बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic missile) डिफेंस सिस्टम को दुरुस्त करने की दिशा में भारत ने एक बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। अब भारत दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट्स को आसमान में उड़ा देने की क्षमता को नेक्स्ट लेवल तक ले गया है। यह सिस्टम लंबी दूरी तक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को मार गिराने में सक्षम है। दरअसल, चीन और पाकिस्तान की किलर मिसाइलों, फाइटर जेट और विस्फोटकों से लैस ड्रोन विमानों का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसी से निपटने के लिए भारत अब अभेद्य सुरक्षा कवच हासिल कर रहा है।
इसी सिलसिले में भारत ने मंगलवार को ओडिशा के तट पर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लार्ज किल एल्टीट्यूड ब्रैकेट के साथ फेज़- II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर एडी-1 का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। भारत अपने बीएमडी सिस्टम को रूस से मिले एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही आगे बढ़ा रहा है। ताजा परीक्षण में बीएमडी की AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को हासिल किया। बीएमडी सिस्टम को इस तरह से बनाया गया है कि परमाणु हमले को भी विफल किया जा सके। आइए जानते हैं कि क्या है AD-1 मिसाइल और कैसे भारत अपने स्वदेशी आयरन डोम को मैदान-ए-जंग के लिए तैयार कर रहा है।
क्या है इंटरसेप्टर एडी-1
इंटरसेप्टर एडी-1 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों (Ballistic missile) के साथ-साथ एयरक्राफ्ट के लो एक्सो-एटमॉस्फेरिक और एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन दोनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यानी कि इंटरसेप्टर एडी-1 लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को पृथ्वी के वायुमंडल में और उससे बाहर दोनों जगह डिटेक्ट कर सकता है और इसे नष्ट भी कर सकता है।
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इंटरसेप्टर मिसाइल एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic missile) है। इसे दुश्मन देश की इंटरमीडिएट रेंज और अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए डीआरडीओ ने विकसित किया है। इस मिसाइल को वातावरण के बाहर और वातावरण के अंदर मौजूद बलिस्टिक मिसाइलों और फाइटर जेट को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल दो चरणों वाले सॉलिड मोटर से चलती है। इसमें भारत में विकसित किया गया अत्याधुनिक कंट्रोल और नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है। यह नेविगेशन सिस्टम AD-1 मिसाइल को बहुत तेज गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करती है।
बीएमडी की जरूरत भारत को कब हुई
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस सिस्टम की मदद से एक बड़े इलाके को दुश्मन के मिसाइल या अन्य हवाई हमलों से बचाया जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अत्याधुनिक तकनीक दुनिया में कुछ ही देशों के पास मौजूद है। भारत को इस सिस्टम की सख्त जरूरत कारगिल युद्ध के समय साल 1999 में पड़ी थी। पाकिस्तान अपनी मिसाइल क्षमता को लगातार बढ़ा रहा था। चीन भी पाकिस्तान को मिसाइल कार्यक्रम में लगातार मदद दे रहा था। भारत के बीएमडी सिस्टम का पहला चरण माना जाता है कि साल 2010 के आसपास पूरा हो गया था। इस एयर डिफेंस सिस्टम को पृथ्वी मिसाइल की मदद से तैयार किया गया है। इसकी मदद से दुश्मन की 2000 किमी तक मार करने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है।
अमेरिकी थॉड की तरह होगा भारत का एयर डिफेंस सिस्टम
सूत्रों के मुताबिक भारत के बीएमडी कार्यक्रम का दूसरा चरण एक अभेद्य एंटी बलिस्टिक मिसाइल सिस्टम बनाने पर फोकस है। भारत का यह सिस्टम ठीक उसी तरह से हो सकता है जिस तरह से अमेरिका का थॉड है। अमेरिका ने दुनिया के कई देशों में थॉड एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात कर रखा है और यह मध्यम दूरी यानि 5000 किमी की मारक क्षमता वाली बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यही नहीं भारत अब AD-II इंटरसेप्टर मिसाइल को बनाने में जुट गया है जो ज्यादा दूरी तक अपने दुश्मन का शिकार कर सकती है।
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