विज्ञान

जागरूकता: छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव,जहां पक्षियों को विकिरण से बचाने के लिए सेल फ़ोन टावर लगाने की अनुमति नहीं

जिस दुनिया में लोग लगातार मोबाइल और इंटरनेट के जरिए जुड़े रहना चाहते हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो पक्षियों की ख़ातिर इससे दूर रहना चाहते हैं। जी हां, ये छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले के लचकेरा के निवासी हैं, जिन्होंने ख़ुद ही अपने पड़ोस में किसी भी सेल टावर की अनुमति नहीं दी है, उन्हें डर है कि इससे निकलने वाले विकिरण से एशियाई ओपनबिल स्टॉर्क प्रभावित होंगे।

ये पक्षी प्रवासी हैं और हर साल इस क्षेत्र में आते हैं। गांव में रहने वाले 600 परिवारों को डर है कि सेल टावर इन पक्षियों के जीवन, प्रजनन और चलने-फिरने और उड़ने की क्षमताओं को प्रभावित करेंगे।

गांव के सरपंच उदय निषाद ने मीडिया को बताया कि लोग कनेक्टिविटी कमज़ोर इसलिए रखना चाहते हैं, ताकि पक्षियों को नुक़सान न हो, क्योंकि पेड़ों पर घोंसला बनाने के लिए इन्हें शांत जगह की तलाश होती है। यह इन ओपनबिल स्टॉर्क के प्रति उनका प्यार है, जो उन्हें मोबाइल फ़ोन सेवा प्रदाताओं के प्रलोभन और दबाव का विरोध करने देता है।

देवेन्द्र कुमार दुर्गम, डॉ. श्वेता साव और डॉ. आर.के. सिंह द्वारा किए गए एक अध्ययन में के वैज्ञानिकों की एक टीम ने डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में पाया कि सेल फ़ोन और सेल टावरों से विद्युत चुम्बकीय विकिरण पक्षियों और पर्यावरण को प्रभावित करता है।

इस अध्ययन में कहा गया है: “जब पक्षी कमज़ोर विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के संपर्क में आते हैं, तो वे भटक जाते हैं और सभी दिशाओं में उड़ जाते हैं, जो उनकी प्राकृतिक नौवहन क्षमताओं को नुक़सान पहुंचाता है। ‘अनदेखे दुश्मन’ यानी मोबाइल टावर के हस्तक्षेप के कारण बड़ी संख्या में कबूतर, गौरैया, हंस जैसे पक्षी लुप्त हो रहे हैं।’

इस शोध पत्र में एक दिलचस्प अवलोकन भी किया गया है। यह भी हाल ही में देखा गया है कि मोबाइल टावरों के पास के जानवर विभिन्न ख़तरों और जीवन के ख़तरों से ग्रस्त होते हैं, जिनमें मृत बच्चे का जन्म, सहज गर्भपात, जन्म संबंधी विकृति, व्यवहार संबंधी समस्यायें और समग्र स्वास्थ्य पर सामान्य गिरावट शामिल है। अध्ययन में कहा गया है कि विद्युत चुम्बकीय प्रदूषण भी कुछ उभयचर आबादी की विकृति और गिरावट का एक संभावित कारण है।

 

ओपनबिल स्टॉर्क के लिए स्वर्ग

लचकेरा की ग्राम पंचायत एक प्रस्ताव के ज़रिए किसी भी कंपनी को अपनी सीमा में मोबाइल टावर लगाने की इजाज़त नहीं देती है। जो भी व्यक्ति इन पक्षियों को नुक़सान पहुंचाता या वितरित करता पाया जाता है, उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।

मानसून के दौरान हज़ारों की संख्या में ओपनबिल सारस लचकेरा आते रहते हैं और दिवाली तक चले जाते हैं। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक रूप से पाये जाने वाले ये पक्षी चमकदार काले पंखों और पूंछ के साथ भूरे या सफेद रंग के होते हैं। वे बड़े मोलस्क, पानी के सांप, मेंढक और बड़े कीड़ों को खाते हैं।

S. Ravi

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