गर्मी की शुरुआत के साथ ही प्रवासी पक्षी तेलंगाना के वारंगल ज़िले में स्थित पाखल झील की तरफ़ रुख़ कर जाते हैं। इन विविध पक्षियों के आगमन के साथ इस झील में पक्षी और प्रकृति प्रेमी दोनों जुटने लगते हैं।यही बात इस झील को राज्य और अन्य स्थानों के पर्यटकों और आगंतुकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बना देती है।
नरसामपेट शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झील एक अप्रकाशित जल निकायों में से एक है और इसका निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय शासक गणपति देव ने कराया था।
कॉटन पिग्मी गूज, नॉर्दर्न पिंटेल, स्पॉट बिल्ड डक, लेसर व्हिस्लिंग डक और रेड क्रेस्टेड पोचर्ड सहित सैकड़ों प्रवासी पक्षी हर साल इस झील में आते हैं। तेलंगाना वन विभाग और राज्य पर्यटन विकास निगम ने इस झील को पाखल वन्यजीव अभयारण्य में विकसित किया है।
इनमें से अधिकांश प्रवासी पक्षी भारत के उत्तरी भाग से आते हैं और घोंसले और प्रजनन के लिए मूल स्थान पर लौटने से पहले तीन महीने के लिए पाखाल अभयारण्य को अपने घर के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
इन पक्षियों को परेशान न किया जाए और उनके पास पर्याप्त भोजन हो,इसे सुनिश्चित करने के लिए इस झील में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा, वन अधिकारी आसपास के गांवों के निवासियों में इसके संरक्षण को लेकर जागरूकता पैदा कर रहे हैं।
इस बीच वन अधिकारी प्रकृति के प्रति प्यार दिखाने वालों के लिए पाखल झील में बर्ड वॉक की योजना बना रहे हैं।
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