विज्ञान

दुनिया की सबसे पुरानी बांसुरी मिलने से हड़कंप! 12000 साल पहले हड्ड‍ियों बनाई गई, वैज्ञानिक भी शॉक्ड

oldest flute: वैसे जब कभी भी बांसुरी का जब भी जिक्र आता है तो भगवान श्रीकृष्‍ण याद आते हैं। क्योंकि उनकी बांसुरी की गोपियां ही नहीं, पूरी दुनिया मुरीद है। लेकिन, इजराइल के पुरातत्‍वविदों को अब एक ऐसी बांसुरी मिली है, जो 12000 साल पुरानी है। इसे दुनिया की सबसे सबसे पुरानी बांसुरी भी बताया जा रहा है। वैसे आपको जानकर ये हैरानी होगी कि यहां कोई एक या दो नहीं बल्‍क‍ि बांसुरी पूरा बंडल है, जिसे देखकर साइंटिस्‍ट भी चक‍ित हैं कि आख‍िर इतनी पुरानी बांसुरी इतनी सुरक्ष‍ित कैसे है।

दरअसल, इजराइल में आयनन ऐन मल्लाह (Eynan-Mallaha)नामक जगह है, जहां बीते 30 सालों से खुदाई चल रही है। इसे ऐन मल्लाह (Ain Mallaha)के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां नाटुफ़ियन की बस्‍ती थी इन्‍हें श‍िकार‍ी भी माना जाता है। 1950 के दशक में इस जगह की तलाश की गई थी, लेकिन वर्षों तक इसकी गंभीरता से खुदाई नहीं हुई। पिछले साल पुरातत्‍वव‍िद जब इस जगह की खाक छान रहे थे तभी 1100 पक्ष‍ियों की हड्ड‍ियों के भंडार के बीच बिखरी हुई बांसुरी नजर आई। पता चला कि इन्‍हें समुद्र में रहने वाले छोटे पक्ष‍ियों की हड्ड‍ियों से बनाया गया था। इनमें से सिर्फ एक बांसुरी ही पूरी तरह बनकर तैयार थी। इसकी लंबाई 2.6 इंच यानी 65 मिलीमीटर बताई गई है।

ये भी पढ़े: इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में मिला 8000साल पुराना सांस्कृतिक खजाना, पड़ोस की जमीन को लेकर हुआ ये खुलासा

सबसे छोटे ध्वन‍ि उपकरणों में से एक

साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में 9 जून को पब्लिश रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। रिसर्च के लेखक और यरुशलम में फ्रेंच रिसर्च सेंटर में पुरातत्व के पोस्टडॉक्टोरल फेलो लॉरेंट डेविन ने इस बारे में लाइव साइंस से बात की। उन्‍होंने बताया कि यह बांसुरी प्रागैत‍िहास‍िक काल के आज तक ज्ञात सबसे छोटे ध्‍वन‍ि उपकरणों में से एक है। गेरू लगाने की वजह से इसका रंग लाल है। हमें लगता है कि तब लोग एक तार से इसे बांधकर रखते थे और गले में पहन लिया करते थे। जब इसे बजाया गया तो यूरेशियन स्पैरोहॉक्स और कॉमन केस्ट्रेल (Falco tinnunculus) जैसे तेज आवाज आई।

नैचुफियंस पक्ष‍ियों से करते थे संवाद

डॉक्‍टर लॉरेंट डेविन ने कहा, नाटुफियंस ने उन छोटी हड्डियों को इसल‍िए चुना क्योंकि वे बाज की आवाज की नकल करने के लिए इस तरह की तेज आवाज चाहते थे। यह ध्‍वन‍ि के प्रत‍ि उनकी समझ को दिखाता है। शायद वे यह जानते थे कि बाज से निपटने के लिए या उसे बुलाने के लिए तेज ध्‍वन‍ि न‍िकालना जरूरी था। इससे लगता है कि नैचुफियंस ने शिकार करते समय या पक्षियों के साथ संवाद करने के लिए एयरोफोन का इस्तेमाल किया था।

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago