Categories: विचार

Ajmer हो या Bareilly दरगाहों में सद्भाव के साज नहीं बजते, नफरत के शोले धधकते हैं! ये रेडिकलाइजेशन नहीं फेनेटेसिजम है’

<p>
<em><span style="color:#f00;"><strong>पैगंबर पर नुपुर शर्मा के कथित डेरोगेटिव लेकिन प्रोवोकेटिव स्टेटमेंट को  लेकर हिंसा और नफरत का नंगा नाच होने लगा। दरगाहों के खादिम और मुतवल्ली 'सिर तन से जुदा के नारे लगाने लगे।' फिर सर काटे भी जाने लगे और वीडियो वायरल होने लगे। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या दरगाहों से रेडिकलाइजेशन हो रहा है। इस पर नेहरू स्मारक म्यूजियम और लाइब्रेरी के सीनियर फेलो <span style="color:#006400;">प्रोफेसर कपिल कुमार </span>ने कहा कि रेडिकलाइजेशन पॉलिटिकल टर्म है। ये जो आप देख रहे हैं वो फेनेटेसिजम है। इसकी नींव 1947 में ही पड़ गई थी।  प्रोफेसर कपिल कुमार से लंबी बात हुई। सवाल-जवाब हुए। चर्चा को सहज बनाने और सरल भाषा में सीधी-सपाट कहानी सुनाने के लिए  सवाल और जवाब हटा दिए गए हैं। पढिए और आप भी रेडिकलाइजेशन-फेनेटेसिजम के भेद जानिए</strong></span></em>-</p>
<p>
भारत में कट्टरपन की सुनामी अचानक नहीं इसकी एक पृष्ठ भूमि है…गजवा-ए-हिंद का नारा बहुत पुराना है।</p>
<p>
<strong>बहादुर शाह जफर हुक्म चांदनी चौक की गलियों तक ही चलता था</strong></p>
<p>
भारत के हिंदु बहुत सहिष्णु हैं, 1857 में उस बहादुर शाह जफर को प्रतीक मानकर हिंदू राजा-रजबाड़ों ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी, जिसका हुक्म चांदनी चौक की गलियों तक ही चलता था…फिर भी मुसलमानों की कट्टरता को 1857 की जंग ने कुछ हद तक कम कर दिया था, कट्टरता खत्म हो रही थी, एकता उभर रही थी, बहुत उदारण हैं इसके। नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व हिंदु-मुस्लिम-सिख सभी ने अखण्ड भारत के लिए जानें न्यौछावर कीं। एक तरफ कट्टरता को एकता में बदलने और भारत को अखण्ड रखने की कोशिशें हो रहीं थीं तो दूसरी ओर कट्टरता को हवा भी दी जा रही थी। दो विपरीत धाराएं एक साथ संघर्ष कर रही थीं।</p>
<p>
<strong>मुसलमान भारत के बादशाह कभी नहीं रहे</strong></p>
<p>
मुसलमानों ने कभी पूरे भारत पर शासन नहीं किया, भारत के कुछ एक हिस्सों पर जरूर उनका कब्जा था, फिर भी वो कहते हैं कि वो हिंदुस्तान पर बादशाहत करते थे, झूठ है यह! अंग्रेजों ने इस झूठ को और कट्टरता को बढाया, कट्टरवादियों ने कट्टरपंथ कभी नहीं छोड़ा। भारत आने से पहले माउंट बेटेन चर्चिल से मिलने गया तो आप जानते हैं कि माउंट बेटेन से चर्चिल ने क्या कहा- 'टेक केयर इंट्रेस्ट आफ  माई मुस्लिम फ्रेंड्स इन इंडिया'.. और माउंट बेटेन ने वही किया, पाकिस्तान बनवा दिया।  सिंध के लोग कहते रहे उनका अस्तित्व भारत के साथ है हमारा पूर्वज राजा दाहिर है, हिंदुस्तानी सियासतदानों ने उनका साथ नहीं लिया उस वक्त…! सिंधी कहते रहे जब पूर्वी पाकिस्तान बन सकता है तो फिर पश्चिमी हिंदुस्तान क्यों नहीं। हमारे सियासतदानों की अक्ल पता नहीं कहां थी?</p>
<p>
<strong>मुस्लिम लीग के खिलाफ मुसलमानों के 13 संगठनों की एक कमेटी</strong></p>
<p>
