सरकार का संचार उपग्रहों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला निजी कंपनियों के लिए बड़े अवसर पैदा करने वाला है। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के. सिवन ने कही।
गुरुवार को "अनलॉकिंग इंडियाज पोटेंशियल इन स्पेस सेक्टर" विषय पर आयोजित वेबिनार में सिवन ने कहा कि यह निर्णय निजी क्षेत्र के लोगों, इसरो और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।
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India's recent changes in space will be critical for not just India's growth, but for that of the space sector around the world. This sector will grow in all dimensions to provide services to customers and India should be at the forefront of that revolution.</p>
— ISRO (@isro) <a href="https://twitter.com/isro/status/1296371920405856256?ref_src=twsrc%5Etfw">August 20, 2020</a></blockquote>
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बता दें कि हाल ही में सरकार ने भारतीय रक्षा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने और स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इन उपकरणों की सूची में जीसेट-7आर, जीसेट-6 जैसे सैटेलाइट टर्मिनल और जीसेट-7सी जैसे उपग्रह शामिल हैं।
सिवन ने यह भी कहा कि छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण भी निजी क्षेत्र के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है। उनके अनुसार, अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी होना अच्छा है क्योंकि यह विविधता को बढ़ाता है।
सिवन ने इस बात पर जोर दिया कि इसरो का निजीकरण नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्पेस एजेंसी, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), क्षमता निर्माण और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाएगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि निजी क्षेत्र को अपने स्वयं के अनुसंधान एवं विकास, वित्त पोषण, मार्केट स्टडी जैसे अन्य कार्य करने होंगे। इसरो उन्हें केवल तकनीकी ज्ञान देगा।
वहीं महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा के अनुसार, पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल स्पेस सेक्टर में क्षमता को अनलॉक करते हुए आगे बढ़ने का रास्ता है।.
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