मौजूदा दिल्ली घेरो आंदोलन के समर्थन में <a href="https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A6_%E0%A4%AA%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0"><strong><span style="color: #000080;">शरद पवार</span></strong></a> जैसे नेता का खड़ा होना बता देता है कि सियासत का कोई धर्म-ईमान नहीं होता। जो शरद पवार (Sharad Pawar) 11 अगस्त  2010 को दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित लिखते हैं कि <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Agricultural_produce_market_committee"><strong><span style="color: #000080;">एपीएमसी</span> </strong></a>में संशोधन किया जाना चाहिए। वही शरद पवार (Sharad Pawar) नए कृषि कानूनों को किसानों का दुश्मन बता रहे हैं। इतना ही नहीं, चोरी पकड़े जाने पर शरद पवार (Sharad Pawar) लामबंदी पर उतर आए हैं। लाबींग कर रहे हैं सरकार के खिलाफ। राष्ट्रपति से मिलने की बात कर रहे हैं। इसे कहते शरद पवार (Sharad Pawar) चेहरा एक-रूप अनेक। 25 मई 2005 को शरद पवार (Sharad Pawar) ने देश में कृषि क्षेत्र की वृद्धि, रोजगार और आर्थिक उन्नति के लिए 'सुचारू रूप से कर्य करने वाले बाजार की आवश्यकता और निजी क्षेत्र का निवेश बेहद जरूरी बता रहे थे।' ध्यान देने वाली बात यह है कि मौजूदा एनडीए सरकार ने लगभग वही किया है, जिसकी पैरवी शरद पवार (Sharad Pawar) कर रहे थे। साल 2005 से अब 2020 आ गया है। 15 साल का समय बीत गया है। शरद पवार (Sharad Pawar) भी शायद भूल चुके हैं या भूलने का स्वांग कर रहे हैं कि कभी उन्होंने एपीएमसी में संशोधन की बात कही भी थी। अब शरद पवार (Sharad Pawar) को केवल एक बात याद है वो यह कि किसी भी तरह एनडीए सरकार का विरोध किया जाए। मोदी का विरोध किया जाए।
शरद पवार और वो लोग जो मौजूदा कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं- उन सबको जान लेना चाहिए कि शरद पवार ने एपीएमसी कानूनों में सुधार के लिए लंबी खतो-किताबत की है। एक पत्र में उन्होंने लिखा था, '…इस संदर्भ में हमें मौजूदा राज्य एपीएमसी अधिनियम में मॉडल राज्य कृषि उपज विपणन अधिनियम 2003 में संशोधन करना होगा। जिससे किसानों, उत्पादकों और उपभोक्ताओं के संपूर्ण हित के वैकल्पिक प्रतिस्पर्धी विपणन चैनल उपलब्ध करना के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा सके।' शरद पवार ने अपनी चिट्ठी में 12 जून 2007 का हवाला देते हुए कहा था कि कृषि क्षेत्र के लिए अति महत्वपूर्ण और 'किसानों के कुशल-मंगल' के इन बदलावों को बिना देरी किए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
भारतीय राजनीति के पुरोधा और महाराष्ट्र में महा अघाड़ी सरकार के अभिभावक, पद्म विभूषण शरद पवार से यह सवाल तो बनता ही है कि आपके कृषि मंत्री रहते हुए जो सही था, वो आज गलत कैसे हो गया? किसानों के हित में अधिनियम संशोधन के लिए जो प्रयास आप कर रहे थे वो आज किसानों के लिए दुश्मन कैसे बन गए? ऐसा क्यों हो रहा है शरद पवार जी।
शरद पवार जी, यह इसलिए है कि आप जानते हैं कि मौजूदा सरकार ने जो किया है वो किसान हित में है, लेकिन मोदी सरकार को घेरने और कुछ किसानों भ्रम फैलाने लिए आप 'दिग्भ्रमित' लोगों के साथ ओछी देश-विरोधी राजनीति कर रहे हैं।
जी हां, देश विरोधी राजनीति। खालिस्तान की जिस सोच को पंजाब नकार चुका है, उसी सोच को आप हवा दे रहे हैं। इंग्लैण्ड और कनाडा में भारत विरोधी ताकतों को आप जाने-अनजाने समर्थन इसलिए दे रहे हैं कि आप चंगुल से निकल चुकी सत्ता को फिर से पाना चाहते हैं। इस बार आप बंदूक आपके भ्रम जाल में फंसे किसानों के कंधे पर रख चला रहे हैं। मतलब साफ है कि किसानों का भला आपकी मंशा नहीं है, बल्कि किसी भी तरह सत्ता हथियान आपकी कोशिश है। जिसमें आप सफल नहीं होने वाले है। क्यों कि आपके पैंतरों को देश समझ गया है।
'दीवारों पर लिखी सच्चाई समझने मे आप पूरी तरह विफल रहे है शरद जी।'
शरद पवार जी, आप अपनी चिट्ठियों को फिर से पढ़िए और कृषि मंत्री रहते आपने जो नोट्स-निर्देश दिए- उन्हें याद कीजिए और जरा बताईए कि दिल्ली को घेर कर बैठे इन तथाकथित (और कुछ भोले-भाले) किसानों को समर्थन क्यों दे रहे हैं? आपकी चिट्ठियों में लिखी गई वो बातें क्या देश को किसी पूंजीपति या कॉरपोरेट्स को हाथों में बेचने की साजिश थी या उस वक्त आप किसान का गला घोंटने की तैयारी कर रहे थे या आप दिल से किसानों और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सच्चे प्रयास कर रहे थे?
जब आपने बारामती को विकास के पथ से जोड़ा था, तब देश के एक बड़े कृषि वैज्ञानिक ने आपसे कहा था, 'मंत्री जी पूरा देश बारामती बनाइए…तब आप मुस्कुरा कर आगे बढ़ गए थे।' आपकी उस मुस्कुराहट अब समझा जा सकता है। आप मुस्कुरा नहीं रहे थे, आप कह रहे थे…विकास नहीं ये मेरे वोट हैं…मैं सिर्फ राजनीति कर रहा हूं।'
शरद पवार जी, देश आपकी राजनीति समझ चुका है। आपके हस्ताक्षरित पत्र आपके दोहरे चरित्र का सबसे बड़ा सबूत हैं। अन्नदाता किसान, हमारे गांव…सच में इस देश की आत्मा हैं आत्मा के बिना जीवन नहीं होता, जिसे ना समझने की नासमझी कोई नहीं कर सकता।
शरद पवार जी, आखिरी बात! यह जितनी भी बातें यहां लिखी गई हैं वो आपके लिए नहीं हैं। क्यों कि आप तो सब जानते ही हैं, जानते-बूझते ही सब कर रहे हैं। यह तो उन भोले-भाले किसानों और उन लोगों के लिए हैं जो सच्चाई जाने बगैर (कथित) <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/pm-narendra-modi-headed-high-level-meeting-something-big-will-be-happen-20413.html"><strong><span style="color: #000080;">किसान आंदोलन</span></strong></a> का समर्थन कर रहे हैं… हाड़ कंपाती सर्दी में खुले आसमान के नीचे दिल्ली घेर कर पड़े हैं।.
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