एक उदाहरण और मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग के खिलाफ 13 मुस्लिम संगठनों ने एक कमेटी बनाई, जिसने कहा कि उन्हें पाकिस्तान नहीं चाहिए, वो भारत के साथ ही रहेंगे। इस कमेटी के सदर को मुस्लिम लीगियों ने कत्ल करवा दिया। हिंदुस्तान की कांग्रेस पार्टी  ने न उनका साथा दिया न  उनसे फायदा लिया। वो चीखते रहे-चिल्लाते रहे अगर पूर्वी पाकिस्तान बना रहे हो तो पश्चिमी हिंदुस्तान क्यों नहीं बना रहे हो? इस तरह अखण्ड भारतीयता के इस नैरेटिव को 1947 के बाद गायब ही कर दिया गया।</p>
<p>
<strong>अंग्रेजों के खिलाफ कौन लड़े थे, इलीट-चाटुकार मुसलिम नहींं बल्कि जुलाहे और कसाई जैसे मुसलमान लड़े थे</strong></p>
<p>
दास्तान-ए- गदर में सर सैयद अहमद खां ने क्या लिखा है, सुनेंगे तो खून खौल उठेगा, उन्होने लिखा है- जिन मुसलमानों ने 1857 में अंग्रेजों की खिलाफत की वो बदमाश, बदजात थे…! अंग्रेजों के खिलाफ कौन लड़े थे, इलीट-चाटुकार मुसलिम नहींं बल्कि जुलाहे और कसाई जैसी तमाम मुस्लिम जातियां लड़ी थीं। भारत में इस्लाम के ठेकेदार नेताओं ने इस तरह से आम मुसलमानों के राष्ट्रवादी नैरेटिव को सप्रेस किया। </p>
<p>
<strong>हिंदुओं पर राज करने के लिए एंग्लो-मुहमडन एलायंस बनना चाहिए</strong></p>
<p>
एक किस्सा और, बंटबारे के बाद हिंदुस्तान में बचे मुसलमान (यहां आम मुसलमानों की बात नहीं हो रही है) नेताओं ने अंग्रेज वायस राय से कहा- ‘हिंदु-मुसलमान साथ नहीं रह सकते’ तुम्हें तो नादिर शाह की तरह राज करना चाहिए … तुम अंग्रेज भी शासक हो, हम मुसलमान भी शासक हैं। हम दोनों को मिलकर एंग्लो-मुहमडन एलाएंस बनाना चाहिए इन हिंदुओं पर राज करने के लिए। यहां से आधुनिक मुस्लिम कट्टरता और हिंदुओं के खिलाफ नफरत का जन्म हुआ! यह आज भी दिखाई दे रहा है।</p>
<p>
<strong>मुस्लिम लीग अंग्रेजों के पिट्ठुओं का संगठन, आम मुसलमान कभी इसके साथ नहीं रहा</strong></p>
<p>
अच्छा, बताईए मुस्लिम लीग किसने बनाई? जो अंग्रेजों के पिट्ठू थे उन्होंने बनाई। आम मुसलमान से उसका कोई लेना-देना ही नहीं था। इसका उदाहरण देखिए…1938 में किसान सभा का जलसा हुआ…मुसलिम लीग चाहती कि मुसलमान जलसे में शामिल न हो, क्यों कि स्वामी सहजानंद सरस्वती उस सभा को सम्बोधित कर रहे थे…मुस्लिम लीग ने सड़को पर कुरान की आयतें बिछा दीं, कि मुसलमान आयतों पर पैर रख कर आगे नहीं बढ़ेगा…इसके बावजूद मुसलमान आया…आयतों को उठाया-चूमा, अपने सिर पर रखा और सभा में शामिल हुआ…!</p>
<p>
<strong>रेडिकलाइजेशन पॉलिटिकल टर्म है</strong></p>
<p>
जनाब,  रेडिकलाइजेशन एक पॉलिटिकल टर्म है…ये जो आप देख रहे हो यह फनेटेसिजम है!… ये वही फेनेटिक लोग हैं जिन्होंने सितंबर 1947 में कहा था ‘लड़ के लिए लिया पाकिस्तान, हंस कर लेंगे हिंदुस्तान।’ इस बारे में सीआईडी की रिपोर्ट भी है- नेहरू तक गई थी ये रिपोर्ट लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद अंग्रेजों की फूट डालो-राज करो की नीति को बदल कर कर दिया ‘राज करो और फूट डालो।’ उस समय सियासी नेताओं ने आम मुसलमानों के दीमाग में ठूंस दिया कि हमें वोट नहीं दिया तो हिंदु पता नहीं तुम्हारे साथ क्या कर डालेगा?</p>
