भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक व्यवसायिक इकाई एंट्रिक्स को एक अमेरिकी अदालत की तरफ से देवास मल्टीमीडिया को 1.2 अरब डॉलर (करीब 90 अरब रुपये) चुकाने को कहा गया है।
देवास बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप कंपनी है, जिसके साथ इसरो ने साल 2011 में सैटेलाइट के निर्माण और लॉन्च करने के करार को तोड़ दिया था।
रपटों के मुताबिक, वॉशिंगटन के वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट सिएटल के जज थॉमस जिली ने 27 अक्टूबर को एक आदेश पारित किया। जिसके तहत एंट्रिक्स की तरफ से देवास को 562.5 करोड़ डॉलर का मुआवजा और ब्याज समेत कुल 1.2 अरब डॉलर चुकाने को कहा।
दरअसल, साल 2005 में देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें दो सैटेलाइट (जीएसएटी-6 और जीएसएटी-6ए) को बनाने, इन्हें लॉन्च करने और इनके संचालन पर दोनों संस्थानों के बीच बात बनी थी। साथ ही एंट्रिक्स की ओर से देवास को एक 70 मेगाहर्ट्ज का एस बैंड स्पेक्ट्रम भी मुहैया कराना जाना था। इनका उपयोग देश भर में संचार सेवाओं के विकास के लिए किया जाना था।
हालांकि, साल 2011 में एंट्रिक्स ने यह करार तोड़ दिया। इसके बाद देवास ने सुप्रीम कोर्ट सहित कई अंतर्राष्ट्रीय अदालतों का रुख किया था और सौदे को गलत ढंग से तोड़ने की दलील दी।.
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