भले ही ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में मकड़ी की एक नई और बड़ी प्रजाति की खोज से वन्यजीव प्रेमियों के बीच चर्चा होने लगी हो, लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि इन प्राणियों को संरक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि उनका आवास तेज़ी से ग़ायब हो रहा है। ये मकड़ियां एक प्रकार का गोल्डन ट्रैपडोर हैं, जो यूओप्लोस जीनस से आती हैं।ये न केवल दुर्लभ हैं,बल्कि मार्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दिखने में बहुत रंगीन भी हैं।
यूरोप्लोस डिग्निटा के रूप में जाने जाने वाली इन मकड़ियों को पहली बार 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में क्वींसलैंड में मोंटो और ईड्सवॉल्ड के कस्बों के क़रीब देखा गया था, लेकिन उनका नाम या वर्णन नहीं किया गया था, क्योंकि माइकल रिक्स के अनुसार, उनके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से यह सब बदल गया, क्योंकि वे व्यापक शोध का केंद्र बन गए।
रिक्स इस अध्ययन के लेखक हैं और क्वींसलैंड संग्रहालय नेटवर्क में आर्कनोलॉजी के मुख्य क्यूरेटर हैं।
1970 के दशक से पहले एकत्र किए गए एक को छोड़कर उन सभी के साथ संग्रहालय में ई. डिग्निटा के बहुत कम नमूने हैं। दिलचस्प बात यह है कि कोई नर नमूना नहीं था और यही बात रिक्स और उनकी टीम के लिए एक गंभीर समस्या पैदा कर दी।
एक नर नमूने के महत्व को समझाते हुए नेचर एंड साइंस के डेनवर संग्रहालय स्थित वर्टेब्रेट जूलॉजी में एक वरिष्ठ क्यूरेटर पाउला कुशिंग ने कहा कि यह प्रजातियों की पहचान और नामकरण को सक्षम बनाता है।उनका कहना है, “अक्सर, यह पता लगाने के लिए कि आप जो कुछ देख रहे हैं, वह विज्ञान के लिए नया है, आप लगभग हमेशा मकड़ियों के साथ जननांगों की जांच करते हैं।”
ऐसी नई आनुवंशिक सामग्री की आवश्यकता है, जो नर नमूने से आएगी। वैज्ञानिकों ने इसके लिए खोज करना शुरू कर दिया था। खोज के परिणाम तब मिले, जब मई 2021 में तीन दिवसीय खोज के दौरान उन्हें ईड्सवोल्ड-मोंटो क्षेत्र में एक सड़क के किनारे यह नमूना मिला।
इस संग्रहालय में अन्य नमूनों के साथ इसकी तुलना करते हुए वैज्ञानिकों ने इसे यूओप्लोस डिग्निटास नाम दिया। डिग्निटास शब्द के उपयोग पर विस्तार से बताते हुए रिक्स ने एक यूट्यूब वीडियो में कहा कि यह “गरिमा या महानता के लिए इस्तेमाल होने वाला एक लैटिन शब्द है,जो कि इस मकड़ी की सही मायने में शानदार प्रकृति के संदर्भ में इस्तेमाल होता है। यह एक बड़ी और सुंदर प्रजाति है।
इस प्रजाति के नर और मादा दोनों में एक आकर्षक उपस्थिति होती है। जबकि पुरुषों में शहद-लाल कैरपेस या कठोर ऊपरी खोल और भूरे भूरे रंग के एब्डोमेन के पैर होते हैं, महिलाओं का सुरक्षात्मक आवरण लाल-भूरे रंग का होता है।
ये मकड़ियां कई वर्षों तक जीवित रह सकती हैं, कुछ दशकों तक मज़बूती के साथ रहती हैं।
कृषि और आवास सहित मानवीय गतिविधियों के कारण इन प्रजातियों के सड़क के किनारे के आवास ग़ायब होने के साथ वैज्ञानिकों के अनुसार निश्चित रूप से उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। इन प्रजातियों की संख्या जानने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण और अध्ययन की आवश्यकता है लेकिन, इन प्रजातियों की छोटी और अत्यधिक विरल संख्या में पाया जाना इस काम को कठिन बना देता है। यह इसी बात से स्पष्ट है कि एक समय में एक ही जीवित नमूना पाया गया था।
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