर्च में बेकसूरों के कत्ल पर आतंकियों ने जश्न मनाया। उन्हीं आतंकियों ने फ्रांस के वजूद को खत्म करने के लिए हमलों का आह्वान किया है। पैगंबर मुहम्मद के जन्म दिन पर फ्रांस और मैंक्रों का एकतरफा विरोध कहीं आतंकियों को नैतिक समर्थन देना तो नहीं है?

विरोध का अच्छा तरीका तो यह होता कि ऐतराज करने वाले मुसलमान और उनके परिवार तत्काल फ्रांस को छोड़ कर अपने मूल देश वापस चले जाते। तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश फ्रांस से मिलने वाली मदद वापस कर देते।  फ्रांस के डॉक्टरों-वैज्ञानिकों और विद्वानों को अपने कल-कारखानों, अस्पतालों और संस्थाओं से निकाल देते। फ्रांस से खरीदी या इमदाद में हासिल की गई मशीनरियों को कबाड़खाने में डाल देते। कितने मुस्लिम देशों ने किया है ऐसा? फ्रांसीसी प्रॉडक्ट्स को उपयोग न करने की एक कॉल तो आई है लेकिन फ्रांसीसी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किसी ने छोड़ा है! इमरान खान और तुर्की वाले एर्दोगान ने भी नहीं!!

<img class="alignnone wp-image-16332 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/Nice-Attack-turkeymiss-erdogan-Protest-1.jpg" alt="Nice Attack turkey miss erdogan Protest" width="1280" height="850" />

ध्यान रहे, आईएसआईएस और अलकायदा ने फ्रांसीसी टीचर की हत्‍या पर और ज्‍यादा हमलों का आह्वान किया है। नीस के नोट्र डम चर्च में तीन लोगों की निर्मम हत्‍या और सऊदी अरब में फ्रांसीसी वाणिज्‍य दूतावास के गार्ड पर चाकू से हमले का ऑनलाइन आतंकियों ने जमकर जश्‍न मनाया है। आतंकियों पर नजर रखने वाली संस्‍था एसआईटीई की डायरेक्‍टर रीटा कट्ज के मुताबिक फ्रांस के अभिव्‍यक्ति की आजादी के जवाब में आतंकियों कत्ल-ओ-गारत 'ऐक्‍शन की स्‍वतंत्रता' करार दिया है।

एर्दोगान-महातिर मुहम्मद और इमरान खान आतंकियों की भाषा बोल रहे हैं।  जज्बातों के सहारे वो दुनिया में अपने नाम का सिक्का चलाना चाहते हैं, ये तीनों पैगंबर साहब की शिक्षा पर नहीं बल्कि दुनिया को अपने इशारों पर नचाने की कुटिल चाल चल रहे हैं। फ्रांस में 'पैगंबर मुहम्मद के कार्टून विवाद' पर आल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के मुखिया मौलाना उमैर इलियासी का बयान है कि किसी भी धर्म या पैगंबर की अवमानना नहीं होनी चाहिए। धर्म या पैगंबर की अवमानना हुई है तो उसका विरोध जायज है। लेकिन विरोध शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए। इस्लाम शांति और दया का मजहब है वो किसी के कत्ल की इजाजत कैसे दे सकता है।

जो मजहब मुलाकात से पहले ही सलामती की कमना करता हो वो किसी के कत्ल की इजाजत कैसे दे सकता है। ईद मिलादुन्नबी पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्मदिन है। उन्होंने तो शांति-दया और क्षमा का पैगाम दिया है। उनके जन्म दिन के मौके पर फ्रांसीसी ही नहीं किसी भी शख्स के कत्ल के हक की बात करना गलत है। इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है। मलेशिया के पूर्व पीएम महातिर मुहम्मद का बयान कि मुसलमानों को फ्रांसीसियों के कत्ल का हक है- यह निहायत खतरनाक और इस्लाम को बदनाम करने वाला है। महातिर मुहम्मद के इस बयान का मैं खण्डन करता हूँ। हर मुसलमान को इस बयान की निंदा करनी चाहिए।.

सतीश के. सिंह

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