<p>
<strong>हिंदु टॉलरेंट न होता तो धरती के नक्शे पर पाकिस्तान नाम की लकीरें न होतीं</strong></p>
<p>
सच्चाई यह है कि हिंदू त्यागी था, बलिदानी था, सहनशील था, अगर हिंदु सहिष्णु नहीं होता, हिंदू सहनशील नहीं होता, अगर हिंदू ने बंटबारे की चट्टान को सीने पर न सहा होता तो आज धरती पर पाकिस्तान के नाम की लकीरें भी न होतीं। भले ही कितना खून बहता!</p>
<p>
<strong>मुसलमानों की आपसी लड़ाई को जिन्ना के धूर्त दलालों ने 'इस्लाम को हिंदुओं से खतरा' में बदल दिया</strong></p>
<p>
सितंबर 47 में पठानिस्तानियों और मुस्लिम लीग में दंगे हुए…जिन्ना के धूर्त दलालों ने इन दंगों का नैरेटिव रातों-रात बदल दिया और नारा दे दिया कि ‘इस्लाम खतरे में है’  कश्मीर में मुसलमानों को मारा जा रहा है। सिखों ने पंजाब में मुसलमानों का कत्लेआम कर दिया है, इस्लाम खतरे में आ गया है। और फिर लारियों और ट्रकों में भर-भर कर कवायलियों और पाकिस्तानी फौज को कश्मीर पर हमले के लिए भेज दिया…।</p>
<p>
<strong>पाकिस्तानी घुसपैठियों ने 19 साल के कश्मीरी जाबांज मकबूल शेरवानी के शरीर के 14 टुकड़े कर डाले </strong></p>
<p>
कश्मीर का वो 19 साल का एक लड़का मकबूल शेरवानी, जिसने दो दिन तक पाकिस्तानी फौजों को रोके रखा, अकेले निहत्थे लड़के ने दो दिन तक नापाक पाकिसतानियों के कदम कश्मीर की जमीन पर नहीं पड़ने दिए। वो अपनी मोटर साइकिल से घूम-घूम कर पाकिस्तानी फौजों को भरमाता रहा,कि इधर से मत जाओ, पीछे छिप जाओ, हिंदुस्तानी फौज आ रही, दायें मत छिपो, बांये जाओ- हिंदुस्तानी फौज आ गई है… जब पाकिस्तानी घुसपैठिओं की फौज को पता चला कि उनको एक मामूली से लड़के ने बेवकूफ बना दिया तो उन्होंने मकबूल शेरवानी को घेरकर मार डाला। उसके शरीर को बड़ी निर्दयता-नृशंसता से14 टुकड़ों में काट डाला और लाश को चील-कौंव्वों के आगे फेंक दिया…आज कोई जानता है मकबूल शेरवानी को, कितने लोग उसकी शहादत को सलाम करते हैं।</p>
<p>
<strong>पाकिस्तान का निशाना श्रीनगर की आड़ में पंजाब पर था</strong></p>
<p>
कश्मीर पर पाकिस्तानियों का हमला श्रीनगर पर राज करने के लिए नहीं, बल्कि श्रीनगर में झण्डा गाढ़ कर पजांब पर कब्जा करने के लिए था।</p>
<p>
<strong>दरगाहें तो बनी ही हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए, कभी तलवारों के साथ, कभी तलवारों से पहले तो कभी तलवारों के बाद</strong></p>
<p>
दरगाहें, भारत में इस्लाम फैलाने के लिए बनीं… कभी तलवारों के लिए रास्ता बनाने के लिए दरगाहें बनी तो कभी तलवारों के बाद दरगाहें तामीर होती रहीं। लुटे-पिटे गरीब हिंदुस्तानियों को छला गया, धर्म छीना, ईमान पर डाका डाला, कभी धोखे से मारा गया तो कभी सामने से कत्ल किया गया…! यही मानसिकता फिर से उभरती हुई दिखाई दे रही है। इस मानसिकता को फेनेटिसिजम कहते हैं, रेडिकलाइजेशन नहीं। 1947 के बाद और उससे पहले फेनेटेसिजम के सैलाव को दरगाहों, मकतबों और मदरसों में बांधा जा रहा था, गजवा-ए-हिंद का नारा दिया जा रहा था वही नफरत सुनामी बन कर देश और संविधान की सीमाओं को तोड़ रही है। </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago