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Mars Mission बस कुछ दिन और…! मंगल पर होगा एक और अमेरिका, NASA के परसिवरेंस ने ढूंढ निकाले ‘जीवन के राज’

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नासा के वैज्ञानिकों को इस बात का पूरा यकीन हो गया है कि लाल ग्रह यानी मार्स पर एलियंस की मौजूदगी है। अंतरिक्ष के रहस्यमय लाल ग्रह पर पानी और बादल के बाद नमक भी मिल चुका है। इसके साथ ही नासा का परसिवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के नीशान खोजने के लिए अपने मिशन की शुरूआत करने वाला है। रोवर जिस जेजेरो क्रेटर के पास मंगल पर जीवन तलाश करेगा उसे लेकर माना जाता है कि वह एक समय में विशालकाय झील हुआ करती थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि मार्स पर आज की तुलना में अरबों साल पहले अधिक गीला हुआ करता था। अपने मिशन के दौरान रोवर के जरिए नेविगेशन करेगी।</p>
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AutoNav एक स्मार्ट एल्गोरिथम है जो रोवर को यात्रा करते समय आस-पास के इलाके को 3D मैप करने और सबसे सटीक रास्ता खोजने में मदद करता ह। नासा के एक बयान में रोवर की टीम का हिस्सा वरिष्ठ इंजीनियर वंदी वर्मा ने कहा है कि रोवर के पास ड्राइविंग करते समय सोचने की क्षमता भी है। उनके अनुसार जब पहिए चल रहे हों तो रोवर को अपनी ऑटोमैटिक ड्राइव के बारे में लगातार सोचना पड़ता है। इसके लिए रोवर के अंदर एक विशेष कंप्यूटर लगाया गया था। हालांकि, रोवर को इस मिशन के लिए अकेले AutoNav पर नहीं छोड़ा जा सकता है।</p>
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<strong>AutoNav की जरूरत</strong></p>
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दरअसल, मंगल और पृथ्वी के बीच रेडियो सिग्नल में देरी के कारण वैज्ञानिक रोवर को जॉयस्टिक से नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। यहीं पर AutoNav काम आता है। वहीं, मंगल पर रोवर को नियंत्रण में रखना कठिन काम है। इसके लिए धरती से इसे एक जॉयस्टिक के जरिए कंट्रोल किया जाता है। इसकी बदौलत रिमोट कंट्रोल किसी भी ड्रोन, वाहन या रोबोट को कमांड दे सकता है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब ऑब्जेक्ट और कमांड सेंटर के बीच रेडियो सिग्नल में कोई परेशानी नहीं आए। यदि रेडियो सिग्नल बीच में टूट जाता है, तो इसकी वजह से कमांड सेंटर का रोवर पर से कंट्रोल खत्म हो जाएगा, ये एक बड़ी मुसीबत बन सकता है।</p>
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बताते चलें कि, मंगल की सतह पर परसिवरेंस रोवर 120 मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से यात्रा करने में सक्षम है। इससे पहले NASA ने Curiosity rover को मंगल पर भेजा था, जिसकी रफ्तार 20 मीटर प्रति घंटा थी।</p>
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आईएन ब्यूरो

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