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विंडीज के ‘कसाई’ गेंदबाजों के डर से भारतीय क्रिकेट टीम ने घोषणा कर दी थी चौथे टेस्ट की दोनों पारियां!

भारतीय क्रिकेट टीम फिलहाल वेस्टइंडीज दौरे पर जा चुकी है,कैरिबियाई धरती पर भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व रोहित कर रहे हैं। रोहित की सेना वेस्टइंडीज के साथ टेस्ट सीरीज में दो-दो हाथ करने की तैयारियों में जुट भी गई है। मौजूदा स्थिति टीम इंडिया के बिलकुल अनुकूल है।

टीम इंडिया पिछले दो दशकों से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी दबदवा कायम किए हुए है,यही वजह है कि 2002 के बाद से भारत वेस्टइंडीज से एक भी टेस्ट मैच हारी नहीं है। लेकिन आज वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम बुझी हुई कारतूस के समान लग रही है, वेस्टइंडीज की बुरी स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे जिम्बाब्बे जैसी टीम वनडे वर्ल्ड कप 2023 के लिए हुए क्वालिफायर मैच में हरा दिया। फिलहाल कैरिबियाई टीम का वर्ल्ड कप में खेलने का सपना शीशे की तरह चकनाचूर हो चुका है।

एक दौर में विंडीज के गेंदबाजों से ख़ौफ खाते थे धुरंधर बल्लेबाज

वर्ल्ड कप क्वालिफायर 2023 के मैच में जिम्बाब्बे से हारने वाली कैरिबियाई टीम जहां आज अन्य टीम के आगे घुटने टेक दिया है,वहीं एक ज़माना था जब इनके गेंदबाजों का ख़ौफ दुनिया भर में था। लिहाजा विंडीज के ऐसे ख़तरनाक़ गेंदबाजों के लिए ‘कसाई’ उपमा दिया गया था। उस दौर में वेस्टइंडीज के साथ खेल रही टीम के सदस्यों को इस बात का डर हमेशा लगा रहता था कि क्या पता मैच के दौरान अस्पतालों का रुख न करना पड़े।

विंडीज ‘कसाई’ गेंदबाजों ने ख़ौफ पैदा कर दिया था

बात उस जमाने की है जब 1976 में भारतीय क्रिकेट टीम कैरिबियाई धरती पर टेस्ट सीरीज खेलने गई थी। मैच के दौरान विंडीज के कातिल गेंदबाजों ने भारतीय आधी टीम को चोटिल कर दिया था। हालांकि,आज वो स्थित नहीं है। एक वक्त था जब बैटिंग हो या फिर गेंदबाजी हर क्षेत्र में वेस्टइंडीज की तूती बोलती थी, पूरी दुनिया के क्रिकेटर उनसे खौफ खाते थे। 1976 में विंडीज दौरे पर भारतीय क्रिकेट टीम गई हुई थी। होल्डिंग, डेनियल, जूलियन और वी होल्डर जैसे ख़तरनाक़ गेंदबाजों के आगे भारतीय टीम थर-थर कांप रही थी। तत्कालीन कप्तान बिशन सिंह बेदी ने चौथे टेस्ट में अपने खिलाड़ियों की जान बचाने के लिए दोनों ही पारियां घोषित कर दी थी।

भारत की दमदार बैटिंग देख वेस्टइंडीज ने बदला प्लान

दरअसल,भारतीय क्रिकेट इतिहास का यह मैच सबसे विवादित रहा। किंग्सटन के ग्राउंड पर भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 306 रन बनाए। सुनिल गावस्कर ने 66  रनों की पारी खेली,जबकि अंशुमान गायकवाड़ ने 81 रनों की शानदार पारी खेलते हुए पहले विकेट के लिए 136 रनों की साझेदारी हुई थी। 66 रन बनाकर खेल रहे थे तब गावस्कर होल्डिंग ने विंडीज को पहला विकेट दिलाया था।मोहिंदर अमरनाथ मैदान पर उतरे और 39 रन बनाकर पैवेलिन लौट गए।

भारत के बढ़ते स्कोर को रोकने के लिए विंडीज ने अपना प्लान बदला। वेस्टइंडीज के भीमकाय शरीर वाले गेंदबाजों ने बाउंसर गेंद करनी शुरु की। होल्डिंग गेंद फेंकने आए, पहली गेंद बाउंसर डाला जो क्रिज पर डटे अंशुमन गायकवाड़ के कान पर लगी,गायकवाड़ लहुलूहान हो गए। उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा और उन्हें हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। गायकवाड़ के जाने के बाज बृजेश पटेल का भी यही हाल हुआ। 6 विकेट गिर गए थे , तब कप्तान बिशन सिंह बेदी ने डर से पारी घोषित कर दी।

उस दौर में विंडीज की बल्लेबाजी भी जबरदस्त थी

फ्रेडरिक्स,विवियन रिचर्ड्स,डेरिक मरे माइकल होल्डिंग जैसे ख़तरनाक़ बल्लेबाजों उस दौर में बेहद चर्चित हुआ करते थे। विंडीज की पहली पारी 391 रनों पर सिमटी। भागवत चंद्रशेखर ने 5 विकेट चटकाए, जबकि बेदी और वेंकटराघवन की झोली में 2-2 विकेट आए। अब भारतीय टीम दूसरी पारी के लिए बल्लेबाजी करने उतरी तो कैरेबियाई गेंदबाजों ने उसी तरह शरीर पर बॉल करना शुरु किया। पहली पारी में 4 विकेट लेने वाले होल्डिंग ने गावस्कर, मदन लाल और वेंकटराघवन को आउट किया तो बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी, क्योंकि भारत के कई खिलाड़ी बैटिंग करने योग्य ही नहीं थे। हालांकि भारत उस सीरीज में तीसरा टेस्ट जीता था और उसके पास 2-2 से बराबरी का मौका था, लेकिन विंडीज टीम चौथे टेस्ट में जीत के बाद 3-1 से सीरीज अपने नाम करने में सफल रही थी।

उस समय भारतीय क्रिकेट बोर्ड इतना मजबूत नहीं था। बावजूद उसने वेस्टइंडीज के शरीर पर बॉल करने वाली रणनीति का जमकर विरोध किया। साथ ही मैनेजमेंट ने बिशन सिंह बेदी के पारी घोषित करने के फैसले की आलोचना भी की। मैनेजमेंट का कहना था कि बिना बैटिंग किए एक तरह से हथियार डालना ठीक नहीं था। आज भी जब भारतीय टीम विंडीज दौरे पर जाती है तो उस सीरीज का खौफ दर्द बनकर क्रिकेट फैंस के दिलों में दरकता है।

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आईएन ब्यूरो

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