विज्ञान

मंगल पर मिले प्राचीन जीवन के निशान मिलने से खलबली, लाल ग्रह से पृथ्वी पर भेजा ‘सबूत’

 नासा (Nasa) पर यूं तो कई चीज़ों की खोज की जाती है। नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल पर पत्थरों के अजीब संरचना की तस्वीरें खीचीं हैं। इन तस्वीरों में मंगल के पत्थरों की अंदरूनी बनावट को दिखाया गया है। ये बनावट पूर्व ऐतिहासिक काल के जानवरों के कंकाल अवशेषों की तरह दिखते हैं। क्यूरियोसिटी रोवर की इन तस्वीरों में चट्टान जैसी संरचना से बाहर निकली हुई स्पाइक्स का एक गुच्छा भी दिखाई दे रहा है। ये तस्वीरें मंगल ग्रह पर 154 किलोमीटर लंबे गेल क्रेटर के सतह पर ली गई थीं।

इन तस्वीरों को कैद करने के लिए क्यूरियोसिटी रोवर ने मास्ट कैमरा और केमकैम का उपयोग किया गया है। अब इन तस्वीरों ने मंगल पर प्राचीन जीवन की उपस्थिति को लेकर एक बहस छेड़ दी है। नासा के मार्स साइंस लेबोरेटरी (MSL) मिशन के हिस्से के रूप में क्यूरियोसिटी रोवर अगस्त 2012 से गेल क्रेटर में घूम रहा है।

दिखी मछली के अवशेष जैसी बनावट

इन तस्वीरों को देखने के बाद कुछ का कहना है यह एक मछली का अवशेष है। जबकि, कई अन्य का मानना है कि यह एक देवदार के पेड़ की शाखा जैसा दिखता है। हालांकि, एक बात सुनिश्चित है, जो सभी लोग मान रहे हैं कि ये तस्वीरें अविश्वसनीय हैं। गेल क्रेटर के कुछ पत्थरों में हड्डी जैसी संरचना भी पाई गई है। गेल क्रेटर की खोज से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मंगल ग्रह पर कभी पानी के बड़े-बड़े तालाब थे। यह भी संभावना है कि इसकी सतह के नीचे आज भी कुछ पानी छिपा हो सकता है। गेल क्रेटर मंगल ग्रह पर मौजूद सबसे बड़ी झीलों में से एक है।

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क्या है क्यूरियोसिटी रोवर का मिशन

क्यूरियोसिटी रोवर के मिशन के उद्देश्यों में मंगल ग्रह के पर्यावरण और भूविज्ञान का अध्ययन करने के साथ-साथ जीवन की उपस्थिति के सबूत खोजना भी है। यह रोवर लगातार मंगल की सतह से अजीबोगरीब चीजों की तस्वीरें भेज रहा है। खगोल विज्ञानी नथाली ए. कैबरोल ने ट्विटर पर इसका एक स्नैपशॉट पोस्ट करते हुए कहा कि मंगल ग्रह का अध्ययन करने के 20 वर्षों में यह अब तक की सबसे विचित्र चट्टान है।

रोवर पहले भी अजीबोगरीब तस्वीरें भेज चुका

मालूम हो यह पहली बार नहीं है जब क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की सतह से अजीबोगरीब तस्वीर को पृथ्वी पर भेजा है। पिछले साल जून में रोवर ने मंगल की सतह से बाहर निकलने वाली कई विचित्र घुमावदार संरचनाओं की खोज की थी। इन्हें अब प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले स्तंभ माना जाता है जिन्हें हूडू कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ये स्तंम्भ करोड़ों साल से मंगल की सतह पर मौजूद हैं। ये नरम चट्टानों से मिलक बनी हैं, जो समय के साथ खंबे की तरह दिखने लगी हैं।

आईएन ब्यूरो

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