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परमाणु कचरे से बनी महाशक्तिशाली बैट्री, एक बार चार्ज करने के बाद चलती रहेगी 28000 साल तक

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शायद की किसी ने सोचा होगा कि परमाणु कचरे का प्रयोग कर ऐसी बैट्री बनाई जा सकती है जो कई सौ साल तक बिना चार्ज किए चलती रहे। लेकिन अब ऐसा मुमकिन है, दरअसल, अमेरिका के एक स्टार्टअब ने परमाणु कचरे का प्रयोग कर ऐसी बैट्री बनाई है जो 28000 साल तक चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार, न्यूक्लियर वेस्ट से निकले रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स को नैनोडायमंड्स की अल्ट्री-स्लिम परतों के साथ मिलाकर बैट्री का आकार दिया गया है। इस बैट्री की इतनी ताकत है कि यह इंसानों की 00 पीढ़ियों को बिना रिचार्ज के पावर सप्लाई कर सकती है।</p>
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NDB का दावा है कि रेडियोएक्टिव यह बैट्री इंसानों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। स्टार्टअप ने दावा किया है कि अगले दो साल के भीतर इस बैट्री का प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाएगा। शुरुआती तौर पर इसे अंतरिक्ष एजेंसियों के लंबी अवधि के मिशनों सहित अपने कॉमर्शियल पार्टनर्स के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।</p>
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कंपनी इस बैट्री के कस्टमर वर्न पर भी काम कर रही है, जो 10 साल से भी अधिक समय तक बिना रिचार्ज के स्मार्टफोन या इलेक्ट्रिक कार को पावर दे सकता है। कंपनी ने कहा कि यह न केवल हमारे उपकरणों को बार-बार रिचार्ज करने की परेशानी से बचाता है बल्कि बैट्री के निर्माण और इसके विघटन से जुड़े पर्यावरणीय की समस्याओं को भी हल करता है।</p>
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यह बैट्री रेडियोएक्टिव अपशिष्ट ग्रैफाइट से शक्ति प्राप्त करती है। ग्रेफाइट-कुल्ड परमाणु रिएक्टरों में उपयोग किया जाता है। तो बहुत पतली क्रिस्टलीय हीरे की परतों से जुड़ी हुई है। प्रत्येक इकाई में एक एकल क्रिस्टलीय हीरा होगा जो आइसोटोप से ऊर्जा को अवशोषित करता है। इन हीरों में में उच्चतम ऊर्जा-चालकता होती है, जिसका अर्थ है कि यह रेडियोएक्टिव ग्रेफाइट से बहुत जल्दी गर्मी को ट्रांसफर करती है। यह प्रक्रिया इतनी जल्दी होती है जिससे बिजली पैदा हो जाती है।</p>
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ये डायमंड लेयर्स चार्ज जमा करने के साथ साथ विकिरण के रिसाव को भी रोकती हैं। इस स्टार्टअप ने यहां तक दावा किया है कि इससे इतनी कम मात्रा में विकिरण फैलेगा, जिससे इंसानी जान को कोई खतरा नहीं होगा। फर्म ने अभी तक बैटरियों का उत्पादन नहीं किया है, लेकिन "डायमंड न्यूक्लियर वोल्टाइक" नामक एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट डिज़ाइन है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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