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भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए टैटू सेंसर बनाया

भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के नैनो विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र (सीईएनएसई)  से जुड़े डॉ. सौरभ कुमार की टीम ने लगभग 20 माइक्रोन मोटी त्वचा के अनुरूप टैटू सेंसर का निर्माण किया है। इस सेंसर से एक व्यक्ति के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पैरामीटर मसलन पल्स रेट, श्वसन दर और सरफेस इलेक्ट्रोमोग्राफी आदि की निरंतर निगरानी की जा सकती है।

सेंसर संवेदक श्वसन दर और पल्स के लिए एक एकल नाली के रूप में कार्य करता है। यह सेंसर की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करेगा। डॉ. सौरभ कुमार की टीम का यह हालिया काम रिसर्च जर्नल <strong>‘एससीएस सेंसर्स’</strong> में प्रकाशित हुआ है।

गेज फैक्टर (जीएफ) के साथ इसकी उल्लेखनीय रूप से उच्च संवेदनशीलता नैनो-क्रैक के विकास और उनके तनाव के आधार पर फिल्म के माध्यम से प्रसार को लेकर बनाई गई है। फौरी तौर पर प्रतिक्रिया देने और अत्यधिक दोहराए जाने वाले सेंसर में आसान निर्माण चरणों का पालन किया जाता है। लेजर का उपयोग करके किसी भी आकार और पैटर्न में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

त्वचा के अनुरूप इस सेंसर में गैर-आक्रामक और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निरंतर निगरानी करने की क्षमता है।इसके अलावा, इसमें भारी भरकम स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों की जगह लेने की क्षमता है।

ये सेंसर उपयोगकर्ता की दैनिक गतिविधियों में कोई बाधा खड़ी नहीं करते हैं। यह सेंसर पल्स रेट, श्वसन दर, यूवी रे एक्सपोजर, स्किन हाइड्रेशन लेवल, ग्लूकोज की निगरानी आदि जैसे महत्वपूर्ण संकेतों की निरंतर निगरानी में सक्षम है।

भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के केंद्र नैनो विज्ञान और इंजीनियरिंग (सीईएनएसई)  से जुड़े और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित इन्‍सपायर फैकल्टी फैलोशिप प्राप्त करने वाले डॉ. सौरभ कुमार अभी वीयरेबल सेंसर पर काम कर रहे हैं। इस सेंसर से त्वचा के जरिये शरीर से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी हासिल की जा सकती है।

त्वचा से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान हो रहे हैं। इसका मकसद डायग्नोस्टिक निदान के उपकरण को मुहैया कराना है, जो पहनने में आरामदायक हो। पारंपरिक चिकित्सा उपकरण भारी, जटिल और गैर-व्यावहारिक हैं, क्योंकि रोजमर्रा के जीवन में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निरंतर निगरानी करना मुमकिन नहीं है। मानव शरीर के ढांचे को देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि त्वचा के अनुकूल सेंसर की जरूरत होती है ताकि उसे टैटू की तरह धारण किया जा सके।.

डॉ. शफी अयूब खान

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