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वाशिंगटन पोस्ट का बड़ा खुलासा! US-यूरोप ने मानी हार! यूक्रेन छोड़ पोलैण्ड में हैं जेलेंसकी, यूएस एम्बेसी से चलाएंगे निर्वासित सरकार

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<strong>अमेरिका-नाटो ने हार मानी!</strong></p>
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भारत के खबरिया चैनल भले ही जो खबरें चला रहे और दिखा रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि अमेरिका और यूरोप ने रूस-यूक्रेन वॉर में अपनी हार स्वीकार कर ली है। अब फेस सेविंग के लिए अमेरिका और यूरोप यूक्रेन की निर्वासित सरकार बनाने में जुट गये हैं। ताकि यूक्रेन पर रूसी कब्जे के बाद भी यूक्रेन का अलग अस्तित्व बना रहे। साथ ही रूस या रूस की समर्थित सरकार को निर्वासित सरकार के गुरिल्ला (रूस की भाषा में पश्चिमी देशों में ट्रेंड आतंकी) लगातार परेशानी पेश करते रहें।</p>
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<strong>पोलैण्ड में स्थापित होगी जेलेंसकी की निर्वासित सरकार</strong></p>
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यूक्रेन की निर्वासित सरकार की स्थापना कहीं दूर नहीं बल्कि पोलैण्ड या इंग्लैण्ड में की जाने की संभावना है। अमेजॉन के संस्थापक बेस जोसेफ के स्वामित्व वाले अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने वहां के स्थानीय समय के अनुसार 5 मार्च को 1 बजकर 19 मिनट पर स्टोरी ब्रेक की थी अमेरिका और उसके सहयोगी चुपचाप तरीके से यूक्रेन की गवर्नमेंट इन एक्जाइल की स्थापना और लम्बी अवधि के गुरिल्ला युद्ध की तैयारी कर रहे हैं (U.S. and allies quietly prepare for a Ukrainian government-in-exile and a long insurgency)। अमेरिकी थिंक टैंक्स का मानना है कि अमेरिका और यूरोप अब लम्बे समय तक यूक्रेन को हथियार या पैसों की मदद नहीं पहुंचा सकता। क्यों कि रूस पर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं उनसे पुतिन पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। वहीं दूसरी ओर अब रूस की ओर से भी काउंटर सैंक्शंस लगाए जाने से स्थिति और भी संवेदनशील हो जाएगी।</p>
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<strong>CIA और ब्रिटिश खुफिया एजेंटों ने दिखाया आईना</strong></p>
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अमेरिका और यूरोपीय देशों की स्थिति को भांपते हुए अमेरिकी-ब्रिटेन और यूरोप ने इस मुद्दे पर गोपनीय बैठक के बाद यूक्रेन की निर्वासित सरकार बनाने का फैसला लिया गया और उसकी दबे पांव तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। यूक्रेन और रूस में सक्रिए सीआईए और एमआई5 एजेंट्स ने अपनी-अपनी सरकारों को यह जानकारी दी है कि नाटो (NATO)में शामिल होने को लेकर यूक्रेन की लीडरशिप में खद सहमति नहीं है। दूसरा मुख्य बिंदू यह है कि जेलेंसकी की कैबिनेट के कई बड़े अधिकारी रूसी नेतृत्व के सीधे सम्पर्क में हैं। अगर पुतिन सीधे चाहें तो किसी भी समय कीव को ध्वस्त कर सकते हैं। तीन ओर से कीव को घेर कर बैठी रूसी सेना का सीधा संकेत है कि वो जेलेंसकी और उनके वफादारों को घुटने टेकने पर मजबूर करना चाहते हैं।</p>
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<strong>पुतिन को विलेन दिखाने का नाटक ज्यादा दिन नहीं चलेगा</strong></p>
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सीआईए और एमआई5 ने अपनी सरकारों को यह भी बता दिया है कि पुतिन को विलेन दिखाने का नाटक ज्यादा दिन नहीं चल सकता और न ही अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप ज्यादा समय तक यूक्रेन में अपने संसाधनों को झोंक सकते हैं। सीधे तौर पर इस युद्ध में शामिल होने का मतलब विश्वयुद्ध है। विश्वयुद्ध के बाद की विभीषिका को झेलने की क्षमता न अमेरिका में होगी और न ब्रिटेन में रहेगी। इस समय भी नाटो का मतलब छोटे देशों को अमेरिकी सैन्य शक्ति संरक्षण ही है। एक बात और भी महत्वपूर्ण है वो यह कि आयरलैण्ड में भी ब्रिटेन से आजादी का लावा भीतर ही भीतर सुलग रहा है। और यह भी संभव है कि रूस-यूक्रेन विवाद सुलझने से पहले ही कहीं आयरलैण्ड का ज्वालामुखी न फूट जाए।</p>
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<strong>रूस के खिलाफ लॉग टर्म इनसर्जेंसी का अमेरिकी प्लान</strong></p>
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भविष्य की इन चुनौतियों को भांपते हुए ब्रिटेन और अमेरिका ने यह निश्चित किया है कि किसी भी तरह रूस से सीधे भिडंत की नौबत न आए। यूक्रेन से जेलेंसकी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर निर्वासित सरकार का ऐलान कर दिया जाए। अभी तक पश्चिमी मीडिया रूस के खिलाफ इनफॉर्मेशन वॉर जीतता रहा है लेकिन अब वो संभव नहीं है। हालांकि बताया तो यह भी जाता है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी और उनके परिवार को पोलैण्ड के अमेरिकी दूतावास पहुंच चुका है। अमेरिकी कमाण्डो और सीक्रेट सर्विस के एजेंट उनकी हिफाजत में तैनात हैं। युद्ध के बीच जेलेंसकी की के जो भी वीडियो बाहर आ रहे हैं वो सब पोलैण्ड के अमेरिकी दूतावास में ही बनाए गए हैं। वीडियो बनाते समय ऐसा दृश्य स्थापित किया गया है कि जैसे जेलेंसकी यूक्रेन की राजधानी कीव में ही हैं। ताकि यूक्रेन की ओर से लड़ रहे मिलीशीया और यूक्रेनियन आर्मी का मनोबल न टूटे।   </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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