विचार

जानिए कौन था हिन्दू घर्मग्रंथों में आस्था रखने वाला दारा शिकोह ?

दारा शिकोह की गिनती तत्कालीन विद्वानों में की जाती थी। दारा शिकोह हिन्दुओं के कई धर्म ग्रंथों का फ़ारसी में अनुवाद किया था। ऐसा करने के पीछे दारा शिकोह का हिन्दू धर्मग्रंथों को लेकर उसका लगाव था। पिछले दिनों जब लाल क़िला से फ़िल्मी हस्ती इक़बाल दुर्रानी ने सामवेद का हिन्दी और उर्दू में अनुवाद किया, तो उन्होंने अपने बयान में कहा कि औरंगज़ेब के शासनकाल में जो दारा शिकोह न कर सका, वो मोदी सरकार में इक़बाल दुर्रानी ने कर दिखाया।
दरअसल,मुगल बादशाह शाहजहां के चार बेटों में से एक था दारा शिकोह। औरंगज़ेब इसी दारा शिकोह का भाई था,जो एक कट्टर बादशाह के तौर पर इतिहास में दर्ज है। उस पर हिन्दुओं का संहारक और अनेक मंदिरों ,हिन्दू धर्मग्रंथों के अपमान का जघन्य अपराध करने का आरोप है। दारा शिकोह और औरंगज़ेब के अलावे उसके दो छोटे भाई-शुजा और मुराद बख्श थे।
उस ज़माने के दस्तूर के मुताबिक़ बादशाह शाहजहां के बड़े बेटे होने के नाते गद्दी पर दारा शिकोह का स्वाभाविक अधिकार था,लेकिन शाहजहांनामा के मुताबिक़ औरंगज़ेब इतना क्रूर था कि गद्दी पाने की लालसा में अपने बड़े भाई का सर कलम कर दिया और कटा हुआ सर आगरा के क़िला में क़ैद अपने पिता के पास भिजवा दिया, शरीर का बाक़ी हिस्सा दिल्ली स्थित हुमांयू के मकबरे के पास दफ़ना दिया।
दारा शिकोह के क़त्ल के तक़रीबन 350 साल बाद उनकी क़ब्र खोजने में क्यों दिलचस्पी दिखा रही है मौजूदा सरकार ?
भाई के द्वारा क़त्ल किए जाने के क़रीब 350 साल बाद दारा शिकोह की क़ब्र की पहचान की जा रही है। और ये शिनाख्त भारत सरकार की ओर से करवाई जा रही है। दरअसल, दारा शिकोह की क़ब्र खोजने के लिए 2020 में एक कमेटी भी बनाई गई थी,जिसने ASI को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। लेकिन, दारा शिकोह की कब्र की शिनाख़्त की आधिकारिक पुष्टि अबतक नहीं हो पाई है।
इतिहासकारों की मानें तो हुमांयू की क़ब्र के दायें और बायें दोनो बगल बने गुम्बद के नीचे तीन-तीन क़ब्रें हैं,औऱ इन्हीं छह कब्रों में से एक दारा शिकोह की क़ब्र है। हालांकि, Memoirs of The Archeological Survey of India जो ASI द्वारा 1947 में प्रकाशित की गई थी,उस किताब के अनुसार, हुमांयू के मकबरे के पास खुले आसमान में एक क़ब्र दारा शिकोह की क़ब्र हो सकती है। भारत सरकार की 7 सदस्यीय एक पैनल ने दारा शिकोह की क़ब्र की निशानदेही हुमांयू के मकबरे के दायी दिशा में मौजूद गुम्बद से की जाती है,और यह रिपोर्ट जुलाई 2020 को ASI और भारत सरकार को सौंप भी दी है।
बड़ा सवाल,क्यों खोजी जा रही है दारा शिकोह की क़ब्र ?
दरअसल, एक ओर जहां शाहजहां के कट्टर और राजगद्दी के लिए बेताब बेटे औरंगज़ेब जहां हिन्दू विरोधी,हिन्दू मंदिरों को तहस-नहस करने,और हिन्दू धर्मग्रंथों को जलाने के लिए कुख्यात था,वहीं दारा शिकोह को हिन्दुस्तान और हिन्दु धर्मग्रंथों से बेहिसाब मुहब्बत थी। दारा शिकोह एक भारतीय था,जो हिन्दूधर्म और हिन्दुओं के धर्मग्रंथों से बेपनाह आस्था रखता था। दारा शिकोह के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह हिन्दू मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाता था। सबसे बड़ी बात यह कि दारा शिकोह ही ऐसा शख़्स था, जिसने संस्कृत में लिखे 52 उपनिषदों के साथ-साथ भगवदगीता का अनुवाद फ़ारसी भाषा में किया था और इसके लिए उसने संस्कृत सीखी तथा इसमें बनारस के पंडितों की मदद भी ली।

