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Earthquake: अब पहले पता लगेगा बड़े भूकंपों का, नई तकनीक बचाएगी हजारों की जान

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बड़े भूकंप से होने वाली तबाही से हर कोई वाकिफ है। वहीं वैज्ञानिकों के पास ऐसा कोई तरीका नहीं था जिससे बड़े भूकंपो के बारे में पहले से चेतावनी मिल सके। परंतु, अब शोधकर्ताओं ने छोटे गुरुत्वाकर्षण संकेतों (Gravitational Signals) की पहचान करने के लिए ऐसे कंप्यूटर बनाए हैं, जिससे सिग्नल के इस्तेमाल से तुरंत ही बड़े भूकंप की जगह और आकार को मार्क किया जा सकता है।</p>
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'साइंस' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, यह एक पूरी तरह से नया तरीका है।  कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भूकंपविज्ञानी रिचर्ड एलन कहते हैं कि अगर हम इस एल्गोरिथम को लागू करते हैं  तो इतना अधिक विश्वास होगा कि बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।</p>
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<strong>अभी सीस्मोमीटर का होता है उपयोग</strong></p>
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वैज्ञानिक आमतौर पर भूकंप का पता लगाने के लिए भूकंपीय तरंगों या भूकंपीय तरंगों की निगरानी करते हैं, जिन्हें सीस्मोमीटर कहा जाता है। वे जितनी अग्रिम चेतावनी दे सकते हैं, वह भूकंप और सिस्मोमीटर के बीच की दूरी और 6किलोमीटर प्रति सेकंड से कम की यात्रा करने वाली भूकंपीय तरंगों की गति पर निर्भर करती है। एलन कहते  हैं कि यह छोटे टेम्पलर के लिए अच्छा काम करता है, लेकिन 7से अधिक तीव्रता वाले भूकंप को पहचानना सबसे चुनौतीपूर्ण हो जाता है।</p>
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हाल ही में, गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज में शामिल शोधकर्ताओं ने महसूस किया कि प्रकाश की गति से गुरुत्वाकर्षण संकेतों का उपयोग भूकंप की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी बर्नार्ड व्हिटिंग कहते हैं कि आश्चर्यजनक बात यह है कि सिस्मोमीटर में भी सिग्नल मौजूद होगा।</p>
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<strong>मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम किया तैयार</strong></p>
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कोटे डी'ज़ूर विश्वविद्यालय के पोस्टडॉक एंड्रिया लिसियार्डी और उनके सहयोगियों ने उस पैटर्न की पहचान करने के लिए एक मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम बनाया है। उन्होंने तोहोकू से सेट किए गए वास्तविक डेटा पर परीक्षण करने से पहले मॉडल को सैकड़ों हजारों नकली भूकंपों पर प्रशिक्षित किया। शोधकर्ताओं ने नेचर में की रिपोर्ट के अनुसार, मॉडल ने लगभग 50सेकंड में भूकंप की तीव्रता का सटीक अनुमान लगाया।</p>
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यह तकनीक बड़े-तीव्रता वाले भूकंपों के अधिक विश्वसनीय आकार का अनुमान दे सकता है, जो महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से सूनामी की भविष्यवाणी के लिए, जो अक्सर आने में अतिरिक्त 10 या 15 मिनट लगाते हैं।  हालांकि, तकनीक अभी तक चालू नहीं है।  इसने वास्तविक समय में डेटा संसाधित नहीं किया है। मॉडल को जापान में तैनात करने की तैयारी है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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