पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक अखबार से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार को कराची में गिरफ्तार कर लिया गया है।
खबरों के अनुसार, बिलाल फारूकी पर देश की सेना के खिलाफ 'अत्यधिक उत्तेजक पोस्ट' साझा करने का आरोप लगाया गया है। फारूकी अंग्रेजी अख़बार 'द ट्रिब्यून' में काम करते हैं, उन्हें रक्षा पुलिस के स्टेशन जांच अधिकारी (एसआईओ) ने शुक्रवार शाम को गिरफ्तार किया था। फारूकी अखबार के दफ्तर में समाचार संपादक के रूप में काम करते हैं।
मीडिया पर कार्रवाई का पाकिस्तान में यह पहला मामला नहीं है, आए दिन मीडिया पर हमले होते रहते हैं। एक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान के 88 प्रतिशत पत्रकार डर की वजह से खुद ही वैसी खबरें लिखते हैं जो सरकार चाहती है। <a href="http://www.journalismpakistan.com/88-percent-pakistani-journalists-self-censor-in-professional-and-79-percent-in-personal-settings-study" rel="noopener noreferrer" target="_blank">‘सरेंडरिंग टू साइलेंस’</a> नाम की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी देश के 86 प्रतिशत पत्रकार देश के बिगड़े माहौल में स्वतंत्रता से रिपोर्ट करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। सर्वे के मुताबिक तीन में दो पत्रकारों ने माना कि स्वतंत्रता से अपनी बात लिखने और कहने के बदले उन पर हमला हुआ या उन्हें डराया गया। 10 में से सात पत्रकारों का कहना था कि अपने लेखन पर नियंत्रण करके वे सुरक्षित महसूस करते हैं।
अब इन पत्रकारों का डर समझिए और फिर सत्ता के खिलाफ सही रिपोर्ट तलाशिए। सच तब छपेगा जब उसे रिपोर्ट करने वाले स्वतंत्र होंगे।
पाकिस्तान में आए दिन पत्रकार उठा लिए जाते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे वे डरें और वही लिखें जो सत्ता और ISI चाहती है। पाकिस्तान के पत्रकार तहा सिद्दीकी आजकल पाकिस्तान से दूर पेरिस में रह रहे हैं। तहा पर 10 जनवरी 2018 को इस्लामाबाद में जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे। उन्होंने <a href="https://www.washingtonpost.com/opinions/2019/01/08/im-journalist-who-fled-pakistan-i-no-longer-feel-safe-exile/" rel="noopener noreferrer" target="_blank">लिखा</a> कि उनके अनुसार यह हमला उन पर पाकिस्तानी सेना ने करवाया था।
तहा ने 'वाशिंगटन पोस्ट' में छपे अपने लेख में लिखा कि सेना से जुड़ी खबरें छापने की वजह से आज उनके पांच साल के बेटे और पत्नी को स्वघोषित अज्ञातवास में रहना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें बताया कि अगर तहा ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ़ लिखना बंद नहीं किया तो अगली बार उनकी हत्या भी हो सकती है।
2012 में पाकिस्तान से जान बचाकर भागे पत्रकार साजिद हुसैन ने स्वीडन में जाकर शरण ली, लेकिन इस साल मई में उनकी हत्या कर दी गई। हुसैन भी बलोचिस्तान के रहने वाले थे और बलोचिस्तान टाइम्स के मुख्य संपादक थे।
हुसैन की पत्नी ने बताया था कि उनके पति ने कई बार आशंका जताई थी कि उनका पीछा किया जा रहा है।
पाकिस्तान में महिला पत्रकार होना तो और भी खतरनाक है। 6 सितंबर को पाकिस्तान टेलीविज़न में काम करने वाली शाहीना शाहीन की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई। वे बलोचिस्तान की रहने वालीं थीं और पाकिस्तान की सेना जिस तरह से बलोच समाज की आवाज़ दबाती आई है, उससे दुनिया वाकिफ है।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">A journalist, an anchorperson, an art lover brutally murdered in Balochistan today. 2nd woman journalist killed in Pakistan in last 10 months. Strongly condemned this cold blooded murder of Shaheena in a place where we already have dearth of women journalists. <a href="https://twitter.com/hashtag/JusticeForShahina?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#JusticeForShahina</a> <a href="https://t.co/SNJ2YBP3TW">pic.twitter.com/SNJ2YBP3TW</a></p>— Nighat Dad (@nighatdad) <a href="https://twitter.com/nighatdad/status/1302346754101137409?ref_src=twsrc%5Etfw">September 5, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
तहा लिखते हैं कि वह फ्रांस में भी सुरक्षित महसूस नहीं करते। उन्हें डर लगा रहता है कि कोई उन पर हमला न करे दे और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर वह खासे परेशान रहते हैं।
मई 2019 में महिला पत्रकार उरूज इकबाल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। परिवार ने एक स्थानीय नेता पर हत्या करवाने का आरोप लगाया था। पुलिस ने इसे खारिज कर दिया था। अब तक कातिलों का पता नहीं लगाया जा सका है।
पाकिस्तान के पत्रकार अहमद नूरानी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना के पूर्व जनरल असीम सलीम बाजवा के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने और अरबों की संपत्ति जुटाने का ज़िक्र किया था। अब उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
पाकिस्‍तानी पत्रकार अहमद नूरानी ने ट्वीट कर कहा कि पिछले कुछ घंटों में मुझे 100 से ज्यादा मैसेज आए हैं जिसमें मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई है।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">During last few hours, i hav received more than 100 such mesgs informing that i wil b killed along with my children. I know about these accounts. Though FIA & its Cyber Crimes Wing always stood with criminals but upon my return to Pakistan after few days i wil move FIA once again <a href="https://t.co/PMuHLRKFmN">pic.twitter.com/PMuHLRKFmN</a></p>— Ahmad Noorani (@Ahmad_Noorani) <a href="https://twitter.com/Ahmad_Noorani/status/1299957765104951297?ref_src=twsrc%5Etfw">August 30, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
नूरानी की ट्विटर टाइमलाइन पर एक नज़र डालते ही आपको समझ आ जायेगा कि कितने पत्रकारों की आवाज़ दबाने की कोशिश पाकिस्तान में की जा रही है।
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अख़बार डॉन ने अपने संपादकीय में सरकार पर पत्रकारों पर हो रहे हमलों को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया। सवाल तो उठाना लाज़मी है कि मीडिया के मुंह पर ताला डालकर कौन सा सच छुपाना चाहती है सेना और पाकिस्तान की सरकार? .
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