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5000 साल पुराने ‘जादुई जार’ ने तोड़ दिया Gravity का Rule, टेस्ट में वैज्ञानिकों का भी चकराया सिर

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शिल्पकृति की हमारे देश में खूब डिमांड हैं। भारत में 5000 साल पुराना मैजिक जार मिला हैं। वर्तमान में ये चेन्नई के संग्रहालय में प्रदर्शित है। ये ऐसी दिखती है जैसे ये प्लास्टिक से बनी हो, पर यह पूरी तरह से मिट्टी से बनी है। इस पात्र की खासियत यही हैं कि यह गुरुत्वाकर्षण और भौतिक विज्ञान के सभी नियमों का उल्लंघन करता है। इसके तले के बिल्कुल बीच में एक छेद है। इसमें ऊपर से पानी डालते हैं तो, पानी को सामान्य तौर पर तले के छेद से होकर बह जाना चाहिए, लेकिन पानी तले के छेद से रिसता नहीं है बल्कि पानी का स्तर धीरे धीरे बढ़ता जाता है।</p>
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आमतौर पर जब तले में एक छेद होता है तो, हमारे ऊपर से पानी डालते ही पानी तुरंत बह जाना चाहिए। ऐसा गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है, पर यह एक गुरुत्वाकर्षण विरोधी मर्तबान है, तो पानी छेद से बाहर नहीं आता है और यहां एक दूसरी परेशानी है। इसे आधा भरने पर भी पानी नहीं निकलता है, और ऐसा लगता है कि पानी तब ही निकलना शुरू होगा जब इसमें पानी का और ज्यादा वजन बढ़ाया जाए। इन सब बातों को जानकर मन में सवाल आता हैं कि ऐसा कैसे होता है? क्या यह किसी तरह का जादुई जार है ? क्या इसी कारण इसे सुरक्षा पूर्वक संग्रहालय में शीशे के दरवाजों के पीछे रखा गया है ?</p>
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आपको बता दें कि यह एक जादुई जार है और यह भगवान कृष्ण की प्रतिमा है, जो कि भारत के एक जादुई भगवान हैं। इसको लेकर एक बहुत मनोरंजक कहानी सुनाई जाती थी। लगभग पांच हज़ार साल पहले, भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, और उनके मामा उन्हें फौरन मारना चाहते था। तो उनका जीवन बचाने के लिए, बालक कृष्ण को उनके पिता द्वारा गुप्त रूप से दूर ले जाया गया, जिन्होंने उन्हें  यमुना नदी के पार ले जाने का निर्णय लिया। जब उनके पिता नदी पार कर रहे थे, तब पानी का स्तर बढ़ना शुरू हो गया। उनके पिता ने नदी से घटने की प्रार्थना की, पर पानी का स्तर बढ़ता ही रहा।</p>
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पर जब यमुना नदी ने भगवान कृष्ण के पैर छुए, इसका पानी पूरी तरह से निकल गया और यह बिल्कुल सूख गई, जिस से पिता और पुत्र सुरक्षित रूप से नदी पार कर पाएं। यमुना नदी ने बाद में बताया कि यह भगवान कृष्ण के पैर छू कर उनका आशीर्वाद  लेना चाहती थी, तो, इसलिए पानी का स्तर कृष्ण के पैर छूने तक बढ़ता रहता है, और एक बार जब यह उनके पैर छू लेता है। </p>

आईएन ब्यूरो

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