हिन्दू धर्म और धर्मग्रंथों में दारा शिकोह की गहरी रूचि
इतिहास बताता है कि दारा शिकोह बेहद पढ़ा लिखा विद्वान था। उदार चरित्र के धनी शख़्सियत दारा शिकोह ने कई किताबें लिखी थीं। इसके लिखे किताब मजमा-उल-बहरीन में वेदांत और सूफ़ीवाद का तुलनात्मक अध्यन इस बात की गवाही देता है। दारा शिकोह को किसी अन्य धर्मों के बारे में जानने की इतनी प्रबल इच्छा रहती थी कि वह अक्सर अपने समय के प्रमुख मुस्लिम सूफ़ियों,इसाइयों,जैनियों बौद्धों और हिन्दुओं के साथ धार्मिक चर्चायें या यूं कहें कि धार्मिक विचारों का आदान प्रदान किया करता था।लिहाज़ा हम कह सकते हैं कि दारा शिकोह की नज़र में सभी धर्मों के प्रति सम्मान था,और सभी धर्मग्रंथों को समानता की नज़र से देखता था।

“दारा शिकोह के हिन्दू बन जाने की अफ़वाह” के पीछे औरंगज़ेब की कुटिल चाल
दारा शिकोह ने मथुरा के केशवराय मंदिर में एक रेलिंग दान की थी,और वहां का प्रसाद भी ग्रहण किया था। इस बात का ज़िक़्र इतिहासकार यदूनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ़ ऑरंगज़ेब’ में किया है। इस किताब में बताया गया है कि जब इस बात की भनक औरंगज़ेब को लगी, तो उसने पूरे राज्य में यह अफ़वाह फैला दिया कि दारा शिकोह हिन्दू धर्म को अपना लिया है। दारा शिकोह के रेलिंग दान की बात को सुनकर औरंगज़ेब के आदेश पर केशवराय मंदिर को तुड़वा दिया गया,और वहां एक मस्जिद बनवा दी गई। वही मस्जिद इस समय मथुरा की मशहूर शाही ईदगाह मस्जिद है,जिसे लेकर हिन्दू धर्मावलंबी कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं।
दारा शिकोह की क़ब्र खोजकर भारत सरकार मुस्लिमों में एक संदेश देना चाहती है कि दारा शिकोह किसी भी मुग़ल बादशाह की तुलना में एक सच्चा हिन्दुस्तानी और ज़्यादा हिंदुत्वप्रेमी था। उसे भारत की संस्कृति और समाज से बेहद लगाव था। लिहाज़ा दारा शिकोह की कब्र की निशानदेही कर सरकार उसे मुसलमानों के एक वाजिब नायक के तौर पर पेश करना चाहती है।इसमें शक भी कहां है कि दारा शिकोह अगर हिंदुस्तान का बादशाह होता,तो आज इस देश का इतिहास कुछ और होता।

Brajendra Nath Jha

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