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Volkan Bozkir! टर्की का एजेंडा मत थोपो, हिम्मत है तो उइगर और बलोचिस्तान में मुसलमानों की नस्लकुशी पर मुंह खोलो

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पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बुलावे पर इस्लामाबाद पहुंचे यूएनजीए के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने यूनाईटेड नेशंस जैसी संस्था की मर्यादा को तार-तार कर दिया। इस्लामाबाद में वोल्कन बोजकिर यूएनजीए (यूनाईटेड नेशंस जनरल असेंबली) के अध्यक्ष नहीं बल्कि पाकिस्तान के भौपू ज्यादा नजर आ रहे थे। यूएनजीए के अध्यक्ष का पद बेहद संवेदनशील और उच्चतम मर्यादा वाला पद है। इस पद पर बैठे डिप्लोमैट को बेहद संवेदनशील, निष्पक्ष और न्यायप्रिय होना चाहिए। कुछ-एक अपवादों को छोड़कर ऐसा होता भी आया है कि यूएनजीए के अध्यक्ष ने अपने मूल देश के एजेंडे को किनारे रख कर दुनिया के हित में फैसले लिए हैं। लेकिन वोल्कन बोजकिर के मामले में एकदम उलटा है।</p>
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वोल्कन बोजकिर टर्की के डिप्लोमेट हैं और प्रेसिडेंट एर्दोगान के बहुत चहेते हैं। एर्दोगान के बेहद विश्वसनीय होने के नाते वोल्कन बोजकिर यूएनजीए में भी टर्की का एजेंडा चला रहे हैं। भारत में मोदी सरकार के दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही टर्की का रुख भारत को लेकर तनावपूर्ण हो गया है। टर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने कमाल अता तुर्क की नीतियों को दरकिनार कर भारत के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। भारत को नीचा दिखाने के लिए एर्दोगान ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की तारीफों के पुल बांधे और मुस्लिम उम्मा के नाम पर पाकिस्तान का साथ देने और कश्मीर को फिलिस्तीन के समकक्ष मुद्दा बता कर इमरान खान के एजेंडे को वैश्विक स्तर बेचना शुरू कर दिया। अंदरखाने की बात तो यह है कि भारत-पाक युद्ध के हालात में एर्दोगान ने पाकिस्तान को अपनी सेना और हथियार मुहैया कराने का भरोसा भी दिया है।</p>
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एर्दोगान, टर्की के प्रेसिडेंट हैं और वो सऊदी अरब के समकक्ष मुस्लिम उम्मा का नया नेता बनना चाहते हैं। एर्दोगान ऑटोमन साम्राज्य की वापसी करना चाहते हैं, ये उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा हो सकती है। टर्की के भीतर एर्दोगान अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए सब कुछ कर सकते हैं। एर्दोगान के अनुयाई और अधीनस्थ टर्की की सीमाओं में रहकर एर्दोगान की आदेशों का पालन कर सकते हैं। यूएनजीए का सामान्य सदस्य होने नाते टर्की का डिप्लोमेट टर्की के हितों की रक्षा और टर्की के एजेंडे को आगे बढ़ाने की युक्तियां लगा सकता है। टर्की ने ऐसा किया भी है। मगर, यूएनजीए का अध्यक्ष बन जाने के बाद टर्की के प्रतिनिधि (वोल्कन बोजकिर) को अपने कार्यकाल में टर्की का एजेंडा चलाने की अनुमति नहीं है। 178 सदस्य देशों में से 175 ने वोल्कन बोजकिर यूएनजीए का अध्यक्ष इसलिए नहीं चुना था कि वो दुनिया पर ऑटोमन एजेंडा लागू करने के प्रयास करें।</p>
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टर्की को यूएनजीए का अध्यक्ष चुने जाने का मतलब यह नहीं है कि वोल्कन बोजकिर को टर्की और पाकिस्तान का एजेंडा चलाने का लाइसेंस मिल गया है। इस्लामाबाद में वोल्कन बोजकिर के बयान ने भारत को मायूस नहीं किया बल्कि यूएनजीए जैसी संस्था की मर्यादा को तार-तार कर दिया है। कश्मीर पर पाकिस्तानी राग अलाप कर वोल्कन बोजकिर ने यूएनजीए के सदस्य देशों के साथ विश्वासघात किया है। यूएनजीए का मकसद वैश्विक समस्याओं का न्यायपूर्ण समाधान देना है न कि मुस्लिम कार्ड खेलकर पाकिस्तान जैसे कुछ देशों को फायदा पहुंचाना है।</p>
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हाल ही में इसराइल-हमास संघर्ष में भी वोल्कन बोजकिर की भूमिका बेहद नकारात्मक और पक्षपातपूर्ण रही। इसराइल-फिलिस्तीन समस्या का हल बिना पक्षपात के होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बिना वजह इसराइलों को निशाना बनाकर रॉकेट दागने वाले हमास (फिलिस्तीन) का पक्ष इसलिए लिया जाए कि इसराइल ने आत्मरक्षा में हमास पर जवाबी हमले क्यों किए। ये सरासर नाइसांफी है। इसी तरह कश्मीर मुद्दे पर आतंकियों के आका पाकिस्तान की भाषा सिर्फ इसलिए बोलना कि टर्की और पाकिस्तान मुस्लिम उम्मा का नया नेता बनना चाहते हैं। भारत को निशाना इसलिए बनाया जाए कि भारत ने आतंकियों को सबक सिखा रहा है। भारत आतंकियों के आका पाकिस्तान की पोल खोल रहा है।</p>
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मुसलमानों के नेता बनने का ही शौक है तो टर्की और पाकिस्तान शिन्जायंग में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप क्यों बैठे हैं? उइगर मुसलमान नहीं हैं क्या? यूएनजीए के मौजूदा अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर तन-मन और मस्तिष्क से स्वस्थ्य दिखाई देते हैं, क्या उनके अंदर इतना नैतिक बल है कि इस्लामाबाद तफरही के दौरान बीजिंग को चेतावनी दे सकें। वोल्कन बोजकिर में अगर हिम्मत है तो बलोचिस्तान में हो रही नस्ककुशी पर पाकिस्तान को हिदायत दें! वोल्किन बोजकिर हरगिज ऐसा नहीं कर सकते, क्यों कि वो इस समय भी खुद को यूएनजीए के अध्यक्ष की तरह नहीं बल्कि टर्की के स्पेशल मैसेंजर की तरह काम कर रहे हैं।</p>
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(वोल्कन वोजकिर ने 27 मई 2021 को इस्लामाबाद में मीडिया से कहा कि फिलिस्तीन और कश्मीर एक जैसे मुद्दे हैं)</p>
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Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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